Coronavirus: कोरोना से आमने-सामने की जंग लड़ेगा यह रोबोट, नर्स की तरह मरीजों से पूछेगा हाल
Coronavirus Robot सीएमईआरआइ दुर्गापुर के वैज्ञानिकों ने ऐसा रोबोट बनाया है जो कोरोना मरीज को दवा देगा। साथ ही मरीज की जांच के लिए मूत्र व अन्य नमूने उनके पास से लाएगा।
दुर्गापुर, [हृदयानंद गिरि]। Coronavirus Robot कोरोना से बचने के लिए शारीरिक दूरी बेहद जरूरी है। लेकिन, कोरोना संक्रमितों का इलाज करने या दवा देने के लिए डॉक्टर या नर्सों को मरीजों के करीब जाना भी मजबूरी है। ऐसे में फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर को संक्रमण का खतरा बराबर बना रहता है। इस संकट का समाधान तलाशा है पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर स्थित सेंट्रल मेकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमईआरआइ) के वैज्ञानिकों ने। उन्होंने एक ऐसा रोबोट बनाया है, जो कोरोना मरीजों के पास दवा व अन्य जरूरी सामान लेकर जाएगा। और तो और ऑडियो विजुअल सिस्टम के जरिये चिकित्सक संक्रमित मरीज से सीधी बात कर उसके स्वास्थ्य के बारे में भी अद्यतन जानकारी ले सकेंगे। इस रोबोट में अल्ट्रा वॉयलट किरणों का चैंबर भी लगा है। जो इसे विषाणु, जीवाणु और अन्य सूक्ष्मजीवों से मुक्त रखेगा।
कोरोना के खिलाफ जंग में अब अग्रिम मोर्चे पर उतारे जाएंगे रोबोट
कोरोना के खिलाफ छिड़ी जंग में संक्रमित लोगों के उपचार के लिए अब अग्रिम मोर्चे पर रोबोट की तैनाती दी जा सकती है। सीएसआईआर ने कोरोना के मरीजों की देखभाल के लिए खासतौर पर एक खास रोबोट तैयार किया है, जिसे एचसीएआरडी (हास्पीटल केयर एसिसटिव रोबोटिक्स डिवाइस) नाम दिया गया है। इसकी मदद से कोरोना संक्रमित मरीजों को दवा, भोजन जैसी जरूरी चीजें समय पर और सुरक्षित तरीके से पहुंचायी जा सकेंगी। अभी इस काम में स्वास्थ्य कर्मियों को लगाया गया है।
सीएसआईआर ने एचसीएआरडी नाम से विकसित की खास डिवाइस
वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के मुताबिक अस्पतालों में कोरोना के गंभीर संक्रमितों की देखभाल में चौबीसों घंटे लगे कर्मचारियों को संक्रमण से बचाने के लिए यह कदम उठाया गया है। इस रोबोट की जल्द कुछ प्रमुख अस्पताओं में तैनाती भी कर दी जाएगी। कोरोना संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से मौजूदा समय में देश भर में बड़ी संख्या स्वास्थ्यकर्मी व दूसरे कर्मचारी संक्रमण से ग्रसित हैं।
कोरोना के खिलाफ जंग में अग्रिम मोर्चे पर तैनाती के लिए इस नए योद्धा का निर्माण सीएसआईआर के दुर्गापुर स्थित सीएमईआरआई (सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) लैब में किया गया है। यह आटोमैटिक एवं नेवीगेशन के मैनुअल मोड्स दोनों में ही काम करता है। सीएमईआरआई के निदेशक प्रोफेसर हरीश हीरानी के मुताबिक यह रोबोटिक डिवाइस अस्पतालों में मरीजों तक मदद पहुंचा सकता है।
कैसे और कहां-कहां किया जा सकता है इस्तेमाल
इस रोबोट को नेवीगेशन, ड्रावर एक्टिवेशन जैसे फीचरों वाले एक कंट्रोल स्टेशन के साथ एक नìसग बूथ से नियंत्रित एवं मोनीटर किया जा सकता है। वहीं इसे रोगियों को दवाएं पहुंचाने, भोजन उपलब्ध कराने, नमूना संग्रह करने तथा आडियो-विजुअल कम्युनिकेशन करने आदि में इस्तेमाल किया जा सकता है। बता दें कि इस खास डिवाइस का वजन 80 किग्रा है। जबकि कीमत 5 लाख रुपये से कम है।
मरीजों की जांच के लिए मूत्र व अन्य जरूरी नमूने भी ले सकेगा
रोबोट का नाम हॉस्पिटल केयर असिस्टिव रोबोट डिवाइस (एचसीएआरडी) दिया गया है। यह मरीजों तक दवा, खाना व अन्य सामग्री पहुंचाएगा। जांच के लिए मूत्र व अन्य जरूरी नमूने भी ले सकेगा। इससे अस्पताल कॢमयों को मरीज के पास जाने की जरूरत नहीं होगी। रोबोट ऑडियो-विजुअल सिस्टम से लैस है। इससे मरीज से बात कर चिकित्सक व नर्स उनके स्वास्थ्य की जानकारी ले सकेंगे। धातु के रोबोट की लागत पांच लाख : इसे बनाने में पांच लाख रुपये खर्च आया है। इसकी बॉडी मेटल (धातु) की बनी है। वजन करीब 80 किलो है। प्लास्टिक बॉडी का इस्तेमाल किया जाए तो कीमत कम हो जाएगी। इसमें छह दराज हैं।
The robotic device HCARD, in short for Hospital Care Assistive Robotic Device, can help frontline healthcare workers in maintaining physical distance from those infected by coronavirus: Ministry of Science & Technology pic.twitter.com/OkGTjHJBx6
— ANI (@ANI) April 29, 2020
ऑटोमेटिक और मैनुअल दोनों तरीके से होगा संचालन
रोबोट को ऑटोमेटिक या मैनुअल दोनों रूप से इस्तेमाल कर सकेंगे। ये करीब 500 मीटर के क्षेत्रफल में काम कर सकेगा। ऑटोमेटिक संचालन के ़लिए इसमें कंप्यूटर प्रोग्राम भर दिया जाएगा। उस अनुरूप यह काम करेगा। मैनुअल तरीके में इसे रिमोट से संचालित किया जाएगा। इसमें लगे सेंसर रास्ते में कोई अवरोध या व्यक्ति के होने पर जानकारी देगा। तब यह रास्ता बदल लेगा या कुछ देर रुकेगा।
कोरोना संकट के समय यह डिवाइस हेल्थ केयर से जुड़े कॢमयों की सुरक्षा करेगी। उनको बार-बार मरीजों के पास जाना नहीं होगा, बल्कि रोबोट ही जाएगा। इससे चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों में मरीज के कारण संक्रमण का खतरा नहीं होगा। प्रो. डॉ. हरीश हीरानी, निदेशक, सीएमईआरआइ, दुर्गापुर