लाकडाउन में कल्पनाएं हुईं साकार, कुछ ऐसा किया कमाल
कोरोना महामारी के दौरान बहुत कुछ बदल गया। कई लोगों ने इसे अवसर के रूप में लिया।
जागरण संवाददाता रांची : कोरोना महामारी के दौरान बहुत कुछ बदल गया। रहन-सहन से लेकर एक दूसरे से मिलने-जुलने के तरीके में परिवर्तन हुआ। लाकडाउन की अवधि में आवश्यक कार्यों के निष्पादन के लिए नए-नए तरीके अपनाए गए। स्कूलों में पठन-पाठन पूरी तरह से बदल गया। विश्वविद्यालयों में दीक्षा समारोह आनलाइन आयोजित हुए। विभिन्न राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सेमिनार तथा प्रशिक्षण शिविर, साक्षात्कार आनलाइन हुए। इस अवधि में लोगों ने खाली समय का भरपूर इस्तेमाल किया। किसी ने अपने लंबित शोध कार्य को पूरा किया। किसी ने अपनी किताबें पूरी की। किसी ने खाना बनाना सीख लिया तो किसी ने सिलाई कढ़ाई का काम शुरू किया। नकारात्मक माहौल के बीच लोगों के जीवन में बहुत कुछ सकारात्मक हुआ। इसका फायदा कहीं न कहीं समाज को मिलने जा रहा है।
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बीआइटी पॉलिटेक्निक के छात्रों ने तैयार किया कूलिग हेलमेट:
सड़क दुर्घटना से रोजाना हजारों मौतें होती हैं। एक बड़ा कारण हेलमेट का इस्तेमाल नहीं करना होता है। यूनिवर्सिटी पालिटेक्निक बीआइटी मेसरा के छात्र और फैकल्टी ने ऐसा हेलमेट तैयार किया जिसके पहनने से गर्मी और बेचैनी नहीं होगी। हेलमेट के अंदर का टेंपरेचर 18 डिग्री सेल्सियस से ऊपर नहीं जाएगा। बाहर का टेंपरेचर अगर 30 डिग्री सेल्सियस है तो हेलमेट का अंदरूनी टेंपरेचर 18 डिग्री सेल्सियस ही रहेगा। इस हेलमेट में एक सेंसर लगाया गया है जो बाहर के वातावरण का अध्ययन करेगा। टेंपरेचर अधिक होने पर हेलमेट में लगे माइक्रो फैन स्वत: चलने लगेंगे। इसे बिजली से चार्ज किया जा सकेगा। वजन दो से ढाई किलोग्राम के बीच है। कीमत भी किफायती। सस्ता रेफ्रिजरेटर तैयार किया :
पॉलिटेक्निक बीआइटी मेसरा के छात्रों ने कम कीमत वाला ऐसा रेफ्रिजरेटर तैयार किया है जिसमें मछली विक्रेता 10 किलो मछली रख सकते हैं। सौर ऊर्जा से चलनेवाले इस रेफ्रिजरेटर में 15 डिग्री सेल्सियस पर मछलियों को रखा जाता है। खुदरा मछली विक्रेता मात्र 1500 रुपये के सोलर पोर्टेबल रेफ्रिजरेटर के माध्यम से मछलियों को खराब होने से बचा सकते हैं। इस सोलर थर्मोइलेक्ट्रिक रेफ्रिजरेटर सिस्टम को बनाने में पॉलिटेक्निक बीआइटी मेसरा रांची के मैकेनिकल इंजीनियरिग विभाग के डा. एसएस सोलंकी, प्रो. मनोज कुमार, प्रो. प्रभात रंजन महतो का योगदान रहा है।
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कोरोना की काट पर काम कर रहे रिम्स के चिकित्सक :
रांची में रिम्स के दो विशेषज्ञ डाक्टर यूनानी चिकित्सा पद्धति के तहत कोरोना की काट तैयार करने में जुटे हैं। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने इनके शोध के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। उम्मीद की किरण को देखते हुए 6 लाख रुपये का अनुदान भी दिया है। चिकित्सक कार्डियोथोरेसिक सर्जन डा. अंशुल कुमार और दूसरे क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डा. मोहम्मद सैफ हैं। ये चिकित्सक अपने शोध में कंसल्टेंट के रूप में एक यूनानी चिकित्सक को जोड़ेंगे। शोध तीन तरह के लोगों पर किया जाएगा। पहला वह जो पूरी तरह से स्वस्थ हैं, दूसरा जो बीमार हैं और तीसरा जो कोविड से ठीक हो चुके हैं। इन पर यूनानी की दवाओं का इस्तेमाल किया जाएगा। जबकि उसी तरह ऐसे ही मरीजों पर सामान्य दवाइयां चलाई जाएंगी। दो तरह की चल रही दवाइयों का मरीजों पर पड़नेवाले असर का अध्ययन किया जाएगा। प्रत्येक 15- दिन पर 45 दिनों तक तीन दफा मरीजों की जांच होगी। जांच रिपोर्ट के आधार पर आकलन किया जाएगा कि कौन सी दवा किस मरीज पर ज्यादा कारगर है।
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पशु प्रेम का संदेश दे रही वेटरनरी छात्रा:
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत रांची वेटरनरी कॉलेज की छात्रा पल्लवी पशुओं की चिकित्सा, पोषण और देखभाल के साथ उनके अधिकारों के लिए भी आवाज बुलंद कर रही हैं। बेजुबान जानवरों के प्रति आम लोगों का नजरिया बदले, इसके लिए वे नियमित रूप से जागरूकता अभियान चलाती हैं। पशुओं की देखभाल पर आधारित उन्होंने अपना यूट्यूब चैनल पैलिडोस्कोप शुरू किया जो पशु प्रेमियों के बीच लोकप्रिय हो गया। पशुओं के रख-रखाव, टीकाकरण व पोषण पर आधारित उनके 30 से भी अधिक वीडियो को यूट्यूब चैनल पर काफी पसंद किया जा रहा है। पल्लवी बताती हैं कि पढ़ाई के दौरान महसूस हुआ कि इंटरनेट पर पशुओं पर आधारित पाठ्य सामग्री बहुत सीमित है। इसके बाद पशुओं में होने वाली बीमारियों, उनके टीकाकरण, उनकी त्वचा की देखभाल, खान-पान, पोषण और उनके बर्ताव पर आधारित वीडियो बनाना शुरू किया। यह इतना पसंद किया गया कि देश-विदेश से उनके यूट्यूब वीडियो को व्यूज मिलने लगे। हाल ही में पल्लवी, उनके साथी प्रभांशु कुमार और सुरभि कुमारी की टीम को अंगद देव वेटनरी एंड एनिमल साइंसेस, लुधियाना की ओर से आयोजित राष्ट्रीय प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में विजेता बनने का गौरव मिला। बीएयू में आयोजित किसान मेला में इन्हें कुलपति ने सम्मानित किया।