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श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी विवि का असुर भाषा पर रिसर्च लंदन विवि की वेबसाइट पर, पूरे विश्‍व में बनी पहचान

Dr Shyama Prasad Mukherjee University Ranchi राजधानी रांची के डीएसपीएमयू परिसर में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्‍य में 21 फरवरी को एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन भी होगा। इस कार्यक्रम में झारखंड की राज्‍यपाल द्रौपदी मुर्मू भी शामिल होंगी।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 13 Feb 2021 08:56 AM (IST)Updated: Sat, 13 Feb 2021 09:04 AM (IST)
श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी विवि का असुर भाषा पर रिसर्च लंदन विवि की वेबसाइट पर, पूरे विश्‍व में बनी पहचान
Dr Shyama Prasad Mukherjee University Ranchi अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर कार्यक्रम भी होगा।

रांची, जासं। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय की ओर से असुर भाषा पर किए गए रिसर्च को लंदन विश्वविद्यालय ने अपनी वेबसाइट पर जगह दी है। यह श्‍यामा प्रसाद विश्वविद्यालय के लिए बड़ी उपलब्धि है। 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर इसे अपलोड किया जाएगा। इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है। इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

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इस कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगी। कार्यक्रम में जर्मनी कील विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन माइकल पीटरसन भी शामिल होंगे। इसके बाद दुनिया भर में लुप्त प्राय: इस भाषा के बारे में लोग विस्तृत तरीके से जानकारी इकट्ठा कर पाएंगे। अंतरराष्ट्रीय लुप्त प्राय: देशज भाषा और तुरी भाषा पर अध्ययन शुरू किया गया है। इसमें इस विश्वविद्यालय के कुलपति एसएन मुंडा का भी भरपूर सहयोग है। राजधानी रांची के डीएसपीएमयू परिसर में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्‍य में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन भी होगा।

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के कुलपति ने बताया कि इस भाषा को लेकर वर्ष 2019 में एक कदम का आयोजन किया गया था। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय ने जनजातीय शोध संस्थान, रांची के संयुक्त प्रयास से कील विश्वविद्यालय, जर्मनी और लंदन विश्वविद्यालय के साथ लुप्तप्राय भाषा पर 10 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया था। इसमें देश विदेश के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। असुर भाषा को लेकर रिसर्च भी हुआ था। इसी के तहत इस भाषा को विश्व भर में जाना जा रहा है।


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