डोरंडा दुष्कर्म कांड: बच्ची के साथ दुष्कर्म व हत्या के मामले में जांच पूरी, दो पर चार्जशीट
डोरंडा में बच्ची से दुष्कर्म व हत्या के मामले में सुनवाई हुई। सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामले में जांच पूरी कर ली गई है। दो आरोपितों के खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट भी दाखिल कर दी।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में शुक्रवार को डोरंडा में बच्ची के साथ दुष्कर्म व हत्या के मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामले में जांच पूरी कर ली गई है। दो आरोपितों के खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट भी दाखिल कर दी है। इसके बाद अदालत ने निर्भया फंड खर्च होने व एनएच पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी है। अगली सुनवाई तीन अप्रैल को होगी। अदालत इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही है।
सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता मनोज टंडन ने अदालत को बताया कि डोरंडा वाले मामले में पुलिस ने दो आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। इसके बाद अदालत ने एनएचएआइ (नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) से सड़क पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के बारे में पूछा। एनएचएआइ के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि सिर्फ टोल प्लाजा पर ही सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैैं।
दूसरी अन्य जगहों पर कैमरे लगाने का संवेदक के साथ कोई कांट्रैक्ट नहीं हुआ है। इस पर अदालत ने कहा कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एनएच पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं, ताकि घटना के बाद फुटेज के जरिए पुलिस अपराधियों तक पहुंच सके। कैमरे से सर्विलांस होने की वजह से अपराध में कमी भी आएगी। इसलिए एनएचएआइ को पूरी सड़क पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के बारे में विचार करना चाहिए।
निर्भया फंड के खर्च की मांगी जानकारी
सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार से निर्भया फंड के खर्च की जानकारी मांगी है। कहा कि इस मामले में पूर्व में मुख्य सचिव ने अदालत में हाजिर होकर फंड के खर्च की जानकारी देने का आश्वासन दिया था, लेकिन इस बारे में सरकार ने अब तक कोई जानकारी नहीं दी है। अदालत ने इसकी जानकारी कोर्ट में दाखिल करने का निर्देश दिया।
लॉ छात्रा मामले में पुलिस का बेहतर काम
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने लॉ छात्रा के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म मामले का जिक्र करते हुए कहा कि इस मामले में पुलिस ने सराहनीय कार्य किया है। पुलिस ने कम समय में जांच पूरी की है। इसकी वजह से निचली अदालत ने भी कम समय में ट्रायल पूरा करते हुए आरोपितों को सजा सुनाई है।