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World Rabies Day: राज्य में 80 प्रतिशत रेबीज का कारण कुत्तों के काटना, आवारा कुत्तों को वैक्सीनेट कर समाज को कर सकते हैं रेबीज-फ्री

World Rabies Day झारखंड में 80 प्रतिशत रेबिज के मरीज केवल कुत्ते के काटने के हैं। रेबिज का एक मात्र उपाय टीका है। अगर सड़क पर रहने वाले कुत्तों को भी पहले से रेबिज का टीका लगाया जाए तो राज्य को रेबिज मुक्त किया जा सकता है।

By Kanchan SinghEdited By: Published: Tue, 28 Sep 2021 10:00 AM (IST)Updated: Tue, 28 Sep 2021 10:00 AM (IST)
World Rabies Day: राज्य में 80 प्रतिशत रेबीज का कारण कुत्तों के काटना, आवारा कुत्तों को वैक्सीनेट कर समाज को कर सकते हैं रेबीज-फ्री
झारखंड में 80 प्रतिशत रेबिज के मरीज केवल कुत्ते के काटने के हैं।

रांची,जासं।  रेबीज और इसकी रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य बीमारी के बारे में ज्ञान को बढ़ाना है। इसे कई देशों में मनाया जाता है। रेबीज एक जूनोटिक बीमारी है जो जानवरों से इंसानों में फैलती है। बिरसा कृषि विवि के रांची वेटनरी कालेज के डीन डा सुशील प्रसाद बताते हैं कि राज्य में 80 प्रतिशत रेबिज के मरीज केवल कुत्ते के काटने से है। रेबिज का एक मात्र उपाय टीका है। अगर सड़क पर रहने वाले कुत्तों को भी पहले से रेबिज का टीका लगाया जाए तो राज्य को रेबिज मुक्त किया जा सकता है। इसके लिए सरकार के साथ विभिन्न निगम और एनजीओ को अपने-अपने स्तर पर कार्य करने की जरूरत है।

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जूनोटिक के विभागाध्यक्ष डा आलोक कुमार पांडेय ने बताया कि रेबीज एक संक्रामक बीमारी है, जो मनुष्य सहित सभी प्रकार के गर्म खुन वाले जीवों को प्रभावित कर सकती है। यह विकार संक्रमित जानवर की लार द्वारा प्रेषित होता है और न्यूरोट्रोपिक लाइसिसिवर्स वायरस के कारण होता है। जो लार ग्रंथियों और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। यह वायरस संक्रमित पशुओं के काटने और खरोचने से मनुष्यों में फैलता है। डीन डा सुशील कुमार ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में हर साल 59,000 लोग रेबीज के कारण मरते हैं। उनमें से 90 प्रतिशत को रेबीज से संक्रमित कुत्ते के काटने से रैबीज हुआ होता है।

भारत में प्रत्येक वर्ष रेबीज से 18,000 से 20,000 लोगों की मृत्यु होती है। वहीं अकेले रांची में अगस्त महीने में 798 लोगों को रेबीज का टीका लेना पड़ा। जबकि 3234 लोग पहले से इस वर्ष टीका दिया गया है। वहीं सितंबर महीने में 319 नए मरीज सामने आए हैं। इन मौतों में से कई बच्चे हैं, अक्सर चिकित्सा सुविधाओं कमी के कारण मर रहे हैं। इनकी मृत्यु रिकॉर्ड तक नहीं हो पाती है। एक बार जब व्यक्ति को रेबीज के संकेत और लक्षण होने शुरू हो जाते हैं, तो बीमारी लगभग हमेशा मौत का कारण बनती है। इस कारण  जिस किसी को भी रेबीज होने का खतरा हो, उन्हें सुरक्षा के लिए रेबीज का टीका अवश्य लगवा लेना चाहिए।

वेटनरी कॉलेज में कुत्तों के लिए मुफ्त रेबीज टीकाकरण

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वेटनरी संकाय में मंगलवार को विश्व रेबीज दिवस के अवसर पर कुत्तों में रेबीज बीमारी पर जागरूकता कार्यक्रम के तहत मुफ्त रेबीज का टीकाकरण किया जाएगा। स्वास्थ्य जांच शिविर में कुत्तों के स्वास्थ्य की मुफ्त जांच एवं कृमिनाशक दवा का वितरण किया जा रहा है। यह शिविर मंगलवार को सुबह ग्यारह बजे शुरू होगा। मौके पर विशेषज्ञ पशु चिकित्सक द्वारा कुत्तों के स्वास्थ्य जांच की जाएगी एवं रेबीज से बचाव के उपाय भी बताए जाएंगे। इस कार्यक्रम का आयोजन संकाय के पशु जनपदिक रोग विभाग एवं राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) इकाई के द्वारा संचालित होगा। डीन वेटनरी डा सुशील प्रसाद ने बताया कि कुत्तों के रेबीज बीमारी से बचाव का टीकाकरण की एकमात्र उपाय है। उन्होंने पालतू कुत्तों के स्वामियों को कार्यक्रम में शामिल होकर अपने कुत्तों को जानलेवा बीमारी से बचाव के लिए मुफ्त स्वास्थ्य चिकित्सा शिविर का लाभ लेने की अपील की है।


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