National Doctor's Day 2020: जीते-जागते इंसान में हों भगवान तो क्या बिगाड़ लेगा कोरोना
National Doctors Day 2020. व्यावसायिकता हर क्षेत्र में बढ़ी है लेकिन शहर में कई ऐसे चिकित्सक हैं जिन्हें सही मायने में धरती के भगवान का दर्जा लोग देते हैं।
रांची, [अमन मिश्रा]। National Doctor's Day 2020 हर पेशे का महत्व अपनी-अपनी जगह है, लेकिन समाज के लिए चिकित्सकों के पेशे से बढ़कर कोई दूसरा नहीं। तमाम लोग मानते भी हैं कि इनमें मरीजों की जान बचाने की क्षमता होती है। यहीं कारण है कि इन्हें धरती का भगवान का दर्जा दिया जाता है। कई बार जब कोई किसी की जान की दुआ मांगता है तो दिखने वाले भगवान के रूप में चिकित्सक ही नजर आते हैं। व्यावसायिकता हर क्षेत्र में बढ़ी है लेकिन शहर में कई ऐसे चिकित्सक हैं जिन्हें सही मायने में धरती के भगवान का दर्जा लोग देते हैं। इन चिकित्सकों ने मरीजों की सेवा के लिए खुद को समर्पित कर रखा है। पहली जुलाई को डॉक्टर्स डे है। आप भी जानें सेवा के लिए समर्पित शहर की कुछ ऐसी हस्तियों के बारे में :-
जिंदगी बचाने में खुद आए कोरोना की चपेट में, ठीक होकर फिर निकले जंग में
बरियातू के आलम नर्सिंग होम में एक ऐसे ही एनेस्थिसिस्ट है जो कोरोना काल की शुरुआत से ही मरीजों की सेवा में लगे है। ये है डॉ अजहर हुसैन। कोरोना संक्रमितों का इलाज करते हुए दस दिन पूर्व खुद भी कोरोना की चपेट में आ गए। दो दिन पहले स्वस्थ हुए तो फिर मरीजों की सेवा में डट गए। विगत 13 जून को एक मरीज इलाज के लिए इनके अस्पताल में भर्ती हुआ था।
स्थिति गंभीर होने के कारण उसका कोविड-19 टेस्ट तुरत नहीं कराया जा सका। डॉ. अजहर ने मरीज की जान बचाने के लिए उसका इलाज शुरू कर दिया, कोरोना टेस्ट के लिए नमूना बाद में लिया गया। भर्ती होने के दो दिन बाद उसकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव निकली। कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग के आधार पर डॉ. अजहर ने भी अपना कोविड टेस्ट कराया तो आशंका सही साबित हुई और इनकी रिपोर्ट भी पॉजिटिव आ गई। विगत 27 जून को कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के अगले ही दिन मरीजों के इलाज में फिर डट गए।
कोरोना काल में कर डाले 100 से ज्यादा एंजियोग्राफी-एंजियोप्लास्टी
हृदय रोग से पीडि़त मरीजों का मामला संवेदनशील होता है। इलाज में देरी या कोताही भारी पड़ सकती है। अगर समय रहते उपचार उपलब्ध हो जाए तो सबकुछ सामान्य रहता है। रिम्स के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. प्रशांत कुमार ने कोरोना काल में खुद संक्रमित होने का डर पीछे छोड़ सिर्फ मरीजों की चिंता की। मरीजों के सीधे संपर्क में रहते हुए दो महीने के भीतर 100 से ज्यादा एंजियोप्लास्टी और एंजियोग्राफी की।
डॉ. प्रशांत कुमार बताते है कि उनके पास काफी गंभीर मरीज पहुंचते है। कोरोना टेस्ट में कम से कम दो दिन का समय लग जाता है। अगर मरीजों के पास समय ही न हो तो रिपोर्ट का इंतजार कैसे कर सकते हैं। हमारी प्राथमिकता मरीजों की जान बचाने की होती है। पिछले दो महीनों के दौरान इन्होंने दो बड़े राजनेताओं की भी एंजियोप्लास्टी की है।
कोरोना मैन के नाम से राज्य भर में अलग पहचान बना चुके डॉ. देवेश
रिम्स के कोविड वार्ड में पहला कोरोना संक्रमण मिलने से लेकर लगातार ड्यूटी कर संक्रमितों का जान बचाने में लगे है रिम्स के पीएसएम विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देवेश कुमार। किसी मरीज की कोविड वार्ड में दाखिल कराना हो या ठीक होने के बाद डिस्चार्ज कराना हो। कोविड वार्ड के बाहर से अंदर, भर्ती कराने से लेकर इलाज तक में इनकी भूमिका रहती है।
रिम्स के डॉ. देवेश कुमार को राज्य भर में कोरोना मैन के नाम से जाना जाने लगा है। कोरोना मरीजों के प्रति इनकी जिम्मेदारी का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि करीब डेढ़ महीने तक ये अपने घर नहीं गए और मरीजों का इलाज कराने व सुविधाएं देने के लिए खड़े रहे। जानकारी व अनुभव के आगे इन्होंने डर को फटकने नहीं दिया। कोरोना से जंग में खुद को तो आगे रखा ही, अन्य चिकित्सकों की हिम्मत भी बढ़ाते रहे। शायद ही कोई ऐसा मरीज हो जो कोरोना वार्ड से डिस्चार्ज होकर जाते वक्त डॉ. देवेश के गुणगान न करे।
पति ने की जटिल सर्जरी तो पत्नी के प्रयास से घर बैठे मिला इलाज
साल में सिर्फ एक दिन डॉक्टरों के सम्मान के लिए डॉक्टर्स डे के रूप में मनाया जाता है। हमेशा सेवा में तत्पर रिम्स का यह चिकित्सक दंपती अलग ही मिसाल कायम कर चुका है। पति डॉ. अंशुल कुमार कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी विभाग के एचओडी हैं तो पत्नी डॉ. अर्पिता राय डेंटिस्ट। डॉ. अंशुल ने रिम्स में ओपन हार्ट जैसी जटिल सर्जरी शुरू कर देशभर में रिम्स को अलग पहचान दिलाई।
कोरोना काल में भी इन्होंने तीन ओपन हार्ट सर्जरी और हार्ट व लंग्स से जुड़ी दर्जनों सर्जरी की। वहीं डॉ. अर्पिता राय ने कोरोना की वजह से जब मरीज अस्पताल पहुंचने में असमर्थ थे तब अस्पताल के चिकित्सकों को उन तक पहुंचाया। इनके प्रयास से टेलीकॉन्फ्रेंसिंग के जरिए करीब 5000 मरीजों का इलाज इनके प्रयास से संभव हो सका।