डॉक्टर साहेब को रास नहीं आई पीएम की 'मन की बात'
नीरज अम्बष्ठ, रांची : झारखंड के निजी डॉक्टरों को या तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'मन की बात' रास
नीरज अम्बष्ठ, रांची : झारखंड के निजी डॉक्टरों को या तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'मन की बात' रास नहीं आई या फिर राज्य सरकार ने उनसे सहायता लेने का मुकम्मल प्रयास नहीं किया। तभी तो प्रधानमंत्री के उस आह्वान का उतना असर निजी डॉक्टरों पर नहीं पड़ा, जिसमें उन्हें माह में एक दिन (प्रत्येक माह नौ तारीख को) गर्भवती महिलाओं की निश्शुल्क जांच में राज्य सरकार को सहयोग करने की बात कही गई थी। निजी डॉक्टरों को 'स्वयंसेवक' के रूप में इस योजना के तहत निबंधन कराकर माह में एक दिन दो घंटे निश्शुल्क सेवाएं देनी थी।
केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) के तहत झारखंड से 110 निजी डॉक्टरों ने निबंधन तो कराया, लेकिन उनमें से महज 13 डॉक्टरों ने ही सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में गर्भवती महिलाओं की निश्शुल्क प्रसवपूर्ण जांच की। केंद्र सरकार ने इस ओर राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया है। नीति आयोग की शासी परिषद ने भी इस मुद्दे को उठाया है। केंद्र ने राज्य सरकार को इस अभियान के तहत निबंधित निजी डॉक्टरों के उपयोग, इस अभियान के कवरेज तथा हाई रिस्क वाली गर्भवती महिलाओं के इलाज की आवश्यक सेवाएं उपलब्ध कराने में सुधार का निर्देश दिया है।
क्या है प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान?
यह अभियान भारत सरकार की एक नई पहल है जिसके तहत प्रत्येक माह की नौ तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जांच (एंटी नेटल चेकअप) सुनिश्चित करना है। इसके तहत गर्भवती महिलाओं को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर उनकी गर्भावस्था के दूसरी और तीसरी तिमाही की अवधि के दौरान चेकअप की सेवा दवा सहित निश्शुल्क उपलब्ध कराना है।
इस अभियान की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि निजी क्षेत्र के विशेषज्ञ डॉक्टरों को हर माह की नौ तारीख को उनके जिलों में सरकारी डॉक्टरों के प्रयासों के साथ स्वैच्छिक सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करना है। प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में इस अभियान के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए निजी स्त्री रोग विशेषज्ञों/चिकित्सकों से उनकी स्वैच्छिक सेवाएं देने की अपील की थी।
स्वयंसेवक डॉक्टरों के पुरस्कार की भी योजना :
इस योजना के तहत सेवाएं देनेवाले स्वयंसेवक डॉक्टरों को पुरस्कार देने की भी योजना है। ऐसे डॉक्टरों की तस्वीर और उनके नाम अभियान को लेकर बनाए गए पोर्टल में आते हैं।
इन राज्यों ने किया बेहतर :
- निजी डॉक्टरों के निबंधन में टॉप फाइव
मध्य प्रदेश (673), महाराष्ट्र (652), राजस्थान (596), उत्तर प्रदेश (535), कर्नाटक (350)
- गर्भवती महिलाओं की जांच में टॉप फाइव
मध्य प्रदेश (69,330), बिहार (52,376), महाराष्ट्र (30,961), उत्तर प्रदेश (20,472), राजस्थान (15,027)