Diwali 2019: मां लक्ष्मी की विशेष कृपा के लिए ऐसे करें अपनी राशि के अनुसार पूजा; जानें शुभ मुहूर्त-पूजन विधि
Deepavali 2019 दिवाली पर माता की विशेष कृपा होती है। शास्त्रों में भी कुंडली के ग्रहों के अनुसार और राशि के हिसाब से पूजा करने का विधान है।
रांची, जासं। दिवाली पर माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने की चाहत हर व्यक्ति की रहती है। माता को प्रसन्न करने के लिए पूरी साल पूजा की जाती है मगर दिवाली पर माता की विशेष कृपा होती है। आचार्य अजीत मिश्रा ने बताया कि यदि भक्त अपनी राशि के हिसाब से पूजा करें तो माता की विशेष कृपा होगी। ऐसे भक्तों से माता कभी रुष्ट नहीं होंगी। शास्त्रों में भी कुंडली के ग्रहों के अनुसार और राशि के हिसाब से पूजा करने का विधान है।
मेष राशि
लक्ष्मी पूजन: पश्चिम की ओर मुंह करके महालक्ष्मी की उपासना करें। धनिया के बीज, बताशे, चमेली के इत्र, गुग्गुल-जटामासी के धूम्र और लाल कनेर से लक्ष्मी पूजन करें।
दान दक्षिणा: गुड़, तिल और मेवे की मिठाइयां बांटे और मसूर की दाल व तांबे के बर्तनों का दान करें।
लक्ष्मी मंत्र: ओम श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये, प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ओम महालक्षम्ये नम:।
वृष राशि
लक्ष्मी पूजन: लक्ष्मी पूजन में गुग्गुल का धूम्र, शहद, नागकेसर, गुड़ धान का लावा और धनिया के बीजों को कमलगट्टे के साथ अर्पित करें।
दान-दक्षिणा: चावल, श्रृंगार सामग्री, श्वेत वस्त्र का दान और छोटी कन्याओं को उपहार दें।
लक्ष्मी मंत्र: ओम ऐं ह्रीं ऐं नम:।
मिथुन राशि
लक्ष्मी पूजन: अपराजिता की जड़, कमल पुष्प, काला तिल, चमेली का पुष्प, गुलाब के इत्र, जटामासी के धूएं और कमलगट्टे से लक्ष्मी पूजन करना सुख प्रदान करेगा।
दान दक्षिणा: बेसन के लड्डू, काले वस्त्र, गुड़ और गेहूं का दान करें।
लक्ष्मी मंत्र: ओम श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये, प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ओम महालक्षम्यै नम:।
कर्क राशि
लक्ष्मी पूजन: लक्ष्मी पूजन में गुग्गुल का धूम्र, शहद, नागकेसर, गुड़ और धनिया के बीजों को कमलगट्टे के साथ अर्पित करें।
दान दक्षिणा: दही, दूध, चावल, चीनी, मिसरी का दान करें।
लक्ष्मी मंत्र: ओम श्रीं ह्रीं श्रीं श्रिये नम:।
सिंह राशि
लक्ष्मी पूजन: अपराजिता की जड़, श्वेत वस्त्र, कमल और चमेली पुष्प, गुग्गुल के धूम्र और काले तिल से लक्ष्मी का पूजन आत्मिक सुख देग।
दान दक्षिणा: लाल वस्त्र, ताबे के बर्तन, गेहूं, जौ, लाल चंदन का दान करना आपके लिए शुभ फलदायी होगा।
लक्ष्मी मंत्र: ओम ऐं ह्रीं ऐं नम:।
कन्या राशि
लक्ष्मी पूजन: दक्षिणवर्ती शंख पर रोली से लक्ष्मी बीज मंत्र श्रीं और माया बीज मंत्र ह्रीं लिखकर लक्ष्मी सूक्त, गुलाब के इत्र, काले तिल, कमलगट्टे, जटामासी के धूएं से लक्ष्मी माता की पूजा करें।
दान दक्षिणा: बेसन के लड्डू, काले वस्त्र, गुड़ और गेहूं का दान लाभ का मार्ग प्रशस्त करेगा।
लक्ष्मी मंत्र: ओम श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ओम महालक्षम्यै नम:।
तुला राशि
लक्ष्मी पूजन: 51 बार सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करके पंचरत्न, गुलाबी वस्त्र, गुलाब फूल, गुलाब इत्र, अनार, कमलगट्टे और धान के लावे से देवी लक्ष्मी का पूजन करें।
दान-दक्षिणा: सफ़ेद तिल और नारियल का मिष्ठान, चावल, सुगंध और श्वेत वस्त्र का दान करें।
लक्ष्मी मंत्र: ओम महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।
वृश्चिक राशि
लक्ष्मी पूजन: लाल वस्त्र, कमल पुष्प, चमेली का इत्र, अनार और अक्षत से लक्ष्मी माता का पूजन सुख प्रदान करेगा।
दान-दक्षिणा: गुड़ व तिल से बनी मिठाई। तांबे का बर्तन, मसूर की दाल और लाल वस्त्र का दान करें लाभ होगा।
लक्ष्मी मंत्र: ओम ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं अष्टलक्ष्मयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नम: स्वाहा।
धनु राशि
लक्ष्मी पूजन: कमल फूल, अपराजिता की जड़, गुलाब इत्र, अनार, शहद और काले तिल से लक्ष्मी माता का पूजन करें।
दान-दक्षिणा: चने, केले, गुड़, गेहूं तथा बेसन के लड्डू का दान लाभ प्रदान करेगा।
लक्ष्मी मंत्र: ओम श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ओम ।
मकर राशि
लक्ष्मी पूजन: बताशे, अपराजिता की जड़, काले तिल, लाल कनेर और धान का लावा के साथ पूजन करें।
दान-दक्षिणा: तेल के खाद्य पदार्थ, काले वस्त्र, लोहे की वस्तुओं का दान करें।
लक्ष्मी मंत्र: ओम ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्मी नम:
कुंभ राशि
लक्ष्मी पूजन: अपराजिता और मदार या आक की जड़, एकाक्षी नारियल, पंचरत्न, धान का लावा, और चमेली के इत्र से पूजन करें।
दान-दक्षिणा: कपिला गाय को हरी घास अर्पित करें।
लक्ष्मी मंत्र: ओम हृीं ऐं क्लीं श्रीं।
मीन राशि
लक्ष्मी पूजन: लौंग, इलायची, पान, कपूर, गुड़, धनिया, अक्षत और पंचरत्न से पूजन करें।
दान-दक्षिणा: दाल, चने, केले, गुड़, तथा गेहूं का दान लाभ प्रदान करेगा।
लक्ष्मी मंत्र: ओम ह्रीं क्लीं श्रीं श्रिये नम:।