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पत्थलगड़ी के पैरोकारों में गहरा रहा मतभेद

प्रदीप सिंह, रांची : खूंटी में पत्थलगड़ी के बहाने वर्चस्व स्थापित करने की मुहिम में लगे स्वयंभू नेताओ

By JagranEdited By: Published: Tue, 08 May 2018 05:07 PM (IST)Updated: Tue, 08 May 2018 05:07 PM (IST)
पत्थलगड़ी के पैरोकारों में गहरा रहा मतभेद
पत्थलगड़ी के पैरोकारों में गहरा रहा मतभेद

प्रदीप सिंह, रांची : खूंटी में पत्थलगड़ी के बहाने वर्चस्व स्थापित करने की मुहिम में लगे स्वयंभू नेताओं के बोल विरोधाभासी हैं। आदिवासी महासभा के प्रमुख विजय कुजूर की सरपरस्ती में आगे बढ़ने वाली बबीता कच्छप उसकी गिरफ्तारी के बाद अलग राय भी रखने लगी है। बताते चलें कि गिरफ्तारी के बाद विजय कुजूर ने विवादित शख्स जोसेफ पूर्ति के बारे में पुलिस को कहा था कि वह अति महत्वाकांक्षी है और आदिवासियों को गलत जानकारी देकर सरकार और गैर आदिवासियों के खिलाफ भड़का रहा है। इससे इतर बबीता कच्छप युसूफ पूर्ति को आदिवासी महासभा का शेर बताती फिर रही है। पुलिस की नजरों से बचती फिर रही बबीता ने सोशल साइट्स पर उसे आदिवासियों की आवाज और आदिवासी महासभा का शेर दिल बताया है।

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गौरतलब है कि खूंटी के चुनिंदा गांवों में सक्रिय युसूफ पूर्ति बच्चों को स्कूल नहीं भेजने, पोलियो और अन्य टीकाकरण का विरोध और गैर आदिवासियों को गावों में नहीं घुसने देने की बात कहता है। विजय कुजूर ने पुलिस के समक्ष स्वीकार किया है कि आदिवासी महासभा में जोसेफ पूर्ति जैसे कुछ महत्वाकाक्षी लोग उससे भी चार कदम आगे निकल गये हैं। देशद्रोह सहित कई संगीन मामलों के नामदर्ज आरोपी विजय कुजूर ने यह भी कहा था कि जोसेफ आदिवासियों को गलत पाठ पढ़ा रहा है।

पुलिस को भी दे रही चुनौती :

आदिवासी महासभा के प्रमुख विजय कुजूर की गिरफ्तारी के बाद पुलिस का अभियान ठंडा पड़ गया लगता है। बबीता कच्छप पर कई संगीन आरोप हैं और वह भागी फिर रही है। इस दौरान वह पड़ोसी राज्यों समेत रांची में भी सक्रिय रहती है लेकिन उसे गिरफ्तार करने में पुलिस नाकाम रही है।

भड़काऊ शब्दों का कर रही इस्तेमाल :

बबीता कच्छप आदिवासी महासभा के पत्थलगड़ी कार्यक्रमों के दौरान काफी सक्रिय रही। उसने खूंटी के आला प्रशासनिक अधिकारियों को बंधक बनाने में भी अग्रणी भूमिका निभाई थी। उस दौरान वह लगातार लोगों को भड़काती रही। सोशल साइट्स के माध्यम से उसका अभियान अब भी जारी है। वह लगातार सक्रिय है और अपनी बातें लोगों तक पहुंचा रही है। उसने फंड इकट्ठा करने की भी मुहिम चला रखी है। वह द्विअर्थी संवादों का उपयोग विरोधियों के लिए करती है जिसमें गालीगलौज तक का समावेश होता है।


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