Move to Jagran APP

अब वज्रपात से पहले मोबाइल पर आएगा अलर्ट, ये नई तकनीक बचाएगी लोगों की जान

झारखंड में आसमानी बिजली गिरने की आशंका जताने वाली सूचनाएं प्रसारित की जाएंगी। आपदा प्रबंधन विभाग ने तैयार किया है सॉफ्टवेयर। यहां विस्‍तार से जानें इसके बारे में।

By Alok ShahiEdited By: Published: Tue, 02 Jul 2019 07:18 AM (IST)Updated: Tue, 02 Jul 2019 08:04 PM (IST)
अब वज्रपात से पहले मोबाइल पर आएगा अलर्ट, ये नई तकनीक बचाएगी लोगों की जान
अब वज्रपात से पहले मोबाइल पर आएगा अलर्ट, ये नई तकनीक बचाएगी लोगों की जान

रांची, [दिलीप कुमार]। झारखंड वज्रपात से प्रभावित राज्यों में है। अब नई तकनीक यहां के लोगों की जान बचाएगी। गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग की आपदा विभाग ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर डेवलप किया है, जिससे वज्रपात के आधे घंटे पहले संबंधित क्षेत्र के मोबाइल टावर से संबद्ध सभी मोबाइलों में अलर्ट मैसेज चला जाएगा। आपदा विभाग का यह साफ्टवेयर इंटरनेट के माध्यम से मौसम विभाग से जुड़ा हुआ है। ऐसे में झारखंड में आसमानी बिजली गिरने की आशंका जताने वाली सूचनाएं समय रहते प्रसारित की जाएंगी। आपदा प्रबंधन विभाग ने तैयार किया है सॉफ्टवेयर। झारखंड में आसमानी बिजली गिरने की क्यों होती हैं ज्यादा घटनाएं,

loksabha election banner
  • आपदा प्रबंधन विभाग ने तैयार किया साफ्टवेयर, चल रहा ट्रायल

  • मौसम विभाग से लिंक है आपदा विभाग की वेबसाइट

  • जिला के साथ वज्रपात संभावित गांव का नाम तक बताएगा साफ्टवेयर

  • क्षेत्र के मोबाइल टावर से कनेक्टेड सभी मोबाइल पर चला जाएगा अलर्ट

  • अगले साल से झारखंड को मिलने लगेगा लाभ

इसकी खासियत है कि सिर्फ जिले तक ही नहीं, बल्कि गांव के नाम के साथ लोकेशन तक की सूचना वज्रपात के आधे घंटे पहले आपदा विभाग को बता देगा। अब आपदा विभाग संबंधित गांव के मोबाइल टावर के माध्यम से संबद्ध सभी मोबाइलों पर यह मैसेज फ्लैश कर देगा कि सतर्क हो जाएं, वज्रपात होने वाला है। यह साफ्टवेयर इस साल के अंत तक पूरी तरह काम करना शुरू कर देगा। इसपर दस दिनों के बाद ट्रायल शुरू होना है। इसका लाभ भी अगले साल से झारखंड को मिलने लगेगा।

मानसून सक्रिय होते ही चार दिनों में वज्रपात से जा चुकी है 28 जान

झारखंड में मानसून सक्रिय होते ही चार दिन के भीतर 28 लोगों की मौत वज्रपात से हो चुकी है। ये मौतें रांची, पलामू, चतरा, पश्चिमी सिंहभूम, गिरिडीह, लातेहार, लोहरदगा व गुमला सहित कई जिलों में हुई हैं।

झारखंड के इन जिले में होती हैं वज्रपात की ज्यादा घटनाएं

झारखंड के 24 में से 15 जिले वज्रपात प्रभावित हैं। भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से इन जिलों में वज्रपात की घटनाएं ज्यादा होती हैं। इन जिलों में रांची, खूंटी, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, धनबाद, सरायकेला-खरसावां, लातेहार, दुमका, देवघर, रामगढ़, चतरा, कोडरमा और हजारीबाग शामिल हैं। हर साल इन इलाकों में दर्जनों लोगों को वज्रपात की चपेट में आकर जान गंवाना पड़ता है।

ये हैं कारण

पठारी क्षेत्र होने की वजह से झारखंड के ऊंचाई वाले इलाके वज्रपात की चपेट में ज्यादा आते हैं। इसके अलावा यहां के ऊंचे पेड़ और जमीन के नीचे दबे लोहा जैसे खनिज भी आसमानी बिजली को आकर्षित करते हैं।

बचाव के लिए जागरूकता और सावधानी भी जरूरी

पर्यावरणविद नीतिश प्रियदर्शी बताते हैं कि झारखंड में वज्रपात की घटनाओं में जागरूकता की कमी से भी मौत हो रही है। पेड़ और पानी बिजली को आकर्षित करते हैं। इसलिए बिजली कड़कते समय ऊंचे पेड़ के नीचे या खेत में अथवा किसी जलाशय के पास रहने से परहेज करें। बिजली कड़क रही हो तो बाहर न निकलें, कड़कने के आधे घंटे बाद तक भी न निकलें।

'वज्रपात से हो रही मौतों को रोकने के उद्देश्य से एक साफ्टवेयर तैयार किया गया है। इससे सुदूर गांव तक की जानकारी वज्रपात से पूर्व विभाग को मिल जाएगी। इसके बाद उक्त गांव के मोबाइल टावर के संपर्क के सभी मोबाइलों पर अलर्ट मैसेज चला जाएगा। यह व्यवस्था साल के अंत तक पूरी तरह शुरू हो जाएगी।Ó

मनीष कुमार, संयुक्त सचिव, आपदा प्रबंधन विभाग।

हाल के दिनों में झारखंड में वज्रपात की घटनाएं बढ़ी हैं। यह चिंता का विषय है। साथ ही यह वायुमंडल के प्रदूषण से भी जुड़ा है। पर्यावरण वैज्ञानिक इस पर शोध कर रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग व अन्य कारणों से अब बादल अपेक्षाकृत कम ऊंचाई पर बनने लगे हैं। इस निचली सतह में बनी बिजली ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है। नीतिश प्रियदर्शी, पर्यावरणविद, रांची।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.