एक ऐसा रेलवे स्टेशन जो है दो राज्यों की सीमा में, अप लाइन झारखंड तो डाउन लाइन बिहार में; जानें
Jharkhand Koderma News Railway Updates हावड़ा-नई दिल्ली ग्रैंड कार्ड सेक्शन का दिलवा रेलवे स्टेशन दो राज्यों की भौगोलिक सीमा में स्थित है। दोनों लाइन के बीच सीमा का बोर्ड गड़ा हुआ है। स्टेशन के करीब 600 मीटर की दूरी पर सुरंग बना हुआ है।
कोडरमा, [अनूप कुमार]। दोनों तरफ घने जंगल व वनाच्छादित पहाड़। प्रकृति की शांत व सुरम्य वादियों के बीच से गुजरती देश की सबसे महत्वपूर्ण हावड़ा-नई दिल्ली ग्रैंड कार्ड सेक्शन रेलवे लाइन। बिहार के गया जंक्शन से झारखंड के कोडरमा में आने के दौरान गुरपा स्टेशन पार करते ही करीब दो-तीन किलोमीटर की दूरी के अंतराल पर इन्हीं पहाड़ों के बीच से ट्रेन तीन सुरंगों से होकर गुजरती है। अंतिम सुरंग पार करते ही आता है एक छोटा सा रेलवे स्टेशन दिलवा। भौगोलिक दृष्टिकोण से इस स्टेशन की स्थिति बड़ी अजीबोगरीब है।
यहां से गुजरनेवाली ग्रैंड कार्ड रेलवे लाइन दो राज्यों की सीमा में है। स्टेशन पर अप लाइन और अप लूप लाइन झारखंड की सीमा में है, जबकि डाउन लाइन और डाउन लूप लाइन बिहार राज्य की सीमा में। डाउन लाइन के बगल में स्टेशन का भवन है जो बिहार राज्य में पड़ता है। यहां दोनों लाइन के बीच में दोनों राज्यों की सीमा का बोर्ड भी लगा है। इसमें तीर के निशान से एक तरफ झारखंड और दूसरी तरफ बिहार की सीमा दर्शाई गई है।
बिहार में यह नवादा जिलांतर्गत रजौली थाना की सीमा को छूता है। वहीं दूसरी तरफ झारखंड के कोडरमा जिलांतर्गत चंदवारा की थाना की सीमा को। स्टेशन के करीब 600 मीटर की दूरी पर ऊंची पहाड़ी को काटकर ब्रिटिश शासन काल के दौरान ही यह सुरंग बना था। सुरंग में से केवल दो लाइन गुजरती है। यहां अप लाइन झारखंड की सीमा में और डाउनलाइन बिहार की सीमा में है। लेकिन सुरंग को पार करते ही बिहार के गया जिला की सीमा शुरू हो जाती है। दिलवा स्टेशन से 3.89 किमी की दूरी पर नाथगंज हाल्ट बिहार के गया जिला में पड़ता है।
दिलवा के स्टेशन मास्टर प्रवीण कुमार बताते हैं कि दो राज्यों की सीमा पर होने के कारण किसी तरह की घटना होने पर दोनों राज्यों की पुलिस पहुंच जाती है और कहीं-कहीं सीमा का निर्धारण एक चुनौती बन जाती है। फिलहाल यहां स्टेशन के बगल में ही कोडरमा तिलैया रेलवे लाइन का कार्य चल रहा है, जिसकी ब्लास्टिंग के कारण पत्थर के टुकड़े स्टेशन भवन पर आकर गिरते हैं। इससे स्टेशन भवन कई जगहों पर क्षतिग्रस्त हो गया है। स्थानीय पोर्टर व रेलकर्मियों के अनुसार पूर्व में यहां आसपास के इलाके में उग्रवादियों का बसेरा होता था, लेकिन अब वैसी बात नहीं है।
दो दर्जन गांवों के लोगों के आवागमन का साधन है रेल
वैसे तो दिलवा स्टेशन पर मात्र दो पैसेंजर ट्रेन का ही ठहराव है। इनमें आसनसोल-वाराणसी पैसेंजर और धनबाद-गया ईएमयू पैसेंजर। गया-धनबाद इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव केवल अप लाइन में है। यानी इससे केवल धनबाद की ओर जा सकते हैं। यह सुविधा मुख्यत: रेलकर्मियों के लिए दी गई है। स्टेशन के आसपास बिहार व झारखंड के करीब दो दर्जन छोटे-छोटे गांव अवस्थित हैं। यहां के लोगों के लिए आने-जाने का एकमात्र साधन रेलवे ही है। यहां ठहरने वाले पैसेंजर ट्रेनों के माध्यम से ही लोग कोडरमा स्टेशन आते-जाते हैं।
स्थानीय भाजपा नेता और लंबे समय से इलाके में राजनीति कर रहे चंद्रभूषण साव बताते हैं कि यहां रेलवे लाइन के एक तरफ चंदवारा (झारखंड) का बेंदी पंचायत है। बेंदी पंचायत के घोड़टप्पी, बेंदी, सिंदरी, ओकरचुआं, चोरीचट्टान, बोंगादाग जैसे गांव स्टेशन के आसपास हैं। दूसरी तरफ बिहार के रजौली प्रखंड का हल्दिया पंचायत का दिलवा, चोरडीहा, नावाडीह, झराही जमुंदाहा जैसे गांव हैं। लोगों की आजीविका का मुख्य साधन जंगल से माइका चुनना और लकड़ी चुनना है।