बीएयू:: ज्ञान पाया खेती-बारी का, कॉरपोरेट में नौकरी
जागरण संवाददाता रांची कभी झारखंड की शान समझा जाने वाला एशिया का सबसे बड़ा कृषि विश्वविद्यालय में कार्यक्रम आयोजित हुआ।
जागरण संवाददाता, रांची : कभी झारखंड की शान समझा जाने वाला एशिया का सबसे बड़ा कृषि विश्वविद्यालय बदहाल होता जा रहा है। विश्वविद्यालय शिक्षकों व वैज्ञानिकों की कमी से जूझ रहा है। यहां साल 2004 के बाद से एक भी स्थाई बहाली नहीं हुई है। पिछले कुछ सालों में विश्वविद्यालय ने सात नए कॉलेज खोले। मगर सभी कॉलेज में ठेके पर बहाल शिक्षक क्लास ले रहे हैं। इससे छात्रों को दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। झारखंड के गठन के पहले कॉलेज में शिक्षक और वैज्ञानिकों की बहाली विश्वविद्यालय के हाथों में थी, मगर अब यह जिम्मेदारी जेपीएससी की है। बुधवार को दैनिक जागरण द्वारा छात्रों की परेशानी और उनके चुनावी मुद्दों को जानने के लिए चौपाल का आयोजन किया गया। इसमें छात्रों ने खुलकर अपनी राय रखी। कृषि शिक्षा के बाद रोजगार बना संकट
राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत कृषि से जुड़े सैकड़ों पद खाली हैं। इसके बाद भी छात्र पढ़ाई के बाद अपने फिल्ड से अलग कॉरपोरेट हाउस में काम करने को मजबूर हैं। झारखंड में फूड इंडस्ट्रीज की कमी है। बीएयू में मड़ुआ और मोटे अनाज के विकास के लिए कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। मगर इनकी बिक्री के लिए हमारे यहां बाजार ही नहीं है। विश्वविद्यालय की छात्रा प्रिया पल्लवी ने कहा रोजगार तो दूर की बात है राज्य में कंपनी नहीं होने से प्रशिक्षण लेने के लिए भी दूसरे राज्य में जाना पड़ता है। नाममात्र की मिलती है स्कॉलरशिप-
विश्वविद्यालय के पीएचडी छात्रों को नाममात्र की स्कॉलरशिप दी जाती है। इसे लेकर छात्रों ने कई बार कुलपति से शिकायत भी की। मगर स्कॉलरशिप रिवीजन की बात आज तक चल रही है। मनीषा कुमारी ने कहा कि स्टेट परीक्षा से आए छात्रों को पीएचडी में तीन हजार रुपये मिलते है जो अन्य राज्य की अपेक्षा काफी कम है। कैंपस की सुरक्षा भगवान भरोसे-
बीएयू का कैंपस विशाल है। इसमें प्रवेश के कई रास्ते हैं। इसमें ज्यादातर पर रात में सुरक्षा गार्ड खड़े नहीं रहते हैं। इसके साथ ही आसपास के इलाके में पुलिस की पेट्रोलिंग भी नहीं के बराबर होती है। इससे वहां रहने वाले छात्रों और कर्मचारियों को काफी परेशानी होती है। कैंपस के काके रोड पर बनी दीवार सड़क से महज कुछ फीट ही ऊंची है। इस पार करके अकसर असामाजिक तत्व कैंपस में घुस जाते हैं और कॉलेज के फार्म लैंड को नुकसान पहुंचाते हैं।