Devutthana Ekadashi: देवोत्थान एकादशी से शुरू होंगे मांगलिक कार्य, जानें इस दिन क्यों होता है तुलसी विवाह
Devutthana Ekadashi Date 2020 News जब 148 दिनों बाद चिर निद्रा से भगवान विष्णु बाहर आएंगे उस दिन तुलसी विवाह किया जाता है। भगवान विष्णु एक जुलाई हरिशयनी एकादशी तिथि को पाताल लोक आराम करने चले गए थे।
रांची, जासं। जगत के पालनहार भगवान विष्णु 148 दिनों बाद 26 नवंबर एकादशी को चिर निद्रा त्यागेंगे। भगवान विष्णु एक जुलाई हरिशयनी एकादशी तिथि को पाताल लोक आराम करने चले गए थे। इसके बाद से पूजा-अर्चना आदि शुभ कार्य बंद हैं। भगवान के पुन: जागरण तिथि को देवोत्थान एकादशी कहा जाता है। इस दिन से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना दोबारा आरंभ हो जाएगी।
शादी-ब्याह भी आरंभ होगा। इस दिन तुलसी विवाह भी होता है। मान्यतानुसार देवाेत्थान एकादशी के दिन ही भगवान शालिग्राम के साथ माता तुलसी का विवाह होता है। भगवान के पाताल लोक से वापस आने की खुशी में घर-घर में पूजा अर्चना होगी। भगवान के स्वागत में आंगन में अहिपन किया जाता है। मीठे पकवान बनते हैं। इस दिन गरीबों को दान-दक्षिणा विशेष फलदायी माना गया है। बड़ी संख्या में लोग देवाेत्थान एकादशी का व्रत भी रखते हैं।
दीपावली के दिन भगवान विष्णु के बिना होती है मां लक्ष्मी की पूजा
पंडित अरुण मिश्रा के अनुसार हरिशयनी एकादशी के बाद नियमत: भगवान विष्णु की पूजा नहीं होती है। सामान्यतया मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा का विधान है लेकिन देवोत्थान एकादशी से पूर्व ऐसा संभव नहीं है। ऐसे में दीपावली के दिन मां लक्ष्मी की तो पूजा होती है, लेकिन विष्णु की नहीं। मां लक्ष्मी के साथ प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा होती है।
देवोत्थान एकादशी के बाद दोबारा मां लक्ष्मी और विष्णु की पूजा अर्चना होती है। मान्यता है कि भगवान विष्णु हरिशयनी एकादशी तिथि को चार मास के लिए पाताल लोक में आराम करते हैं। हालांकि, इस बार अधिकमास होने के कारण भगवान विष्णु ने एक माह अतिरिक्त पाताल लोक में बिताया।