अपना घर होने के बावजूद 30 साल से किराएदार बने हैं 65 साल के बुजुर्ग, लगा रहे कोर्ट-कचहरी का चक्कर
Jharkhand News लालू राम मेन रोड प्रधान टावर स्थित बैंक ऑफ इंडिया के जोनल कार्यालय के नीचे चाय दुकान चला कर अपनी जीविका चलाते हैं। दरअसल लालू राम का अपना घर होते हुए भी बेघर हैं वे किराएदार रहकर जिंदगी जी रहे।
रांची, जासं। रांची के चुटिया मुचकुंद टोली में रहने वाले 65 साल के बुजुर्ग लालू राम आए दिन थाने, एसएसपी कार्यालय और कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाते नजर आते हैं। वे एक थैले में मोटी फाइलें लेकर घूमते नजर आते हैं। यह सिलसिला लंबे समय से चलता आ रहा है। लालू राम मेन रोड प्रधान टावर स्थित बैंक ऑफ इंडिया के जोनल कार्यालय के नीचे चाय दुकान चला कर अपनी जीविका चलाते हैं। दरअसल लालू राम का अपना घर होते हुए भी बेघर हैं, वे किराएदार बनकर अपनी जिंदगी जी रहे।
उन्होंने वर्ष 1987 में पौने दो कट्ठा (1097 स्क्वायर फीट) जमीन खरीदी थी। इस जमीन को मालिक बंशी पांडे, श्रीधर पांडे और अयोध्या पांडे से छह हजार की कीमत तय कर चार हजार एडवांस पेमेंट कर खरीदारी की थी। बात जब रजिस्ट्री की पहुंची तो जमीन मालिकों की ओर से टालमटोल किया जाता रहा। आखिर में लालू राम ने एक लीगल नोटिस भेजवाया। इसके बाद वर्ष 1990 में मुंसिफ कोर्ट में जमीन की रजिस्ट्री के लिए अर्जी दाखिल की।
मामला कोर्ट में चल ही रहा था, इस बीच 28 जून 1991 को रामप्रताप महतो और उनके साथ करीब 20 लोग घर में जबरदस्ती घुस गए और सामानों को बाहर फेंक दिया। बोला गया कि इस जमीन को हम लोगों ने खरीद लिया है, तुम्हें केवल एग्रीमेंट किया गया है। इसकी सूचना तत्काल चुटिया थाना प्रभारी को दी गई। इस सूचना के बाद चुटिया थाने की पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार भी किया था। इधर, फिर रांची के एसएसपी, डीसी, एसडीएम सहित कई सक्षम अधिकारियों को आवेदन देकर अपनी संपत्ति पर अधिकार दिलाने के लिए आवेदन देकर गुहार लगाई है।
कोर्ट से आया फैसला और कराई गई रजिस्ट्री
मुंसिफ कोर्ट में दायर याचिका पर वर्ष 1995 में कोर्ट का फैसला आया और बकाया पैसा देकर रजिस्ट्री का आदेश दिया गया था। इस आदेश के विरोध में रामप्रताप महतो ने अपील वाद दायर कर दी। इसे हाई कोर्ट की ओर से निरस्त कर दिया गया था। बाद में जमीन और मकान की प्राप्ति के लिए मुंसिफ कोर्ट में वर्ष 2004 में लालू राम की ओर से दोबारा एक याचिका दायर की गई। इसमें रामप्रसाद महतो की रजिस्ट्री को खारिज करते हुए जमीन और मकान की रजिस्ट्री 19 सितंबर 2008 को लालू राम के नाम से करा दिया गया।
इसकी रजिस्टर्ड डीड संख्या 18877/16554 है। रजिस्ट्री हो जाने के बावजूद लालू राम को उनकी जमीन वापस नहीं मिल पाई। दखल भी नहीं मिला। उल्टे उनके परिवार को धमकाया और प्रताड़ित किया जाता रहा। अब वे वर्ष 2010 टाइटल सूट की लड़ाई लड़ रहे हैं। लाचार और मजबूर बुजुर्ग परेशान होकर थाने का सहयोग लेने के लिए भटकते रहते हैं।
रजिस्ट्री उनके नाम से है, संबंधित जमीन पर खुद का बनाया हुआ मकान भी है। लेकिन वह दूसरे के घर में किराये पर रहने को मजबूर हैं। अब उनकी जमीन पर निर्माण कार्य भी शुरू हो गया है। इसकी सूचना भी पुलिस और प्रशासन को दी है। लेकिन पुलिस प्रशासन के स्तर पर उन्हें कोई सहयोग नहीं मिल पा रहा है।
लालू राम बोले, जीते जी अपने बच्चों को घर में शिफ्ट कराऊंगा
लालू राम अभी हिम्मत नहीं हारे हैं। उनका कहना है कि अपनी गाढ़ी कमाई से खरीदी जमीन की लड़ाई उनके स्वाभिमान की लड़ाई है। वह 30 सालों से न्याय के लिए लड़ते आ रहे हैं। न्यायिक व्यवस्था पर उन्हें पूरा भरोसा है। जीते जी वह अपने बच्चों को संबंधित जमीन और संपत्ति पर शिफ्ट कराएंगे। फिलहाल उन्होंने पुलिस प्रशासन से सहयोग की गुहार लगाई है।