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बेटी ने बढ़ाया मान, पिता को मिला सम्मान

आज के दौर में यह साबित हो गया है कि परिवार का मान-सम्मान बढ़ाने के लिए बेटे का होना कोई जरूरी नहीं है। बेटियां भी मां-बाप को सम्मान दिलाने में कहीं पीछे नहीं हैं।

By Edited By: Published: Fri, 15 Feb 2019 02:00 AM (IST)Updated: Fri, 15 Feb 2019 02:04 AM (IST)
बेटी ने बढ़ाया मान, पिता को मिला सम्मान
बेटी ने बढ़ाया मान, पिता को मिला सम्मान
रांची (तोरपा) : सुभानी भेंगरा की कामयाबी उन तमाम लोगों को करारा जवाब है जो यह मानते हैं कि बेटियां बेटों से कमतर होती हैं। कुल का नाम तो बेटे ही रोशन करते हैं। सुभानी के पिता संजय भेंगरा भी कुछ ऐसी ही सोच रखते थे। हालांकि बेटी के चैंपियन बनने के बाद लोगों की मिली बधाइयों से अब उनकी सोच बदल गई है। उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता था कि मेरे घर कोहिनूर है। बेटा न होने का मलाल तो था लेकिन अब कोई गम नहीं। बेटी ने गर्व से सीना चौड़ा कर दिया है। सुभानी उन 18 लड़कियों में शामिल है जिसने केरल में हुई प्रतियोगिता में पिछले दिनों जूनियर हॉकी राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीती है। राज मिस्त्री का काम कर परिवार का भरण-पोषण करने वाले संजय भेंगरा तोरपा प्रखंड के जरिया पंचायत अंतर्गत तिरला गांव में रहते हैं। अपनी बेटी के बारे में बताते हुए कहते हैं कि वह पढ़ाई के साथ-साथ फुटबॉल व हॉकी खेलने में काफी रुचि रखती थी। स्थानीय सरकारी स्कूल में बचपन से पढ़ रही सुभानी हमेशा खेल में काफी मन लगाती थी। टीवी में खेलते हुए खिलाड़ियों को देखकर बोलती थी कि पापा क्या कभी मैं भी खेलते हुए टीवी पर दिखाई पड़ूंगी। तब मैं यही सोचता था कि मेरे जैसे गरीब पिता की पुत्री उस मुकाम तक कैसे पहुंचेगी। लेकिन बेटी की जिद पर मैंने स्थानीय कैकेया के हॉकी कोच मनसिद्ध भेंगरा से बात की। वे मेरी बेटी के खेल को देखकर दंग रह गए। कोच ने उसे रांची स्थित साई सेंटर खेल प्राधिकरण (साई) में को¨चग के लिए भेजने को कहा। उनकी बात मान मैंने उसे साई के चयन ट्रायल में भेजा। उसके खेल से साई के हॉकी प्रशिक्षक मोहंती सर काफी प्रभावित हुए। साई में चयन होने के बाद वह पूरी तरह हॉकी में रम गई। वहीं से पिछले दिनों वह स्टेट टीम में सेलेक्ट होकर केरल के कोल्लम पहुंच गई। यहां उसकी टीम ने हरियाणा को हराकर हॉकी का नेशनल खिताब जीत लिया। उसकी इस सफलता पर पूरा गांव खुश है। पिता ने यह भी कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि सुभानी आगे चलकर और बेहतर करेगी। नेशनल टीम में आकर वह भारत के लिए सोना जीते यही उनकी तमन्ना है। इच्छा जताई कि सरकार को भी इन लड़कियों के लिए बेहतर ट्रेनिंग की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि प्रतिभा और आगे बढ़े।

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