Palamu In Danger : पलामू में बांस- बल्ली के सहारे बिजली आपूर्ति, हर-पल दुर्घटनाओं को दे रहे आमंत्रित
पलामू जिला में आज भी पेड़ व बांस के सहारे बिजली आपूर्ति की जा रही है। कहीं लोहा- सीमेंट के पोल तो कहीं बांस-बल्ली के सहारे जोखिम भरे पल के साथ विद्युत आपूर्ति की जरूरत पूरी होती दिखती है।
पलामू जासं। पलामू में विद्युत आपूर्ति की कहानी निराली है। पलामू जिला में आज भी पेड़ व बांस के सहारे बिजली आपूर्ति की जा रही है। कहीं लोहा- सीमेंट के पोल तो कहीं बांस-बल्ली के सहारे जोखिम भरे पल के साथ विद्युत आपूर्ति की जरूरत पूरी होती दिखती है। इससे किसान परेशान हैं। पलामू जिला के विभिन्न प्रखंडों के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में बांस- बल्ली के सहारे ही लोग अपने घरों व जलाशयों तक बिजली तार ले गए हैं । यह मौत को दावत भी देता है।
इसी जाेखिम भरे जुगाड़ के सहारे उनका घर प्रकाशमय होता है। साथ ही खेतों का पटवन होती है। कहीं-कहीं तो 1 से 2 किलोमीटर या इससे भी अधिक दूरी तक बांस-बल्लियों के सहारे विद्युत तार बांधकर ले जाते हैं। बिजली विभाग का दावा ग्रामीण विद्युतीकरण का दावा खोखला साबित हो रहा है। पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर से 10 किमी दूर बिजली पोल के अभाव में बांस और पेड़ के सहारे ग्रामीण अपने घरों में बिजली जला रहे हैं। साथ खेतों में पटवन कर रहे हैं।
यह उपाय हर-पल दुर्घटनाओं को आमंत्रित कर रहा है। पलामू में अक्सर खेत में झूल रहे व गिरे बिजली तार के करंट से किसानों की मौत होती रहती है। इधर गांवों में निर्वाध विद्युत आपूर्ति भी नहीं हो रही है। इस कारण किसान परेशान हैं । ग्रामीण क्षेत्रों में 10 से 12 घंटे ही बिजली मिल रही है। अधिकांश गांव ऐसे है कि रातभर बिजली गुल रहती है। पलामू में निर्वाध विद्युत आपूर्ति के लिए 55 मेगावाट बिजली की जरूरत है।
सूत्रों के अनुसार अभी पलामू 35 से 40 मेगावाट ही बिजली मिल रही है। बिजली आपूर्ति में शहर को प्राथमिकता मिलती है। इस कारण ग्रामीण उपभोक्ताओं तक बिजली नहीं पहुंच रही है। इधर गामीण क्षेत्रों में बिजली मिस्त्री का अभाव है। इससे बिजली फॉल्ट मरम्मत का कार्य कई दिनों तक नहीं हो पाता है। शहरी क्षेत्रों में फाल्ट मरम्मत एकाध घंटा में हो जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त बिजली नहीं मिलने के कारण सिंचाई पटवन प्रभावित हो रहा है। इससे किसान परेशान है।