कोरोना में मदद के नाम पर खाते से उड़ाए लाखों रुपये, 10 दिनों में आए 8 साइबर क्राइम के मामले
दस दिनों के भीतर प्रदेश में आठ ऐसे मामले आ चुके हैं। इनसे निपटने के लिए पुलिस एक्शन में आई भी लेकिन कोरोना वायरस के पीछे विधि व्यवस्था ड्यूटी के चलते कारगर कार्रवाई नहीं हो सकी।
रांची, राज्य ब्यूरो। लॉकडाउन के दौरान सामान्य अपराध में तो कमी आई है लेकिन साइबर अपराधियों ने इसे मौके की तरह इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। घरों में कैद होने के कारण लोग इंटरनेट का इस्तेमाल अधिक कर रहे हैं, यह साइबर अपराधियों के लिए बोनस की तरह है। कोरोना में मदद देने और रिलीफ फंड के नाम पर फर्जीवाड़ा शुरू हो गया है। गुमला से एक व्यक्ति ने पुलिस से ऑनलाइन शिकायत की कि साइबर अपराधियों ने उनसे ऑनलाइन संपर्क किया। उन्हें कोरोना के कारण अपनी समस्या बताई तो मदद का भरोसा मिला। साइबर अपराधियों ने कहा कि आपको हम पैसे भेजेंगे आप एनी डेस्क एप्लीकेशन डाउनलोड कर लीजिए। इसपर जैसे ही ब्योरा लिया खाते से 40 हजार रुपये उड़ गए।
दस दिनों के भीतर पूरे प्रदेश में आठ ऐसे मामले
दस दिनों के भीतर पूरे प्रदेश में आठ ऐसे मामले आ चुके हैं। इनसे निपटने के लिए पुलिस एक्शन में आई भी, लेकिन कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए विधि व्यवस्था ड्यूटी के चलते कारगर कार्रवाई नहीं हो सकी है। ज्यादातर मामलों में कॉल कर साइबर अपराधी हमदर्द बने और मदद के नाम पर खाते से रुपये निकाल लिए। अभी लॉकडाउन के दौरान कुछ लोग ऑनलाइन ट्रांजेक्शन पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, जिसका नतीजा यह हो रहा है कि साइबर अपराधी इसका फायदा उठा रहे हैं। कोरोना रिलीफ फंड के नाम से अनगिनत फर्जी वेबसाइट बना दी गई है, जिसकी जांच चल रही है। उसकेलिंक पर क्लिक करते ही खाते से रुपये निकल जाएंगे।
एनी डेस्क को बना रहे हथियार
एनी डेस्क लोड करने के बाद इससे अटैच होकर साइबर अपराधी आपके सिस्टम को हैक कर लेते हैं और फर्जीवाड़ा को अंजाम देते हैं। बोकारो निवासी रवि ने पुलिस को सूचना दी है कि उन्होंने गूगल पे के हेल्पलाइन नंबर पर कॉल लगाया तो उनसे एनी डेस्क डाउनलोड करवाया गया। पांच अलग-अलग किश्तों में उनके खाते से एक लाख रुपये की निकासी कर ली गई।
साइबर थाना के सुझाव
साइबर अपराधी कोरोना वायरस या कोविड-19 जैसा मिलता-जुलता लिंक, फिशिंग वेबसाइट बनाकर या इस संदर्भ में आपको जानकारी देने के बहाने आपकी निजी जानकारी प्राप्त कर आपको ठग सकते हैं। सतर्क रहें, ऐसी वेबसाइट या लिंक खोलने से बचें। सोशल मीडिया पर प्रकाशित या प्राप्त किसी भी खाते में या ई-वॉलेट में सहायता राशि हस्तांतरित ना करें। इसके लिए केवल अधिकृत विभाग से प्राप्त खाता या ई-वॉलेट का इस्तेमाल करें।