घर बैठे रिमोट कंट्रोल से साइबर अपराधियों ने उड़ाए रुपये
साइबर अपराधी लगातार लोगों के खाते में सेंध लगा रहे हैं। रांची के लालपुर इलाके के विराज नगर पीएनटी कॉलोनी में रहने वाली विभा सिंह के खाते से रुपये उड़ा लिए हैं। उनके खाते से रिमोट कंट्रोल ऐप के जरिए पैसे उड़ाए गए हैं।
रांची, जासं । साइबर अपराधी लगातार लोगों के खाते में सेंध लगा रहे हैं। रांची के लालपुर इलाके के विराज नगर पीएनटी कॉलोनी में रहने वाली विभा सिंह के खाते से 7500 रुपये उड़ा लिया गया। उनके खाते से रिमोट कंट्रोल ऐप के जरिए पैसे उड़ाए गए हैं। इस मामले में विभाग सिंह की ओर से लालपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है। विभा सिंह ने अपनी शिकायत में बताई है कि उन्हें साइबर अपराधी ने कॉल किया था। उसने खुद को बीएसएनएल अधिकारी बताकर कहा बीएसएनएल मोबाइल नंबर का केवाईसी करा लें अन्यथा मोबाइल नंबर बंद हो जाएगा।
उस नंबर पर कॉल करने पर गूगल प्ले स्टोर से एक ऐप डाउनलोड करने के लिए कहा गया। ऐप का नाम केवाईसी क्यूएस क्विक वीवर सपोर्ट है। साइबर फ्रॉड के कहे अनुसार विभा सिंह ने संबंधित ऐप को डाउनलोड कर लिया। इसके बाद 11 रुपये का रिचार्ज किया। इसके बाद उनके खाते से अवैध निकासी हो गई। इसके बाद वह सीधे अपने बैंक पहुंची और खाता बंद करवाया। संबंधित घटना की जानकारी अपने बैंक शाखा को भी दी है। पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि पुलिस के आग्रह पर पीड़ित के पैसे वापस भी हो गए हैं, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
रिमोट कंट्रोल ऐप से मोबाइल या कंप्यूटर पर कब्जा जमा लेते हैं साइबर फ्रॉड
साइबर अपराधी किसी भी मोबाइल या कंप्यूटर पर रिमोट कंट्रोल एप के जरिए कब्जा जमा लेते हैं। एनी डेस्क ऐप, क्विक सपोर्ट, क्विक व्यू, टीम विवर सहित कई ऐसे ऐप हैं जिनके जरिए मोबाइल या कंप्यूटर को रीमोटली एक्सेस किया जा सकता है। ऐसे ऐप मोबाइल में डालते ही संबंधित मोबाइल या कंप्यूटर साइबर अपराधियों के कंट्रोल में हो जाएगा। इसके बाद मोबाइल में मौजूद हर तरह का ऐप या डाटा हैक कर सकते हैं।
ई-वॉलेट, यूपीआइ ऐप सहित अन्य बैंक खातों से जुड़े सभी ऐप को आसानी से ऑपरेट कर रुपये उड़ा रहे हैं। इस ऐप को साइबर अपराधी मदद के नाम पर डाउनलोड करवाते हैं, इसके बाद पूरी मोबाइल पर कब्जा जमा लेते हैं। इसके लिए साइबर अपराधी तब लोगों को कॉल करते हैं, जब कोई बैंक से मदद के लिए गूगल पर टोल-फ्री नंबर ढूंढकर कॉल करते हैं। कॉल करने पर मदद के नाम पर झासे में लेते हैं।