विधानसभा व हाई कोर्ट बनाने से हुए पर्यावरण नुकसान के एवज में देने होंगे 130 करोड़
रांची मनोज सिंह विधानसभा व झारखंड हाई कोर्ट के नए भवन निर्माण के लिए पर्यावरण स्वीकृति नहीं लेने पर राज्य सरकार को 130 करोड़ रुपये मुआवजे के रूप में भुगतान करने होंगे। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने उक्त राशि राज्य सरकार को चुकाने के लिए उत्तरदायी बताया है और इसकी विस्तृत रिपोर्ट एनजीटी में दाखिल की है।
रांची, मनोज सिंह : विधानसभा व झारखंड हाई कोर्ट के नए भवन निर्माण के लिए पर्यावरण स्वीकृति नहीं लेने पर राज्य सरकार को 130 करोड़ रुपये मुआवजे के रूप में भुगतान करने होंगे। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने उक्त राशि राज्य सरकार को चुकाने के लिए उत्तरदायी बताया है और इसकी विस्तृत रिपोर्ट एनजीटी में दाखिल की है। दरअसल, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बिना पर्यावरण स्वीकृति के विधानसभा व हाई कोर्ट के नए भवन निर्माण की शिकायत पर सीपीसीबी के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया था। सीपीसीबी ने उक्त निर्माण से हुए पर्यावरण के नुकसान का आकलन कर मुआवजे की राशि तय की है। इसमें विधानसभा के नए भवन के लिए 49.38 करोड़ रुपये व हाई कोर्ट के 81 करोड़ रुपये मुआवजा देने का निर्धारण किया है, जो कुल 130 करोड़ रुपये होंगे। उक्त राशि अभी तक जमा नहीं करने पर एनजीटी ने राज्य सरकार को शो-कॉज जारी किया है। डॉ. आरके सिंह ने इस संबंध में एनजीटी में याचिका दाखिल की है।
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हाई कोर्ट भवन के लिए अभी तक नहीं ली गई स्वीकृति :
एनजीटी में याचिका दाखिल करने वाले आरके सिंह की मानें तो अभी तक हाई कोर्ट के नए भवन को पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिली है। हालांकि, नए विधानसभा भवन को पर्यावरण की स्वीकृति मिल गई है। इसके पीछे की वजह यह है कि विधानसभा भवन का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी ने किया है, इसलिए उनके कार्यक्रम से पहले पर्यावरण स्वीकृति ली गई है। लेकिन, हाई कोर्ट का मामला अभी भी लटका हुआ है। बता दें कि नए विधानसभा भवन का निर्माण क्षेत्र 56579.5 वर्ग मीटर और हाई कोर्ट का 118552.98 वर्ग मीटर है।
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वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मांगा है जवाब :
एनजीटी ने इस मामले में सुनवाई करते हुए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से पूछा है कि क्या कोई ऐसा प्राविधान है कि निर्माण के बाद भी पर्यावरण स्वीकृति दी जा सकती है। इस मामले में जवाब नहीं दाखिल करने पर एनजीटी ने नाराजगी जताई और मंत्रालय को जवाब देने के लिए अंतिम मौका दिया है।
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इन निर्माणों के लिए पर्यावरण स्वीकृति जरूरी :
पर्यावरण मंत्रालय के नियमानुसार अगर पूरा निर्माण क्षेत्र बीस हजार वर्ग मीटर से ज्यादा है, तो इसको शुरू करने से पहले पर्यावरण स्वीकृति लेनी अनिवार्य है। बिना पर्यावरण स्वीकृति के इसका निर्माण शुरू नहीं किया जा सकता है। लेकिन, झारखंड में रांची, जमशेदपुर सहित अन्य जगहों पर ऐसा किया जा रहा है और इसके खिलाफ डॉ. आरके सिंह ने एनजीटी में याचिका दाखिल की है।
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