न्याय के मंदिर की सुरक्षा ही सवालों के घेरे में, दिल्ली से लेकर झारखंड तक असुरक्षित हैं अदालतें
Ranchi News अगर आप गिनना शुरु करेंगे तो पाएंगे कि हर साल देश के सैंकड़ों कोर्ट कचहरियों में गोलीबारी की घटना हुई हो। चाहे देश की राजधानी दिल्ली की अदालत हो या फिर किसी अन्य प्रदेश के कोर्ट में हुई गोलीबारी
रांची, राज्य ब्यूरो। देश में लोगों की सुरक्षा और दुरुस्त सुरक्षा व्यवस्था हमेशा से सवालों के घेरे में रहा है। चाहे राह चलता राहगीर हो, या फिर शॉपिंग मॉल, बैंक हो या फिर स्कूल, अक्सर ऐसी घटनाएं इन स्थानों पर हो जाती है, जिससे सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा हो जाता है। लेकिन सबसे ज्यादा चिंता तो उस वक्त उठती है, जब देश में न्याय का मंदिर कहे जाने वाले अदालत में इस तरह की आपराधिक घटनाएं होती है।
कोर्ट की सुरक्षा पर सवालिया निशान
अगर आप गिनना शुरु करेंगे, तो पाएंगे, कि हर साल देश के सैंकड़ों कोर्ट, कचहरियों में गोलीबारी की घटना हुई हो। चाहे देश की राजधानी दिल्ली की अदालत हो या फिर किसी अन्य प्रदेश के कोर्ट में हुई गोलीबारी, अक्सर ऐसी घटनाएं सुनने और देखने को मिल ही जाती है। इसीलिए अब कोर्ट और कोर्ट परिसर की सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठने लगा है। अब इसी मुद्दे को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।
सीसीटीवी मामले में कोर्ट में हुई सुनवाई
झारखंड हाईकोर्ट में राज्य की अदालतों की सुरक्षा को लेकर सीसीटीवी कैमरे लगाने के मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से समय की मांग की गई। अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने अदालत को बताया कि सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए सरकार ने टेंडर जारी किया था, लेकिन मात्र दो संवेदक ही आए थे। बाद में 13 अन्य संवेदक ने कोरोना का हवाला देते हुए इस प्रक्रिया को एक सप्ताह बढ़ाने का आग्रह किया था।
चार सप्ताह बाद फिर होगी सुनवाई
सरकार ने इसे एक सप्ताह बढ़ा दिया है। इस पर अदालत ने सरकार को समय प्रदान करते हुए मामले में अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है। बता दें कि हजारीबाग अदालत में गोलीबारी के बाद अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर अदालतों की सुरक्षा बढ़ाए जाने की मांग की है।