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रांची विवि में 60 लाख की मशीनें बनीं कबाड़, चूहों ने कुतर दिए तार Ranchi News

रांची विवि में रिसर्च के लिए जो संसाधन उपलब्ध हैं उसका उपयोग नहीं हो रहा। जिसके कारण मशीनें कबाड़ बनती जा रही है।

By Divya KeshriEdited By: Published: Wed, 08 Jan 2020 12:42 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jan 2020 12:42 PM (IST)
रांची विवि में 60 लाख की मशीनें बनीं कबाड़, चूहों ने कुतर दिए तार Ranchi News
रांची विवि में 60 लाख की मशीनें बनीं कबाड़, चूहों ने कुतर दिए तार Ranchi News

रांची, जासं। रांची विवि प्रशासन रिसर्च को बढ़ावा देने की खूब बातें करता है, लेकिन इनकी कार्यशैली से स्पष्ट है कि यह वास्तविकता से बहुत दूर है। विवि में रिसर्च के लिए जो संसाधन उपलब्ध हैं, उसका उपयोग नहीं हो रहा। लाखों का इक्विपमेंट दो वर्षों से यूं ही पड़ा है। रखरखाव नहीं होने के कारण कबाड़ बन रहा है। रांची विवि के पीजी फिजिक्स विभाग स्थित एडवांस साइंस एंड टेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (एएसटीआरसी) में रिसर्च के लिए 60 लाख के इक्विपमेंट की तार को चूहा कुतर रहे हैं। इस इक्विपमेंट को जापान से मंगाया गया है। झारखंड के किसी भी विवि में अकेला यह इक्विपमेंट है। 

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वर्ष 2014 में खरीदा गया था इक्विपमेंट 

वर्ष 2014 में मानव संसाधन विकास विभाग द्वारा सेंट्रलाइजेशन इंस्ट्रूमेंटेशन सेंटर शुरू करने की बात हुई। इसके तहत रांची विवि के पीजी फिजिक्स विभाग में सेंटर स्थापित करने के लिए 60 लाख रुपये दिए गए। इस पैसे से एक्सआरडी, फर्नेस और एलसीआर मीटर इक्विपमेंट खरीदा गया। उस समय एएसटीआरसी निदेशक डॉ. एसएन सिंह ने इक्विपमेंट का रखरखाव किया। छात्र रिसर्च करते थे। डॉ. सिंह वर्ष 2017 में नीलांबर-पीतांबर विवि पलामू के वीसी बनकर चले गए। इसके बाद पीजी केमिस्ट्री के डॉ. राजेश कुमार को इसकी जिम्मेदारी दी गई। उन्होंने छह सदस्यीय टीम का गठन कर संचालन के लिए बैठक भी किया। लेकिन इन्हें संचालन को लेकर वित्तीय अधिकार नहीं दिया गया। 

जापान से मंगायी है मशीन 

जापान से तीन इक्विपमेंट मंगाया गया। एक्सआरडी मशीन (एक्स-रे डिफेरेक्टो मीटर) से किसी भी मैटेरियल के स्ट्रक्चर का एनालाइसिस किया जाता है। फर्नेस से दो-तीन मैटेरियल को फ्यूज करके नया मैटेरियल बनाया जाता है। एलसीआर मीटर कोई भी मैटेरियल के 14 इलेक्ट्रिकल पारामीटर का स्टडी कर सकता है। 

उद्देश्य रिसर्च को बढ़ावा देना 

सेंट्रलाइज इंस्ट्रूमेंटेशन सेंटर स्थापित करने का उद्देश्य रिसर्च को बढ़ावा देना है। यदि इक्विपमेंट का सही उपयोग होता तो केमेस्ट्री, फिजिक्स, जूलॉजी, बॉटनी व जियोलॉजी विभाग के रिसर्चर रिसर्च के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर सकते थे। केमेस्ट्री में मैटेरियल सिंथेसाइज करने के बाद वह मैटेरियल बना कि नहीं यह एक्सआरडी मशीन से ही पता चलता है। बॉयलोजी में प्लांट एक्सट्रेक्ट निकालर उसमें उपस्थित एलिमेंट्स के स्ट्रक्चर को देखा जाता है। इसी तरह इस मशीन से जियोलॉजी के रिसर्चर रॉक सैंपल में मेटल का एनालाइसिस कर सकते हैं।आइएसएम धनबाद से आते थे रिसर्चर

रांची विवि प्रशासन भले ही इन इक्विपमेंट को महत्व नहीं दे रहे हैं। लेकिन बीआइटी मेसरा, निफ्ट से लेकर आइएसएम धनबाद तक के रिसर्चर इसका उपयोग करते थे। रांची विवि से बाहर के रिसर्चर के लिए प्रति सेंपल 250 व रांची विवि के लिए 100 रुपये लगते थे। वर्तमान में भी कई रिसर्चर आकर लौट जाते हैं। 

रिसर्च सेंटर की जिम्मेदारी तो दे दी गई, लेकिन वित्तीय अधिकार अभी तक नहीं दिया गया। सेंटर में एक कर्मचारी भी नहीं है। परीक्षा नियंत्रक बनने के बाद समय की भी कमी हो गई। इस कारण सेंटर बंद रहता है। डॉ. राजेश कुमार, निदेशक एएसटीआरसी।

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