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VIDEO: जिस जेल में सजा काट रहे लालू, वहां 100 रुपये में बिकते हैं सिपाही

बिरसा मुंडा केंद्रीय जेल में मुलाकातियों से सिपाही पैसे लेकर कैदियों से मिलवाते हैं। यहां लगातार सुरक्षा से खिलवाड़ किया जा रहा है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 26 Oct 2018 12:16 PM (IST)Updated: Fri, 26 Oct 2018 11:06 PM (IST)
VIDEO: जिस जेल में सजा काट रहे लालू, वहां 100 रुपये में बिकते हैं सिपाही
VIDEO: जिस जेल में सजा काट रहे लालू, वहां 100 रुपये में बिकते हैं सिपाही

रांची, फहीम अख्तर। बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा (जेल) की सुरक्षा के चाहे कितने भी दावे किए जाएं, सच तो यह है कि चंद रुपये की खातिर सारे नियम-कानून ताक पर रख दिए जाते हैैं। इस जेल में चारा घोटाले के सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव सरीखे कई वीवीआइपी कैदी बंद हैं। इस जेल में वीवीआइपी कैदी से मिलना हो या खूंखार से या फिर मामूली हैसियत वाले कैदी से, नियम सबके लिए बराबर है। लेकिन आप 100 रुपये वहां मौजूद पुलिसकर्मियों को चढ़ावा चढ़ाएं तो सारे कायदे-कानून आपके मुताबिक हो जाएंगे।

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थोड़ी मोटी रकम (500 रुपये तक) निकालें, तो सेल तक आपको पहुंचाकर मुलाकात करा दी जाएगी। जेल गेट पर तैनात सुरक्षा कर्मियों की मनमानी के शिकार पीडि़तों द्वारा तैयार कुछ वीडियो फुटेज और तस्वीरें इसकी तस्दीक कर रही हैं। वीडियो और तस्वीरों में साफ नजर आ रहा है कि मुलाकातियों से 100-200 रुपये वसूलने के लिए जेल के सुरक्षाकर्मी एक दूसरे से झगड़ा तक कर लेते हैं।

एक-दूसरे को देख लेने और दिखा देने की धमकी तक दी जाती है। यह हाल किसी एक दिन का नहीं, बल्कि हर दिन का है। आलम यह है कि हर दिन सुबह सात बजे से कैदियों से मिलने लोग जेल गेट पहुंचते हैं। उन्हें एक मुलाकाती के लिए कम से कम 500 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। रुपये खर्च नहीं किए, तो नियम कानून हवाला देकर बिना मुलाकात लौटने के लिए विवश होना पड़ता है।

यदि किसी तरह मुलाकात हो भी जाए तो पूरा दिन बर्बाद करना पड़ता है। इसी तरह अगर कैदी को रुपये भेजने हों तो प्रति 500 रुपये में 100 रुपये काट लिये जाते हैैं। कैदी तक रुपये पहुंचाने के लिए वहां मौजूद पुलिसकर्मी इंतजार करते रहते हैं।

हर दिन पहुंचते हैं 200 से 250 लोग : जेल में हर दिन 200 से 250 लोग कैदियों से मुलाकात के लिए पहुंचते हैं। जो सुबह के समय पहुंचे और लाइन में लग गए वो अपना मोबाइल दूर रखकर, आधार कार्ड जमा कर किसी तरह मिल लेते हैं, लेकिन 10 बज गए तो लाइन में लगने नहीं दिया जाता है। इसके बाद धन-बल का खेल शुरू हो जाता है। सुबह के समय जो रुपये देकर घुसते हैं, उन्हें बिना किसी प्रक्रिया पूरी किए ही भेज दिया जाता है।

सीसीटीवी से बचने के लिए किनारे होती है सौदेबाजी : जेल के मुख्य द्वार पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जो प्रवेश करने वालों को कवर करते हैं, लेकिन जेल के मुख्य द्वार पर लगे सुरक्षाकर्मी कैमरे की नजर से बचने के लिए किनारे वाली छोटी गेट पर और आसपास रुपये लेते हैं। उसी गेट से प्रवेश कराते हैं। इस पूरे खेल में फ्रंट गेट पर तैनात पुलिसकर्मी भी शामिल होता है।

50 नहीं 100 रुपये दो : एक वीडियो फुटेज में देखा गया है कि एक व्यक्ति जेल के एक सुरक्षाकर्मी को प्रवेश के लिए 50 रुपये लेने का अनुरोध कर रहा है। इस पर पुलिसकर्मी 100 रुपये की मांग करते हुए कह रहा है कि उससे कम में काम नहीं होगा। पहले तो 200 रुपये लगते थे। हमलोगों ने दूर से लोगों के आने की वजह से घटाकर 100 रुपये कर दिए हैैं।

जिला पुलिस और कारा के रहते हैं सुरक्षाकर्मी : जेल गेट की सुरक्षा में जिला पुलिस बल और गृह एवं कारा विभाग के सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं। इनमें जिला पुलिस बल के एक चार का बल होता है। इसमें एक जमादार और चार सिपाही होते हैं। वहीं कारा के एक संतरी होते हैं और दो संतरी जैप के। इसके अलावा आठ महिला बटालियन फोर्स भी तैनात हैं।

संबंधित कर्मियों पर करेंगे सख्‍त कार्रवाई : जेल गेट पर किसी भी प्रकार की कोई गड़बड़ी मेरे संज्ञान में आई तो संबंधित कर्मियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। चाहे सुरक्षाकर्मी जिला बल के हों या कारा विभाग के।
-अशोक चौधरी, अधीक्षक बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा, रांची।


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