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झामुमो स्थापना दिवस के आयोजन पर पड़ सकता है कोरोना संक्रमण का असर

दो फरवरी को झारखंड के दुमका में मनाया जाता है झारखंड मुक्ति मोर्चा का स्थापना दिवस। पिछले वर्ष भी हुआ था सीमित आयोजन। तमाम शीर्ष नेताओं का होता है जमावड़ा। इस बार भी कोरोना के कारण कार्यक्रम प्रभाव‍ित हो सकता है।

By M EkhlaqueEdited By: Published: Sun, 09 Jan 2022 10:04 PM (IST)Updated: Sun, 09 Jan 2022 10:04 PM (IST)
झामुमो स्थापना दिवस के आयोजन पर पड़ सकता है कोरोना संक्रमण का असर
दो फरवरी को दुमका में झारखंड मुक्‍त‍ि मोर्चा का स्‍थापना द‍िवस मनाया जाएगा।

रांची, राज्य ब्यूरो। कोरोना की तीसरी लहर से राज्य में राजनीतिक गतिविधियों पर असर पड़ सकता है। पिछले वर्ष भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ा था। राज्य में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा का स्थापना दिवस समारोह भी इसकी जद में आ सकता है।

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दो फरवरी को दुमका में प्रस्‍ताव‍ित है आयोजन

हर वर्ष दो फरवरी को मोर्चा के स्थापना दिवस समारोह का आयोजन उपराजधानी दुमका के गांधी मैदान में होता है। इस दौरान शहर में जुलूस भी निकाला जाता है, जिसकी अगुवाई खुद झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन करते हैं।

श‍िबू सोरेन समेत पार्टी के तमाम नेता रहते हैं मौजूद 

इस दौरान झामुमो अध्यक्ष शिबू समेत तमाम शीर्ष नेताओं का जमावड़ा दुमका में होता है। कोरोना के कारण पिछले वर्ष भी स्थापना दिवस समारोह प्रतीकात्मक तौर पर मनाया गया था। आयोजन में समर्थकों को सीमित संख्या में आने को कहा गया था। इस वार्षिक समारोह का झारखंड मुक्ति मोर्चा के समर्थक और कार्यकर्ता बेसब्री से इंतजार करते हैं, लेकिन कोरोना की बंदिशों को कारण इस बार भी इसके सीमित आयोजन की प्रबल संभावना है।

झामुमो का शीर्ष नेतृत्‍व आयोजन पर करेगा फैसला

झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव विनोद पांडेय के मुताबिक अभी तक इसपर कोई निर्णय नहीं किया गया है। मोर्चा का शीर्ष नेतृत्व आयोजन को लेकर फैसला करेगा। कोरोना के कारण राज्य सरकार ने सार्वजनिक समारोह को लेकर गाइडलाइन भी तय की है। उसी के अनुरूप कार्यक्रम का आयोजन करने का निर्णय होगा।

महाधिवेशन पर भी पड़ा था असर

कोरोना का असर झारखंड मुक्ति मोर्चा के 12वें केंद्रीय महाधिवेशन पर भी पड़ा था। रांची में हुए महाधिवेशन में लगभग 700 लोगों को शामिल होने की अनुमति दी गई थी। आयोजकों ने सामान्य महाधिवेशन की तुलना में आगंतुकों की संख्या में 20 प्रतिशत कटौती की थी। महाधिवेशन के दौरान राजनीतिक प्रस्ताव पारित किए गए और अध्यक्ष व कार्यकारी अध्यक्ष के नाम पर मुहर लगी।


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