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Corona Fighters: ऑक्सीजन लेवल गिरा, लेकिन मनोबल नहीं; पॉजिटिव रही और कोरोना से जंग जीत ली

Corona Fighters Jharkhand Samachar प्रोफेसर डाॅ. नम्रता सिन्हा कहती हैं कि उन्हें 103 डिग्री बुखार रहता था। शारीरिक तौर पर कमजोर हो गई लेकिन मानसिक तौर पर नहीं। मुझे मालूम था कि मैं ठीक तो हो ही जाऊंगी।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sun, 02 May 2021 04:24 PM (IST)Updated: Sun, 02 May 2021 08:05 PM (IST)
Corona Fighters: ऑक्सीजन लेवल गिरा, लेकिन मनोबल नहीं; पॉजिटिव रही और कोरोना से जंग जीत ली
Corona Fighters, Jharkhand Samachar प्रोफेसर डाॅ. नम्रता सिन्हा।

रांची, जासं। How to Defeat Coronavirus ऑक्सीजन लेवल गिरा, लेकिन मनोबल नहीं। स्वजन, रिश्तेदार, साथ में कार्य करने वाले सहयाेगियों यानी चारों ओर से इतना पॉजिटिव वाइब्रेशन मिलता रहा कि अस्पताल में भर्ती होने के केवल पांच दिन बाद ही ठीक होकर वापस घर आ गई। हमारा माइंड इतना स्ट्रांग होता है कि आप जितना पॉजिटिव सोचेंगे, उसी अनुरूप हार्मोन का स्राव होता है और आप शारीरिक रूप से भी स्ट्रांग होते जाएंगे। यह कहना है रांची विवि के पीजी केमिस्ट्री विभाग की प्रोफेसर डाॅ. नम्रता सिन्हा का।

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वह कहती हैं कि उन्हें 103 डिग्री बुखार रहता था। ऑक्सीजन लेवल 88 पर आ गया। लेकिन मनोबल कभी नहीं गिरा। शारीरिक तौर पर कमजोर हो गई, लेकिन मानसिक तौर पर नहीं। मुझे मालूम था कि मैं ठीक तो हो ही जाऊंगी और वह भी जल्द। बेटा और पति दोनों साथ थे। काफी ध्यान रखा। बेटा को हल्का कोरोना का लक्षण भी आ गया था। लेकिन अब सब ठीक है।

एक्टिव रहने से बढ़ा ऑक्सीजन लेवल

नम्रता सिन्हा कहती हैं कि अस्पताल में रहें या घर में, हर वक्त बेड पर नहीं पड़े रहें। थोड़ा कमरे में ही इधर-उधर टहलें। एक्टिव रहें। मैंने महसूस किया कि बिस्तर पर पड़े रहने से ऑक्सीजन लेवल गिरता है। उन्होंने कहा कि मुझे पता था कि कोरोना इतनी डरावनी नहीं है कि वह जान ले लेगा। यह फ्लू का ही विस्तृत रूप है। फ्लू से ठीक होने में 5-7 दिन लगते थे तो इससे ठीक होने में 15 दिन लगते हैं। लेकिन सबसे अहम है कि समय रहते इलाज शुरू हो जाए और खान-पान से लेकर डाॅक्टरी सलाह के प्रति थोड़ी सी भी लापरवाही नहीं बरतनी होगी।

कोरोना लंग्स को प्रभावित करेगा ही इसलिए शुरू से लेते रहें भाप

उन्होंने कहा कि अस्पताल में कई लोग ठीक हो रहे होते हैं तो कुछ लोगों की मृत्यु भी हो जाती है। आप अस्पताल में हैं तो वहां तो मौत व जिंदगी का आना-जाना लगा रहता है। मौत को लेकर दुख होता है, लेकिन वह रास्ता मेरे लिए नहीं था। हमेशा पॉजिटिव रहने की जरूरत है। हर दिन ईश्वर की प्रार्थना करें कि वह तकलीफ दिए हैं तो उबारेंगे भी वही। डाॅ. नम्रता ने कहा कि कोरोना लंग्स को प्रभावित करेगा ही। इसलिए शुरू से गर्म पानी, भाप और अनुलोम-विलोम जरूरी है। मैं ऐसा करती रही। खाना ठीक नहीं लगता था फिर भी खाती थी, क्योंकि जल्द ठीक होना था। माउथ वाश करने से खाने की इच्छा होती थी।


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