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Corona in Jharkhand: झारखंड लौट रहे प्रवासी श्रमिकों में मिलने लगा संक्रमण, और बढ़ा कोरोना का खतरा

Corona Cases in Jharkhand भारी तादाद में झारखंड लौट रहे प्रवासी मजदूरों की न सैंपल जांच हो रही है न ही उनके क्‍वारंटाइन की व्‍यवस्‍था की गई है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sat, 09 May 2020 09:09 PM (IST)Updated: Sun, 10 May 2020 05:16 PM (IST)
Corona in Jharkhand: झारखंड लौट रहे प्रवासी श्रमिकों में मिलने लगा संक्रमण, और बढ़ा कोरोना का खतरा
Corona in Jharkhand: झारखंड लौट रहे प्रवासी श्रमिकों में मिलने लगा संक्रमण, और बढ़ा कोरोना का खतरा

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Coronavirus Cases News Update गुजरात के सूरत से एक बस में लौटे 51 प्रवासी मजदूरों में 20 कोरोना से संक्रमित पाए गए। इससे एक दिन पहले ही पलामू में पांच ऐसे प्रवासी मजदूर कोरोना पॉजिटिव पाए गए जो छत्तीसगढ़ से निजी वाहनों में लौटे थे। प्रवासी मजदूरों में संक्रमण के इन मामलों ने राज्य सरकार की चिंता बढ़ा दी है। यह चिंता इसलिए है क्योंकि राज्य में न तो बड़ी संख्या में लौट रहे प्रवासी मजदूरों की कोरोना जांच हो रही है और न ही उन्हें क्वारेंटाइन सेंटर में रखने की व्यवस्था है।

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स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी भी इसे स्वीकार कर चुके हैं कि प्रवासी मजदूरों के लौटने से राज्य पर अचानक लोड बढ़ा है। लेकिन उनकी चिंता सबसे अधिक वैसे प्रवासी मजदूरों को लेकर है जो निजी वाहनों से लौट रहे हैं। उनकी थर्मल स्क्रीनिंग भी नहीं हो पा रही है। गढ़वा तथा पलामू के मामले में जिला प्रशासन ने प्रवासी मजदूरों को पकड़कर न केवल क्वारेंटाइन में रखा बल्कि उनकी जांच भी कराई। लेकिन सभी जगहों पर ऐसा नहीं हो पा रहा है। जानकार बताते हैं कि इसमें जरा सा भी चूक बाद में खतरनाक साबित हो सकती है।

इधर, जिलों से मिली जानकारी के अनुसार लौटने वाले प्रवासी मजदूरों की संख्या इतनी अधिक है कि उन्हें अलग से क्वारेंटाइन में रखा नहीं जा सकता। गिरिडीह में ही लगभग 15 हजार मजदूर लौटे हैं। कई जिलों की ऐसी स्थिति है।पंचायत भवनों, सामुदायिक भवनों एवं स्कूलों में बनाए गए सेंटर पहले से ही भरे हैं। ऐसे सेंटरों में गर्मी में बिजली-पंखा की व्यवस्था नहीं होने की भी शिकायतें आ रही हैं।

अभी पलामू और गिरिडीह में ही रैपिड टेस्ट

राज्य सरकार ने अभी पलामू और गिरिडीह में ही रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट कराने का निर्णय लिया है। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि इन दोनों जिलों में अधिक संख्या में प्रवासी मजदूर लौटे हैं। इन दोनों जिलों में जांच सफल होने के बाद इसे अन्य जिलों में भी शुरू करने पर विचार किया जाएगा। दरअसल, राज्य में सबसे पहले रांची के हिंदपीढ़ी में यह टेस्ट शुरू किया गया था, लेकिन आइसीएमआर द्वारा अचानक चीनी जांच किट पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद इस पर रोक लग गई थी। अब राज्य सरकार ने दूसरी कंपनी से किट मंगाकर जांच कराना शुरू किया है। बता दें कि यह टेस्ट भी सर्विलांस मात्र है। इसमें किसी व्यक्ति में लक्षण मिलने पर उसकी कोरोना जांच  (पीसीआर टेस्ट) की जाती है।

बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़ में भी यही परेशानी

दूसरे राज्यों से लौट रहे प्रवासी मजदूरों की जांच नहीं हो पाने की परेशानी झारखंड के पड़ोसी राज्यों में भी है। अधिसंख्य मजदूर झारखंड के इन जिलों के हैं। बिहार में भी बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर संक्रमित मिले हैं ओड़िशा की बात करें तो वहां के उच्च न्यायालय ने प्रवासी मजदूरों के लौटने पर ही रोक लगा दी थी। लेकिन बताया जाता है कि सर्वोच्च न्यायालय में यह आदेश निरस्त हो गया।

फैक्ट फाइल

  1. झारखंड में 5.50 लाख वैसे मजदूरों का डाटा तैयार है जो दूसरे राज्यों से लौटेंगे। इनमें से बड़ी संख्या में मजदूर गुजरात और महाराष्ट्र से लौटेंगे जहां कोरोना विकराल रूप ले चुका है।
  2. राज्य सरकार यह मानकर चल रही है कि 15 मई तक लगभग प्रतिदिन मजदूर झारखंड लौटेंगे।
  3. राज्य सरकार ने हाल के दिनों में जांच की रफ्तार बढ़ाई है। अब प्रतिदिन लगभग 1400 सैंपल की जांच हो रही है। इसके बावजूद प्रवासी मजदूरों की जांच नहीं हो पा रही है।

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