Indian Railways: लाॅकडाउन के बाद अब ट्रेन चलने का इंतजार, कुलियाें की ठहर गई जिंदगी
Railway News. प्लेटफाॅर्म पर साथी कुलियाें के साथ समय बिताने वाले कुली अब अपने घरों में कैद हैं और इन दिनाें प्लेटफार्म पर उनकी नजर भी नहीं जा रही है।
कोडरमा, जासं। स्टेशन पर ट्रेनों के रुकने के पहले ही दौड़ लगाकर यात्रियाें का समान उठाने की आपाधापी करने वालों कुलियों की जिंदगी लॉकडाउन में ठहर गई है। पूरे स्टेशन का आंगन इन दिनों सुना-सुना है और प्रवेश के सभी द्वारों को बैरिकेडिंग लगाकर बंद कर दिया गया। ट्रेनाें की सीटी की आवाज भी गुम है। मेहनत के बाद कुछ कमाई होने की वजह से कुलियाें का परिवार का लालन-पालन होता रहा है। कोडरमा रेलवे स्टेशन पर करीब 38 कुली कार्यरत हैं।
प्लेटफाॅर्म पर साथी कुलियाें के साथ समय बिताने वाले कुली अब अपने घरों में कैद हैं और इन दिनाें प्लेटफाॅर्म पर उनकी नजर भी नहीं जा रही है। कुली भोला कुमार यादव, रमेश यादव ने बताया कि प्रतिदिन 400 से 500 रुपये की कमाई होती थी। इसमें पार्सल लोडिंग भी शामिल है। लेकिन इन दिनों राशन जुटाने के लाले पड़े हैं। वर्तमान में यह उम्मीद लगाये बैठे हैं कि फिर से ट्रेन शुरू होगी और स्टेशन की रौनक बढ़ेगी।
पुराने दिन लौट आएंगे। कुलियाें के अनुसार इन दिनाें उनके समक्ष बड़ी विपदा आ गयी है। रेल में लम्बा खींच रहा लॉकडाउन कब खत्म होगा और हालात में सुधार आएगी। कुली भोला यादव ने बताया कि धनबाद रेल मंडल में लगभग 10 हजार कुली कार्यरत हैं और कई कुली तो लॉकडाउन के साथ ही अपने घर चल गये। लॉकडाउन की वजह से स्टेशन बंद कर दिया गया है और ट्रेन का परिचालन भी बंद है। वर्तमान समय में स्थिति यह है कि मोबाइल में रिचार्ज भी नहीं करा पा रहे हैं।
पूछताछ कार्यालय के कर्मियों को पगार की चिंता
जब से ट्रेनाें का परिचालन बंद हुआ है, तब से स्टेशन पर पूछताछ केन्द्र में यात्री ट्रेनाें के आवागमन के समय के लिए पूछताछ के लिए पहुंचते हैं। कोडरमा रेलवे स्टेशन पर दो महिला सहित सात लोग कार्य कर रहे हैं। दरअसल रेलवे पूछताछ केन्द्र को आउटसोर्स कर दिया गया है। जिस कंपनी को यह काम मिला है, उसी कंपनी ने कर्मचारी बहाल किया है। ये कर्मचारी काम रेलवे का करते हैं और पगार आउटसोर्सिंग एजेंसी के जरिये लेते हैं। कर्मियाें ने बताया कि फरवरी माह से ही वेतन बंद है। अप्रैल माह में नया ट्रेंडर होना था, लेकिन लॉकडाउन के कारण यह नहीं हो सका।