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लड़कियों के मन में डर,आखिर क्यों

राची : खूंटी में हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद से एनजीओ में काम करने वाली हर एक लड़की सहमी हुई

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Jun 2018 09:16 AM (IST)Updated: Tue, 26 Jun 2018 09:16 AM (IST)
लड़कियों के मन में डर,आखिर क्यों
लड़कियों के मन में डर,आखिर क्यों

राची : खूंटी में हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद से एनजीओ में काम करने वाली हर एक लड़की सहमी हुई है। पुलिस व प्रशासन का खौफ ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वालों के मन में रह ही नहीं गया है। खूंटी के कोचांग में पाच लड़कियों के साथ बंदूक की नोक पर सामूहिक दुष्कर्म पर शहर की लड़कियों का कहना है कि अगर समाज के लिए काम करने वालों के साथ ही ऐसा हो रहा है तो वह दिन दूर नहीं जब लड़किया सामाजिक कार्यो से मुंह मोड़ लेंगी। पीड़ित सभी युवतियां खूंटी जिले के कोचाग गाव मे मानव तस्करी को लेकर लोगों को जागरुक करने के लिए गई थीं। इन मामले ने युवतियों के मन में एक ऐसा डर पैदा कर दिया है जो शायद ही कभी उनके मन से जाएगा। कई केस आए हैं सामने

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सात मार्च को नामकुम थाना क्षेत्र के टेलाइपीढ़ी गाव में तीन छात्राओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। जिसके बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने एक आरोपी बिरसा को जमकर पीटा भी था। जबकी रिम्स अस्पताल में उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई थी। इस घटना में पुलिस ने दुष्कर्म के तीन नाबालिग आरोपियों को हिरासत में ले लिया था। धुर्वा थाना क्षेत्र में 18 वर्षीय एक युवती के साथ 8 युवकों ने गैंगरेप किया था, यह घटना 5 मार्च की है। पीड़िता जेएन कॉलेज, धुर्वा से बीए कर रही थी। पीड़िता अपने दोस्त के साथ जगन्नाथपुर तालाब के पास घूमने गई थी उसी दौरान वहा पहले से मौजूद 8 युवकों ने पहले उसके दोस्त को मारपीट कर मौके से भगा दिया फिर पीड़िता के साथ गैंगरेप किया। क्या कहती हैं विभिन्न एनजीओ में काम कर रही युवतिया

सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है। मुझे लगता है सिर्फ मैं ही नहीं हर एक लड़की इस घटना को सुन कर सिहर उठी होगी। अब बाहर जाकर काम करने के पहले दस बार सोचना होगा।

सलोनी जब समाज के लिए काम कर रही लड़कियों के साथ ही ऐसा होगा तो आप समाज से क्या उम्मीद रखेंगे। इस घटना को अंजाम देने वाले इंसान भी हैं, मुझे नहीं लगता। हमें खुद की रक्षा खुद ही करनी है लेकिन प्रशासन भी इस ओर ध्यान दे।

गुड़िया कुमारी

ऐसी घटनाओं की वजह से समाज के लिए काम करने वाली लड़कियों की संख्या कम ही होती चली जाएगी। मेरे साथ काम कर रही कई लड़किया भी सहमी हुई हैं। प्रशासन को काम करने की जरूरत है।

अर्शी गुप्ता

आज वो लोग कल कोई भी हो सकता है। हम सभी को एक साथ मिलकर इस ओर काम करना होगा। इससे पहले की देर हो जाए। सरकार से हमें उम्मीदें हैं, लेकिन वह पूरी होती दिखाई नहीं देती।

निहारिका ओझा


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