मौसम ने ली करवट तो बढ़ा गर्म कपड़ों का कारोबार, रांची में सज गईं स्वेटर और कंबल की दुकानें
Cold Weather in Jharkhand दुकानों के बाहर लोगों को आकर्षित करने के लिए कंबल गर्म एवं ऊनी कपड़े आदि प्रदर्शित किए जा रहे हैं। लोग अपनी जरूरत के मुताबिक गर्म एवं ऊनी कपड़ों की खरीदारी कर रहे हैं।
रांची, जासं। गुनगुनी ठंड ने रांची में दस्तक दे दी है। रात और सुबह के वक्त हल्का कोहरा और ठंड महसूस की जा रही है। लोगों की जरूरतों को देखते हुए रांची के हरमू बाजार, रातू रोड, कोकर, बरियातू, अरगोड़ा के साथ थोक मार्केट अपर बाजार में गर्म कपड़ों और कंबल की दुकान सज गई है। वहीं गर्म कपड़ों की दुकानों पर भी लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई है। दुकानों के बाहर लोगों को आकर्षित करने के लिए कंबल, गर्म एवं ऊनी कपड़े आदि प्रदर्शित किए जा रहे हैं। लोग अपनी जरूरत के मुताबिक गर्म एवं ऊनी कपड़ों की खरीदारी कर रहे हैं। इससे कपड़ा बाजार में रौनक आ गई है।
लुधियाना का माल और रांची की सर्दी
अपर बाजार में कंबल के थोक विक्रेता नरेश अग्रवाल बताते हैं कि रांची के व्यापारियों ने सितंबर के महीने में अपना माल ऑर्डर कर दिया था। करीब 15 दिन से एक महीने में व्यापारियों को ऑर्डर मिल जाता है। ऐसे में अपने यहां बाजार में माल पूरा भर गया है। रांची की सर्दी के लिए लुधियाने का कंबल सदियों से पसंद किया जाता रहा है। इस बार भी ग्राहकों को वही पसंद आ रहा है। जबकि स्वेटर, जैकेट, पुलओवर, लोई, शाल, और लेडिज के लिए गर्म कपड़ों का फैशन हर वर्ष थोड़ा बहुत बदलता है।
इस वर्ष भी बाजार में एकदम फ्रेश स्टाॅक सबसे नए डिजाइन के साथ मंगवा लिए गए हैं। नरेश अग्रवाल बताते हैं कि हर वर्ष दीवाली के बाद सर्दियों के कपड़ों की बिक्री शुरू होती थी। मगर इस वर्ष दीवाली देर से होने और ठंड शुरू हो जाने के कारण अभी से बिक्री तेज हो रही है। रांची के बाजार में अमृतसर, लुधियाना, पानीपत, दिल्ली और कोलकाता से गर्म कपड़े थोक में मंगाए जाते हैं।
कम उधार और ज्यादा पेमेंट से पड़ रहा व्यापार पर असर
लाॅकडाउन के बाद व्यापार के स्वरूप में काफी बदलाव आया है। रांची में करीब 100 गर्म कपड़ों के थोक व्यापारी हैं। वहीं 500 से ज्यादा खुदरा दुकानदार गर्म कपड़े और कंबल आदि की बिक्री करते हैं। सर्दी के कारण यहां सर्दी में मेंस सूट के अलावा कंबल, लोई, शॉल, लेडीज गर्म सूट, कॉस्टवूल आदि की खूब बिक्री होती है। पहले व्यापार का स्वरूप कुछ ऐसा था कि व्यापारी थोक मंडी से अपना माल ऑर्डर करके मंगवा लेते थे।
इसके बाद कुछ माल निकल जाने के बाद पेमेंट किया जाता था। मगर अब थोक मंडी के व्यापारी उधार माल देने से साफ इंकार कर रहे हैं। मंडी के व्यापारियों का कहना है कि लाॅकडाउन के कारण पहले से उनकी पूंजी फंसी हुई है। अगर उधार दे दिया तो स्टाफ का वेतन तक नहीं दे पाएंगे। हालांकि व्यापारियों ने अभी अपनी बिक्री के अनुसार ऑर्डर मंगवा लिया है। मगर दूसरी खेप पहला स्टाॅक पूरा निकलने के बाद ही मंगवा पाएंगे।