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पत्थलगड़ी, CNT-SPT के हजारों केस वापस लेने की प्रक्रिया शुरू, जनवरी 2015 से दिसंबर 2019 तक राहत

झारखंड सरकार ने इसके लिए हर जिले में उपायुक्त की अध्यक्षता में स्क्रीनिंग कमेटी गठित की है...

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 17 Jan 2020 11:30 PM (IST)Updated: Sat, 18 Jan 2020 06:17 AM (IST)
पत्थलगड़ी, CNT-SPT के हजारों केस वापस लेने की प्रक्रिया शुरू, जनवरी 2015 से दिसंबर 2019 तक राहत
पत्थलगड़ी, CNT-SPT के हजारों केस वापस लेने की प्रक्रिया शुरू, जनवरी 2015 से दिसंबर 2019 तक राहत

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में छोटनागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी), संताल परगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी) करने वालों तथा पत्थलगड़ी के मामले में दर्ज मुकदमों को वापस लेने की कवायद सरकार ने शुरू कर दी है। सरकार ने इस बाबत हर जिले में उपायुक्त की अध्यक्षता में स्क्रीनिंग समिति गठित कर दी है। इससे इतर जिलों के एसएसपी/एसपी तथा लोक अभियोजक/वरीय लोक अभियोजक समिति के सदस्य बनाए गए हैं। बताते चलें कि एक जनवरी 2015 से लेकर 31 दिसंबर 2019 के बीच संबंधित मामलों में दर्ज मुकदमे वापस लिए जाने की तैयारी है। स्क्रीनिंग समिति को संबंधित मामलों में दर्ज मुकदमों की समीक्षा कर विधि सम्मत प्रस्ताव गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग को उपलब्ध कराने को कहा गया है।

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मुकदमा वापस के लिए स्क्रीनिंग समिति जिलों में प्रेस विज्ञप्ति व सूचना प्रसारित कर कांड वापसी के लिए आवेदन प्राप्त करेगी। आवेदन में आरोपित का नाम, पिता का नाम, गृह का पता, थाना कांड संख्या, धारा, अनुसंधान की स्थिति आदि की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। समिति आवेदन तथा उपलब्ध दस्तावेज के आधार पर कांडों की समीक्षा करेगी। इसके बाद समिति वांछित दस्तावेज जैसे प्राथमिकी, केस डायरी, आरोप पत्र (चार्जशीट), स्वीकृत्यादेश, जब्ती सूची आदि के आधार पर अपनी अनुशंसा एवं प्रस्ताव गृह, कारा एवं आपदा प्रबंध विभाग को उपलब्ध कराएगी। 

जानकारी के अनुसार जिलों से प्राप्त अनुशंसा तथा प्रस्ताव पर सरकार विधि विभाग से आवश्यक परामर्श लेगी। इसके बाद यह मामला अनुमोदन के लिए कैबिनेट को भेजा जाएगा। कैबिनेट की सहमति के बाद संबंधित जिलों के उपायुक्तों को विधि सम्मत कार्रवाई का निर्देश दिया जाएगा। इसके बाद उपायुक्त के माध्यम से लोक अभियोजक को कांड वापसी के लिए विधि सम्मत कार्रवाई की अनुशंसा भेजी जाएगी।


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