सड़क किनारे ठेले-खोमचे का खाना खतरनाक, छोले में कपड़ा रंग का प्रयोग
Jharkhand. झारखंड खाद्य विभाग की टीम के जांच के दौरान यह बात सामने आई कि ज्यादातर ठेले वाले खाद्य पदार्थों में मानक का प्रयोग नहीं करते हैं।
रांची, जासं। सड़क किनारे ठेले-खोमचे पर चाट-पकौड़ी या पानी पुरी खाना सेहत के लिए खतरनाक है। झारखंड खाद्य विभाग की टीम के जांच के दौरान यह बात सामने आई कि ज्यादातर ठेले वाले खाद्य पदार्थों में मानक का प्रयोग नहीं करते हैं। खाद्य पदार्थों को रंगने के लिए खाने वाले कलर का प्रयोग न कर कपड़े रंगने वाले या अन्य खतरनाक रंगों का प्रयोग किया जाता है। यह सेहत के साथ-साथ त्वचा के लिए भी नुकसानदायक है।
राज्य खाद्य जांच की टीम ने अपने औचक निरीक्षण में राजभवन के पास स्ट्रीट फूड की जांच की। इस दौरान टीम ने खाने की जांच की। उन्होंने पाया कि छोले में मेटालिन येलो रंग का प्रयोग होता है। इस रंग का प्रयोग कपड़ों को रंगने में किया जाता है। इसके अलावा टीम ने मिल्क शेक की जांच की। इस दौरान मिल्क शेक में मिल्क की जगह अरारोट तथा कस्टर्ड पाउडर पाया गया। टीम के साथ मौजूद खाद्य विश्लेषक चतुर्भुज मीणा ने बताया कि उनकी टीम मोबाइल फ़ूड टेस्टिंग लेबोरेट्री के साथ जन जागरूकता के लिए आई है। वे यह जांच रिपोर्ट खाद्य सुरक्षा अधिकारी को सौपेंगे।