झारखंड में 27 ऊर्जा संयंत्रों से होने वाले प्रदूषण की जांच सिंफर करेगा Ranchi News
Jharkhand. सिंफर को छह माह में जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया है। झारखंड हाई कोर्ट ने पूर्व में बनाई पांच सदस्यीय कमेटी को भंग कर दिया है।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में शुक्रवार को राज्य के ऊर्जा संयंत्रों में होने वाले प्रदूषण के मामले में सुनवाई हुई। सिंफर (केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान) के निदेशक प्रदीप कुमार सिंह के आश्वासन के बाद अदालत ने पूर्व में बनाई कमेटी को भंग कर दिया। अब राज्य के 27 ऊर्जा संयंत्रों की जांच का जिम्मा सिंफर को दे दिया गया है। अदालत ने यह काम छह माह में पूरा करने का निर्देश दिया है।
हालांकि, अदालत ने सिंफर से दो माह में अंतरिम रिपोर्ट तलब की है। अदालत ने सरकार को इसके लिए 25 लाख रुपये भी देने को कहा है। आधी राशि काम शुरू करने के पहले और आधी जांच पूरी होने के बाद दी जाएगी। सुनवाई के दौरान सिंफर के निदेशक प्रदीप कुमार सिंह अदालत में मौजूद थे। दरअसल, पूर्व में अदालत को बताया गया था कि कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के सदस्य एक साथ नहीं हो पाते हैं, इसकी वजह से ऊर्जा संयंत्रों की जांच में परेशानी हो रही है।
प्रदीप कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि सिंफर में इस तरह की जांच करने के लिए कई सक्षम वैज्ञानिक हैं। इसके बाद कोर्ट ने अब इसकी जांच सिंफर को ही करने का निर्देश दिया। इस मामले में न्याय मित्र अभय प्रकाश ने पक्ष रखा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में देश के ऊर्जा संयंत्रों में हो रहे प्रदूषण से आसपास के इलाकों और प्लांटों में काम करने वाले लोगों की सेहत पर पड़ रहे असर का मामला उठाया गया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के हाई कोर्ट के पास मामला भेज कर ऊर्जा संयंत्रों के प्रदूषण की जांच की मॉनीटरिंग करने का निर्देश दिया था।