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World No Tobacco Day: सावधान ! बांझपन का कारण बन रहा है सिगरेट का धुंआ

World No Tobacco Day. धूम्रपान महिलाओं में इनफर्टिलिटी की संभावना को 60 प्रतिशत तक बढ़ाता है जिससे गर्भाशय में परेशानी हो सकती है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 31 May 2019 12:47 PM (IST)Updated: Fri, 31 May 2019 12:47 PM (IST)
World No Tobacco Day: सावधान ! बांझपन का कारण बन रहा है सिगरेट का धुंआ
World No Tobacco Day: सावधान ! बांझपन का कारण बन रहा है सिगरेट का धुंआ

रांची, जासं। धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इससे होने वाले नुकसानों से सभी अपने दैनिक जीवन में हर जगह रूबरू होते हैं। लेकिन अभी भी तंबाकू के आदी लोग इसे अनदेखा करते हैं। तंबाकू न केवल फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है बल्कि दिल, गुर्दे और यहां तक कि शुक्राणुओं को भी नुकसान पहुंचाता है। पूरे विश्व में हर साल 31 मई को विश्व धूमपान निषेध दिवस के रूप में मनाते है।

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धूमपान पुरुषों और महिलाओं में इनफर्टिलिटी का कारण बन सकता है। आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में धूम्रपान के कारण हर साल लगभग 60 लाख लोगों की मौत हो जाती है। हाल के शोध से पता चलता है कि 18 साल से अधिक उम्र की चार में से लगभग एक महिला धूम्रपान करती है। रांची स्थित इंदिरा आईवीएफ हास्पिटल की आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. पूजा रानी का कहना है कि धूमपान महिलाओं में इनफर्टिलिटी की संभावना को 60 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है।

धूम्रपान का एक्टोपिक गर्भावस्था से संबंध हो सकता है और इसके कारण फैलोपियन ट्यूबों में समस्या आ सकती है। एक्टोपिक गर्भावस्था में, अंडे गर्भाशय तक नहीं पहुंचते हैं और इसकी बजाय फलोपियन ट्यूब के अंदर प्रत्यारोपण हो जाते है। इसके कारण गर्भाशय में परिवर्तन आ सकता है, जिसके कारण गर्भाशय कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। सिगरेट में मौजूद रसायन अंडाशय के भीतर एंटीऑक्सीडेंट स्तर में असंतुलन पैदा कर सकते हैं। यह असंतुलन निशेचन को प्रभावित कर सकता है और स्पष्ट है कि इसके बाद इंप्लांटेशन में कमी आ जाएगी।

गर्भावस्था में बच्चे को भी होता है खतरा

गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने से गर्भस्थ बच्चे को भी नुकसान पहुंच सकता है। यहां तक कि धूम्रपान करने वाली महिलाओं में समय पूर्व प्रसव पीड़ा हो सकती है और स्वास्थ्य समस्याओं से पीडि़त बच्चों को जन्म दे सकती हैं। धूम्रपान करने वाली आईवीएफ रोगियों में धूम्रपान नहीं करने वाली महिलाओं की तुलना में गर्भावस्था दर 30 प्रतिशत कम होती है। पुरुष प्रजनन क्षमता पर भी भारी दुष्प्रभाव पड़ता है। यह रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और रक्त प्रवाह को प्रभावित करता है।

कुछ अध्ययनों में धूमपान के प्रभाव का इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और यौन प्रदर्शन में कमी से भी संबंध पाया गया है। तंबाकू के कारण क्रोमोसोम को भी क्षति पहुंच सकती है और शुक्राणु में डीएनए फ्रैगमेंटेशन हो सकता है। धूमपान शुक्राणु को नुकसान पहुंचाते हैं जिसके कारण निषेचन की संभावना कम हो जाती है। धूमपान करने वाले लोगों के शुक्राणुओं से विकसित भ्रूण में डीएनए की क्षति के कारण उसके जीवित रहने की संभावना कम होती है।

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