कोरोना की तीसरी लहर में लंबे समय के लिए संक्रमित हो सकते हैं बच्चे, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ
Jharkhand Ranchi News रिम्स के डॉक्टरों को बताया गया कि यहां भी कोरोना की तीसरी लहर में इस तरह के लांग कोविड के केस बच्चों में मिल सकते हैं जिसे लेकर अभी से उन्हें सतर्क रहने की जरूरत है।
रांची, जासं। कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए डॉक्टरों के प्रशिक्षण का काम शुरू किया गया है। इसी कड़ी में रविवार को रिम्स में अंतरराष्ट्रीय वेबीनार के माध्यम से डॉक्टरों, विभागाध्यक्ष, वरिष्ठ प्राध्यापकों व छात्र-छात्राओं को तीसरी लहर को लेकर कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई। वेबीनार में यूके से जुड़े विशेषज्ञों ने बताया कि वहां बच्चों के इलाज को लेकर जो प्रोटोकॉल हैं और भारत में जो प्रोटोकॉल हैं, उसमें अधिक फर्क नहीं है, लेकिन इलाज को और बेहतर करने के लिए कुछ बदलाव करने की जरूरत है।
यूके में कोरोना से पीड़ित बच्चों में 6 महीने तक संक्रमण के विभिन्न लक्षण देखे गए हैं। इसे लेकर भारत में भी इसकी तैयारी करने पर जोर दिया गया। रिम्स के डॉक्टरों को बताया गया कि यहां भी कोरोना की तीसरी लहर में इस तरह के लांग कोविड के केस बच्चों में मिल सकते हैं। इसे लेकर अभी से उन्हें सतर्क रहने की जरूरत है। वेबीनार में रिम्स निदेशक डॉ. कामेश्वर प्रसाद ने बताया कि बच्चों को तीसरी लहर में किस प्रकार स्वस्थ रखा जाए, व अभिभावकों की क्या जिम्मेदारी होनी चाहिए
इसे लेकर भी जागरूकता लाने की जरूरत है। इस वेबीनार में यूके के पब्लिक हेल्थ से जुड़े डॉ. एस करुणानिधि, डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह, डॉक्टर एस प्रिया ने मुख्य रूप से सभी को संभावित तीसरी लहर के बारे में कई बातें बताई। इस कार्यक्रम को डॉक्टर अर्पिता राय ने आयोजित करते हुए बताया कि जिस तरह से दूसरी लहर आई थी और उसके बाद स्थिति काफी भयावह हो गई। अगर दूसरी लहर की तैयारी अच्छी से की गई होती तो शायद इतनी भयावह स्थिति नहीं होती।
लेकिन अभी तीसरी लहर के बारे में जो बातें बताई जा रही है, उसे लेकर पूरा विश्व आज इसकी तैयारी में जुट चुका है। अस्पतालों में बच्चों के इलाज को लेकर कई व्यवस्था की जा रही है। अस्पतालों में ऑक्सीजन टैंक लगाए जा रहे हैं। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि संक्रमण में और क्या-क्या नई बातें सामने आ सकती है। इसे लेकर आगे की तैयारी और अच्छे तरीके से की जा सके।