Move to Jagran APP

रिम्स में पैसों की ठगी के लिए हद पार कर रहे जालसाज, खून के बदले परिजन से 4 हजार लेकर दलाल फरार

सूबे के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में पॉकेटमार और दलालों की भरमार है। वहीं दूसरी ओर रिम्स के ऑर्थो विभाग के सी2 वार्ड में भर्ती मरीज के परिजन सुशीला मुंडा से साजन नामक दलाल ने चार हजार रुपए खून देने की एवज में ठग लिया है।

By Vikram GiriEdited By: Published: Sun, 07 Feb 2021 12:01 PM (IST)Updated: Sun, 07 Feb 2021 12:01 PM (IST)
रिम्स में पैसों की ठगी के लिए हद पार कर रहे जालसाज, खून के बदले परिजन से 4 हजार लेकर दलाल फरार
खून के बदले परिजन से 4 हजार लेकर दलाल फरार। जागरण

रांची, जासं । सूबे के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में पॉकेटमार और दलालों की भरमार है। शनिवार को एक मरीज के परिजन से पॉकेटमार ने 6 हजार रुपए की पॉकेट मारी कर ली। वहीं दूसरी ओर रिम्स के ऑर्थो विभाग के सी2 वार्ड में भर्ती मरीज के परिजन सुशीला मुंडा से साजन नामक दलाल ने चार हजार रुपए खून देने की एवज में ठग लिया है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब सुशीला मुंडा खरीदे गए खून को रिम्स ब्लड बैंक में रखवाने के लिए पहुंची तब ब्लड बैंक के कर्मचारी ने बताया कि जिस मरीज के नाम से यह खून है, खून उसी मरीज को दिया जाएगा।

loksabha election banner

इधर, धुर्वा निवासी सुशीला मुंडा ने कहा कि खरीदे गए ब्लड को जब ब्लड बैंक में रखवाने के लिए पहुंची तब ब्लड बैंक के कर्मचारियों ने ब्लड को फ्रिज में रखने से मना कर दिया। सुशीला ने बताया कि जिस व्यक्ति से उसने खून खरीदा था उसका नाम साजन है। डा. ने दो यूनिट खून मरीज को चढ़ाने के लिए लिखा। एक यूनिट ब्लड का इंतजाम उसने खुद से कर लिया था। जबकि दूसरे यूनिट ब्लड के लिए साजन नाम के एक व्यक्ति से संपर्क हुआ। साजन ने कहा कि उसके पास एक यूनिट ब्लड उपलब्ध है जिसकी उसे जरूरत नहीं है। चार हजार रुपए की मांग करते हुए साजन ने सुशीला को ब्लड सौंपते हुए वहां से चंपत हो गया। सुशीला ब्लड बैंक के कर्मचारियों से गुहार लगा रही है कि इस एक यूनिट ब्लड को रिम्स ब्लड बैंक में रख लें और जरूरत के वक्त उसे वापस दे दे।

चायना सेन के नाम पर आवंटित खून सुशीला को दिया

साजन नामक दलाल ने चार हजार रुपए लेकर जो खून सुशीला को दिया था उस पर चायना सेन का नाम लिखा हुआ है। ब्लड के पैकेट पर ब्लड कलेक्शन की तिथि 26 जनवरी 2021 अंकित है। जिसका ब्लड ग्रुप O पॉजिटिव है। बताते चले कि रिम्स ब्लड बैंक से बिना पैसे के ही खून देने का प्रावधान है। ऐसे में प्रबंधन पर सवाल उठता है? कि रिम्स ब्लड बैंक में डोनेट किया गया खून दलाल तक कैसे पहुंचा। क्या इसमें ब्लड बैंक के ही किसी कर्मचारी की मिली भगत है? रिम्स प्रबंध्रन के नाक के नीचे आखिर कैसे कोई खून की सौदेबाजी खूलेआम बेखौफ होकर कर सकता है। प्रबंधन को इसमें लगाम कसने की ओर कड़े कदम उठाने चाहिए। क्योंकि इससे रिम्स की छवि धूमिल हो रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.