फर्जी कंपनी के नाम पर बैंक को 3.31 करोड़ चूना लगाने में सात के खिलाफ चार्जशीट दाखिल
-बैंक ऑफ इंडिया रामगढ़ कैंट से लिया लोन जांच हुई तो फर्जीवाड़ेका हुआ खुलासा -सीबीआ
-बैंक ऑफ इंडिया रामगढ़ कैंट से लिया लोन, जांच हुई तो फर्जीवाड़ेका हुआ खुलासा
-सीबीआइ की विशेष अदालत ने अभियुक्तों 16 जनवरी तक पेश होने का दिया आदेश जागरण संवाददाता, रांची : फर्जी कंपनी के नाम पर बैंक ऑफ इंडिया, रामगढ़ कैंट शाखा को 3.31 करोड़ रुपया का चूना लगाने के मामले में सीबीआइ की आर्थिक अपराध शाखा ने सात अभियुक्तों के खिलाफ विशेष जज एके मिश्रा की अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दिया है। चार्जशीट दाखिल होने के बाद विशेष जज एके मिश्रा ने सभी सातों अभियुक्तों के खिलाफ संज्ञान लेते हुए 16 जनवरी तक स्वयं अथवा अधिवक्ता के माध्यम से पेश होने का आदेश दिया है।
बैंक से धोखाधड़ी कांड संख्या आरसी 11/18 में सीबीआइ ने सिद्धि विनायक इंटरप्राइजेज, रामगढ़ के संचालक संजय शाह, भारत लॉजिस्टिक्स व शिवा ट्रांसपोर्ट कंपनी के संचालक मुकेश शाह(दोनों सगे भाई), इनार इंडस्ट्रियल इंटरप्राइजेज (टाटा मोटर्स के अधिकृत डीलर) रामगढ़ के शाखा प्रबंधक रविकांत प्रसाद व भीम बॉडी बिल्डर्स के संचालक भीम राणा, बसंत महतो, बोंगरा कुमार सिंह एवं राजेश शाह को आरोपी बनाया है।
दिसंबर 2016 से मई 2017 के बीच चला फर्जीवाड़े का खेल
बता दें कि अभियुक्तों ने फर्जी दस्तावेज एवं कोटेशन बनाकर बैंक में जमा किया एवं इसी आधार पर बैंक से 3.31 करोड़ रुपये का लोन लिया। बाद में जब जांच हुई तो पता चला कि जिस कंपनी के नाम पर लोन लिया गया है उसका कोई अस्तित्व ही नहीं है। फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद सीबीआइ ने 2018 में दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज कर छानबीन शुरू की। टाटा मोटर्स से चेचिस खरीदने और ऑयल टैंकर का बॉडी बनाने के नाम पर लिया लोन : जांच के दौरान यह सामने आया कि अभियुक्तों ने टाटा मोटर्स से चेचिस खरीदने और ऑयल टैंकर का बॉडी बनाने का कार्य शुरू करने के नाम पर बैंक से लोन लिया था। बैंक को धोखा देने के लिए मेसर्स भारत लॉजिस्टिक्स व मेसर्स शिवा ट्रांसपोर्ट कंपनी के प्रोपराइटर मुकेश शाह ने रिलायंस, बीपीसीएल और एचपीसीएल के लिए पेट्रोलियम प्रोडक्ट के परिवहन का फर्जी कार्यादेश प्रस्तुत किया था। साथ ही, स्थानीय युवकों का छह से 10 हजार रुपये मासिक आय से संबंधित फर्जी आय प्रमाण बनाया और उसके नाम पर ऑयल टैंकर का लोन पास करवाया। बैंक को यह भी आश्वस्त किया कि जो भी वाहन संचालित होंगे वो मेसर्स भारत लॉजिस्टिक्स व मेसर्स शिवा ट्रांसपोर्ट के अधीन रहकर कार्य करेगा। बाद में जब लोन किस्त जब नहीं जमा किया गया तो छानबीन शुरू हुई। इसके बाद फर्जीवाड़े का पता चला। फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद बैंक ने जो 30 चेचिस जब्त किए उसमें एक भी चेचिस पर टैंकर की बॉडी नहीं मिली।