राजधानी की औद्योगिक इकाइयां 72 घंटे से ठप
रांची : लगातार बढ़ रही बिजली की समस्या से राजधानी की औद्योगिक इकाइयां बदहाल हैं। बीआइटी इंडस्ट्रियल
रांची : लगातार बढ़ रही बिजली की समस्या से राजधानी की औद्योगिक इकाइयां बदहाल हैं। बीआइटी इंडस्ट्रियल एरिया में 72 घंटे से बिजली नहीं है। इस कारण राजधानी का उद्योग जगत लगातार तीन दिनों से ठप है। करोड़ों का नुकसान हुआ है। व्यवसायी जेनरेटर चला कर भारी नुकसान उठाने को मजबूर हैं। राज्य में बिजली की स्थिति तो विभाजन के बाद से ही अच्छी नहीं रही है। कुछ सालों में स्थिति और खराब हुई। आधे घंटे की आंधी से राजधानी की बिजली चार दिनों तक प्रभावित रहती है। ऐसे में शहर में उद्योग करना असंभव होता जा रहा है। लगातार आ रहीं शिकायतों के बाद भी विभाग के रवैये से एक बात साफ होती है कि राज्य में बिजली वितरण के लिए बिजली वितरण निगम अक्षम है। यह बातें झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स की प्रेसवार्ता में अध्यक्ष रंजीत गाड़ोदिया ने कही।
उन्होंने कहा कि बिजली के नहीं रहने से व्यवसायी जेनरेटर चला कर काम करने को मजबूर हैं। इससे उत्पादों के उत्पादन मूल्य में पांच गुना तक की बढ़ोतरी हो गई है। बिजली द्वारा उत्पादन का मूल्य जहां छह रुपये होता है, जेनरेटर से उत्पादन मूल्य 28 से 30 रुपये हो जाता है।
बिजली वितरण को निजी हाथों में सौंपा जाए
एनर्जी सब-कमेटी के अध्यक्ष अजय भंडारी ने कहा कि सरकार की करोड़ों की योजनाओं से निर्मित पोल और तार हवा के झोकों के साथ उड़ जाते हैं। साफ है कि कार्य विधि और समाग्री की गुणवत्ता को देखने के लिए कोई नहीं है। उन्होने कहा के राज्य के बिजली वितरण का भार निजी कंपनी को दिया जाना चाहिए।
ज्ञात हो कि राज्य पूरे देश में बिजली के उत्पादन को लेकर कोई समस्या नहीं है। पर्याप्त उत्पादन होने के बावजूद राजधानी सहित अन्य जिलों में भी बिजली की भयावह स्थिति सरकार के रवैये को साफ करती है। कहा गया कि पड़ोसी राज्य बिहार में भी दिन के 22 घंटे से अधिक बिजली रहती है। प्रेस वार्ता में गुमला, बोकारो, पाकुड़ सहित अन्य कई जिलों के चैंबर के प्रतिनिधियों ने भी अपने जिले की समस्याएं सामने रखी।