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एनआइए की दबिश से टेरर फंड‍िंंग पर लगाम, सीसीएल के बच गए 560 करोड़ रुपये

jharkhand crime news वर्ष 2018 में राष्‍ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने झारखंड के चतरा के टंडवा थाने के केस को टेकओवर कर अनुसंधान शुरू किया। कार्रवाई की जद में आए कई रसूखदार लोग। नेक्सस टूटा तो कोल कंपनी का ट्रांसपोर्टिंग कास्ट भी घट गई। पढ़‍िए पूरी कहानी-

By M EkhlaqueEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 05:00 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 05:00 AM (IST)
एनआइए की दबिश से टेरर फंड‍िंंग पर लगाम, सीसीएल के बच गए 560 करोड़ रुपये
एनआइए की दबिश से टेरर फंड‍िंंग पर लगाम, सीसीएल के बच गए 560 करोड़ रुपये।

चतरा, (जुलकर नैन)। झारखंड के चतरा के टंडवा स्थित सीसीएल के आम्रपाली एवं मगध कोल परियोजनाओं में टेरर फंड‍िंंग मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने ताबड़तोड़ कार्रवाई क्या की तो सेंट्रल कोलफील्ड लि. (सीसीएल) की तो जैसे लाटरी ही लग गई। टेरर फंड‍िंंग के नाम पर ऊंची कीमत पर कोयला ढुलाई का ठेका लेने वाले व देने वालों में कई सलाखों तक पहुंच गए हैं। नतीजा यह हुआ कि ट्रांसपोर्टिंग कास्ट पूर्व के मुकाबले काफी कम हो गया है। करीब ढाई साल के भीतर इस मद में सीसीएल के 560 करोड़ बच गए। कोल कंपनी के अलावा कोयला खरीदने वाली कंपनियां भी लाभान्वित हुई हैं। वहीं इस कार्रवाई से उग्रवादियों के आर्थिक रीढ़ पर भी प्रहार हुआ। यहां से मिले पैसे से उग्रवादी हथियार खरीद दहशत फैलाते थे।

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ट्रांसपोर्टिंग के नाम पर प्रति टन 400 रुपये खर्च होते थे

एनआइए के केस लेने से पहले ट्रांसपोर्टिंग के नाम पर सीसीएल के प्रति टन 400 रुपये खर्च होते थे। इसमें 254 रुपये संचालन समिति के हिस्से में जाता था। संचालन समिति का पैसा उग्रवादी संगठनों व उससे जुड़े लोगों को मिलता था। सीसीएल के दामन पर भी दाग लगे कि उसके कर्मचारियों ने मिलीभगत से ट्रांसपोर्टिग कास्ट बढ़वाई। जब एनआइए ने टेरर फंड‍िंंग के मामले में प्राथमिकी दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया तो संचालन समिति के पूरे नेक्सस का पर्दाफाश किया। उग्रवादियों का धमक खत्म हुई। फिर सीसीएल ने निविदा के माध्यम से ट्रांसपोर्टिंग का ठेका अंबे कंपनी को दिया। जहां पहले कोयला ढुलाई पर 400 रुपये प्रति टन खर्च होता था, वहां अंबे कंपनी ने 90 रुपये प्रति टन के हिसाब से ठेका लिया। इस प्रकार प्रति टन 310 रुपये की बचत होने लगी। अंबे कंपनी ने इस दौरान 1.81 करोड़ टन कोयले का परिवहन किया है। इसमें 560 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ हुआ है।

एनआइए को अब ट्रांसपोर्टर अमित अग्रवाल व विनीत अग्रवाल की तलाश

मगध व आम्रपाली कोल परियोजना से कोयला खनन से लेकर ढुलाई तक में टेरर फंङ्क्षडग के मामले का अनुसंधान कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की टीम अब ट्रांसपोटर्स अमित अग्रवाल उर्फ सोनू अग्रवाल एवं विनीत अग्रवाल की तलाश में है। तीसरे व प्रमुख आरोपित आधुनिक पावर के पूर्व एमडी महेश अग्रवाल को एनआइए ने एक दिन पहले ही कोलकाता के साल्टलेक के डीए ब्लॉक स्थित आवास से गिरफ्तार किया था। तीनों ही आरोपितों की याचिका एक दिन पहले यानी मंगलवार को ही हाई कोर्ट से खारिज हुई थी। जानकारी मिली है कि अमित अग्रवाल उर्फ सोनू अग्रवाल व विनीत अग्रवाल की खोज शुरू हो गई है।

एनआइए ने वर्ष 2016 में दर्ज प्राथमिकी को क‍िया टेक ओवर

एनआइए ने टंडवा थाने में वर्ष 2016 में दर्ज प्राथमिकी को टेक ओवर करते हुए वर्ष 2018 में केस दर्ज किया था। इसी मामले में जनवरी 2020 में चार्जशीट दाखिल हई थी। इसमें एनआइए ने आधुनिक पावर लिमिटेड के प्रबंध निदेशक महेश अग्रवाल, ट्रांसपोर्टर अमित अग्रवाल उर्फ सोनू अग्रवाल तथा विनीत अग्रवाल, व्यवसायी सुदेश केडिया और ट्रांसपोर्टर अजय उर्फ अजय स‍िंंह के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दाखिल किया था। इस मामले में सुदेश केडिया जमानत पर हैं। वहीं, सीसीएलकर्मी सुभान मियां, ट्रांसपोर्टर छोटू ङ्क्षसह, टीपीसी उग्रवादी कोहराम सहित एक दर्जन आरोपित जेल में बंद हैं।


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