CM हेमंत से मिले CCL सीएमडी, झारखंड की बकाया राशि का करें भुगतान
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोल इंडिया लिमिटेड के सीएमडी प्रमोद अग्रवाल और सीसीएल सीएमडी गोपाल सिंह से स्पष्ट कहा है कि झारखंड की बकाया राशि का भुगतान जल्द से जल्द किया जाए।
रांची, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोल इंडिया लिमिटेड के सीएमडी प्रमोद अग्रवाल और सीसीएल सीएमडी गोपाल सिंह से स्पष्ट कहा है कि झारखंड की बकाया राशि का भुगतान जल्द से जल्द किया जाए। प्रमोद अग्रवाल बुधवार को सीसीएल सीएमडी गोपाल सिंह के साथ झारखंड मंत्रालय में मुख्यमंत्री से शिष्टाचार मुलाकात को पहुंचे थे। बता दें कि सोमवार को झारखंड विधानसभा में पेश श्वेत पत्र में सरकार ने उल्लेख किया था कि कोयला कंपनियों पर करीब 65 हजार करोड़ की राशि बकाया है।
श्वेत पत्र में क्या कहा गया था
श्वेत पत्र में कहा गया था कि खनन राजस्व के कुल 70 प्रतिशत की प्राप्ति कोयले से होती है। राज्य में अधिसंख्य कोयला खदानें भारत सरकार के उपक्रम सीसीएल, बीसीसीएल, ईसीएली, एनटीपीसी, सेल व डीवीसी के पास हैं। इन कंपनियों द्वारा लगभग 80 लाख टन वार्षिक कोयले का उत्पादन किया जाता है, जिस पर सरकार को अभी भी उचित रायल्टी की प्राप्ति नहीं हो पा रही है। रायल्टी दर में बढ़ोतरी का मामला वर्षों से केंद्र सरकार के पास लंबित है। सीसीएल व बीसीसीएल कंपनियों पर करीब 2000 करोड़ रुपये की रायल्टी बकाया है।
कॉमन कॉउज के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए बताया गया है कि सीसीएल, बीसीसीएल व ईसीएल पर लगभग 32 हजार करोड़ रुपये बकाया है। राज्य सरकार द्वारा इसे वसूला नहीं जा सका है। यह भी कहा गया था कि भारत सरकार के एक अन्य उपक्रम सेल के ऊपर लगभग तीन हजार करोड़ रुपये का खनन पट्टा नवीकरण के बाबत बकाया है।
उक्त कंपनी पर लगभग 1200 करोड़ रुपये की मांग कॉमन कॉउज में पारित आदेश के तहत लंबित है। कोयले के साथ अन्य वृहद खनिजों के रायल्टी दर के पुनरीक्षण का मामला केंद्र सरकार के पास लंबित रहने के कारण राजस्व वसूली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। कॉमन कॉउज के एक अन्य मामले का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि सीबी एरिया एक्ट के तहत कुल राशि लगभग 65 हजार करोड़ रुपये सीसीएल, बीसीसीएल व ईसीएल पर बकाया हैं।
कोल इंडिया के सीएमडी ने किया सीसीएल का दौरा
कोल इंडिया लिमिटेड के सीएमडी प्रमोद अग्रवाल ने बुधवार को सीसीएल के कामकाज की समीक्षा के लिए यहां कंनपी का दौरा किया। मगर उनका दौरा इतना गुप्त था कि कंपनी के श्रमसंघों को भी इसकी खबर नहीं लगी। प्रमोद अग्र्रवाल ने पूरे काम के बारे में केवल पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से जानकारी ली। वे न किसी विभाग में गए और न ही किसी कर्मचारी से मुलाकात की। इस बैठक में सीसीएल के सीएमडी गोपाल सिंह भी मौजूद थे।
श्रमिक संघ सीटू के राष्ट्रीय अध्यक्ष डीडी रामानंदन ने कहा कि कई ऐसे मामले हैं जिनके बारे में कोल इंडिया के अध्यक्ष को सीसीएल के सीएमडी से जानकारी लेनी चाहिए थी। सीसीएल का सबसे बड़ा अस्पताल गांधी नगर धीरे-धीरे बदहाल होता जा रहा है। यहां मरीजों के बेहतर सुविधा के केवल दावे किए जाते हैं, जबिक यहां बुनियादी सुविधा भी नहीं है। इसके साथ ही मजदूरों को ग्र्रैच्यूटी का मामला भी 2018 से लटका हुआ है।
इसके साथ ही कई ऐसे मामले और अनियमितता है जिसके बारे में उन्हें जानकारी होनी चाहिए थी। कंपनी मजदूर हित को भूलकर काफी दूर तक नहीं चल सकती है। सीटीओ क्लियरेंस के कारण कई खदान बंद हो गए। इसके साथ ही 2005 में आम्रपाली में हुए सर्वे में कई गलतियां है। इसके बारे में सीसीएल की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया है। ऐसे में 100 मिलियन कोयला उत्पादन केवल एक सपना ही है।