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Jharkhand: सिकिदिरी हाइडेल घोटाला मामले में बिजली बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एसएन वर्मा समेत नौ के खिलाफ समन

सीबीआइ की विशेष अदालत ने स्वर्णरेखा जल विद्युत परियोजना सिकिदिरी के रखरखाव एवं मरम्मत में 20.87 करोड़ रुपये के हुए घोटाला मामले में दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया है।अदालत ने इस मामले में सभी नौ अभियुक्तों को समन जारी किया है।

By Vikram GiriEdited By: Published: Fri, 16 Oct 2020 11:58 AM (IST)Updated: Fri, 16 Oct 2020 11:58 AM (IST)
Jharkhand: सिकिदिरी हाइडेल घोटाला मामले में बिजली बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एसएन वर्मा समेत नौ के खिलाफ समन
बिजली बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एसएन वर्मा समेत नौ के खिलाफ समन। जागरण

रांची (राज्य ब्यूरो) । सीबीआइ की विशेष अदालत ने स्वर्णरेखा जल विद्युत परियोजना, सिकिदिरी के रखरखाव एवं मरम्मत में 20.87 करोड़ रुपये के हुए घोटाला मामले में दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया है। अदालत ने इस मामले में सभी नौ अभियुक्तों को समन जारी किया है। दरअसल, सीबीआइ ने इस घोटाले में भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल), भोपाल के तीन वरीय पदाधिकारी एवं झारखंड राज्य बिजली बोर्ड (जेएसईबी) के तत्कालीन अध्यक्ष एसएन वर्मा समेत नौ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। अदालत ने चार्जशीट में शामिल सभी अभियुक्तों के खिलाफ संज्ञान लेते हुए समन जारी किया गया है। इस मामले में सीबीआइ ने दो जून 2016 को प्राथमिकी दर्ज करते हुए जांच प्रारंभ की थी।

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इन लोगों पर हुई चार्जशीट

सीबीआइ ने जिन लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया है, उनमें जेएसईबी, रांची के तत्कालीन अध्यक्ष एसएन वर्मा, जेएसईबी, रांची के तत्कालीन वित्तीय सदस्य आलोक शरण, भेल, भोपाल के सीनियर डीजीएम सुनीति कुमार मजूमदार, भेल पीडीएक्स, भोपाल के एजीएम आरके आर्या, भेल भोपाल के गुरुकृत सिंह सचदेवा, मेसर्स नॉर्थन पावर इरेक्टॉर्स लि. नई दिल्ली के संचालक नवनीत सागर मित्तल व उसकी कंपनी, मेसर्स फाइब्रेटेक मेरठ यूपी के संचालक आशुतोष मित्तल व उसकी कम्पनी शामिल हैं।

यह है पूरा मामला

स्वर्ण रेखा जल विद्युत परियोजना सिकिदिरी के रखरखाव एवं मरम्मत के लिए वर्ष 2011-12 में टेंडर निकाला गया। टेंडर में न्यूनतम 59.75 लाख रुपये एवं अधिकतम 20.87 करोड़ रुपये का आवेदन आया। जेएसईबी के तत्कालीन अध्यक्ष एवं भेल के तीनों वरीय पदाधिकारियों ने आपराधिक साजिश एवं पद का दुरुपयोग करते हुए टेंडर सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी को काम दे दिया। जबकि रखरखाव एवं मरम्मत में अधिकतम 2.5 करोड़ रुपये खर्च किया जाना था।


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