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Jharkhand: चतरा के आम्रपाली कोल परियोजना में सीबीआइ का छापा, कई दस्‍तावेज जब्‍त

CBI Raid CCL Amrapali Coal Project Jharkhand News कार्यालय में सीबीआइ छापे की सूचना मिलते ही सीसीएल अधिकारियों व कर्मियों में हड़कंप मच गया। सीबीआइ की टीम वहां पर डेढ़ से दो घंटा तक दस्तावेजों को खंगालती रही।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 26 Aug 2021 06:34 PM (IST)Updated: Thu, 26 Aug 2021 06:40 PM (IST)
Jharkhand: चतरा के आम्रपाली कोल परियोजना में सीबीआइ का छापा, कई दस्‍तावेज जब्‍त
CBI Raid, CCL Amrapali Coal Project, Jharkhand News सीबीआइ की टीम डेढ़ से दो घंटा तक दस्तावेजों को खंगालती रही।

टंडवा (चतरा), जासं। चतरा के आम्रपाली कोल परियोजना से कोयला की हेराफेरी मामले में सीबीआइ ने जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी है। गुरुवार को सीबीआइ की टीम परियोजना कार्यालय पहुंची और कोयला चोरी के मामले की जानकारी खंगालने लगी। टीम में चार से पांच सदस्य शामिल थे। सीबीआइ की टीम परियोजना कार्यालय पहुंचते ही जांच की प्रक्रिया में जुट गई। परियोजना कार्यालय के अधिकारियों और कर्मियों को जैसे ही इसकी जानकारी मिली, उनके होश उड़ गए। सीसीएल अधिकारियों व कर्मियों में हड़कंप मच गया। सीबीआइ की टीम वहां पर डेढ़ से दो घंटा तक दस्तावेजों को खंगालती रही।

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सूत्रों का कहना है कि छापेमारी में सीबीआइ की टीम को कोयला उत्पादन, प्रेषण व स्टॉक से संबंधित दस्तावेज हाथ लगा है। हालांकि आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है। छापेमारी दल के सदस्यों ने इस बाबत कुछ भी बताने से इन्‍कार कर दिया। सूत्रों ने बताया कि सीबीआइ की टीम परियोजना कार्यालय के बाद आम्रपाली स्थित महालक्ष्मी व मां अंबे जुवेंट वेंचर आउटसोर्सिंग कंपनी के कार्यालय भी पहुंची। लेकिन उससे पहले वहां अंबे कंपनी के अधिकांश अधिकारी व कर्मी दफ्तर छोड़ कर फरार हो चुके थे। सूचना है कि सीबीआइ ने दो कर्मियों को वहां से हिरासत में लिया है।

मालूम हो कि सीबीआइ ने परियोजना से 83 करोड़ की कोयला हेराफेरी का मामला दर्ज किया है। मामले में सीसीएल अधिकारी समेत आउटसोर्सिंग कंपनी व ट्रांसपोर्टिंग कंपनी निदेशक को आरोपित किया गया है। इसी मामले की जांच को लेकर छापेमारी की गई है। बताया जा रहा है कि आउटसोर्सिंग मां अंबे व नकास ट्रांसपोर्टिंग कंपनी परियोजना क्षेत्र में कोयला का उत्पादन के साथ-साथ ट्रांसपोर्टिंग भी करती थी। दोनों कार्य एक ही कंपनी द्वारा किए जाने से बगैर कांटा कराए रेलवे साइडिंग ढुलाई करती थी। इसमें लगभग पांच सौ रैक कोयला गबन किया गया है।


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