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सीबीआइ ने कहा, लालू ने नहीं पूरी की सजा की आधी अवधि

चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की जमानत मामले में सीबीआइ की ओर से मंगलवार को झारखंड हाई कोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया गया है। सीबीआइ ने अपने जवाब में कहा है कि लालू प्रसाद जिस मामले में जमानत की मांग कर रहे हैं उस मामले में उन्होंने सजा की आधी अवधि पूरी नहीं की है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 12:20 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 12:20 AM (IST)
सीबीआइ ने कहा, लालू ने नहीं  पूरी की सजा की आधी अवधि
सीबीआइ ने कहा, लालू ने नहीं पूरी की सजा की आधी अवधि

रांची : चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की जमानत मामले में सीबीआइ की ओर से मंगलवार को झारखंड हाई कोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया गया है। सीबीआइ ने अपने जवाब में कहा है कि लालू प्रसाद जिस मामले में जमानत की मांग कर रहे हैं, उस मामले में उन्होंने सजा की आधी अवधि पूरी नहीं की है। इसके अलावा सीबीआइ ने सीआरपीसी की धारा 427 का मुद्दा उठाया। इसके आधार पर सीबीआइ का कहना है कि दुमका कोषागार मामले में लालू एक दिन भी जेल में नहीं रहे हैं। लालू ने दुमका मामले में ही जमानत याचिका दाखिल की है। उनकी ओर से सजा की आधी अवधि जेल में काटने और हृदय रोग, किडनी व शुगर सहित 16 प्रकार की बीमारियों का हवाला दिया गया है।

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बता दें कि लालू पर झारखंड में कुल पांच मामले चल रहे हैं। इनमें से चार मामलों में उन्हें सजा मिल चुकी है। लालू को पहले ही चाईबासा के दो व देवघर मामले में जमानत मिल चुकी है। जबकि दुमका कोषागार वाले में उन्होंने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की है। वहीं, डोरंडा कोषागार वाले मामले में अभी निचली अदालत में सुनवाई चल रही है। इस तरह दुमका मामले में अगर लालू को जमानत मिली तो वह जेल से बाहर निकल जाएंगे। इस याचिका की सुनवाई हाई कोर्ट में 27 नवंबर को होनी है। यह है सीआरपीसी की धारा 427 : सीआरपीसी की धारा 427 के तहत सजा काट रहे किसी व्यक्ति को दूसरे मामले में दोबारा सजा सुनाई जाती है, तो सजा लगातार चलेगी। जब तक कि निचली अदालत अपने आदेश में यह स्पष्ट न करे कि सजाएं एक साथ चलेंगी। सीबीआइ का दावा है कि लालू प्रसाद के मामले में भी ऐसा ही है। उनके मामले में निचली अदालत ने सजा साथ चलाए जाने को लेकर कोई स्पष्ट आदेश नहीं दिया है और न ही लालू की ओर इसके लिए निचली अदालत में कोई आवेदन दिया गया है। ऐसे में पहली सजा पूरी होने के बाद ही दूसरी सजा शुरू मानी जाएगी।

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