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चारा घोटाला: दुमका मामले में 37 दोषियों को साढ़े तीन से 14 साल की सजा, दो करोड़ तक जुर्माना

चारा घोटाला के दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने 37 दोषियों को सजा सुनाई।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 18 Apr 2018 11:16 AM (IST)Updated: Wed, 18 Apr 2018 05:58 PM (IST)
चारा घोटाला: दुमका मामले में 37 दोषियों को साढ़े तीन से 14 साल की सजा, दो करोड़ तक जुर्माना
चारा घोटाला: दुमका मामले में 37 दोषियों को साढ़े तीन से 14 साल की सजा, दो करोड़ तक जुर्माना

जागरण संवाददाता, रांची। दुमका कोषागार से करीब 34.91 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला मामले (कांड संख्या आरसी 45ए/96) में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने ई-कोर्ट रूम में बुधवार सुबह फैसला सुनाया। अदालत ने 37 दोषियों को सश्रम सजा सुनाई। जिन दोषियों को सजा सुनाई गई, उसमें पशुपालन विभाग के अधिकारी, डॉक्टर और आपूर्तिकर्ता शामिल हैं।

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सजा सुनाने के दौरान सभी दोषी बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश हुए थे। उनकी मौजूदगी में ही अदालत ने सजा सुनाई। पशुपालन विभाग के अधिकारी व डॉक्टरों को आईपीसी (इंडियन पैनल कोड, भारतीय दंड विधान) और पीसी एक्ट (प्रीवेंसन ऑफ क्रप्शन एक्ट, भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम) की धाराओं में सजा सुनाई गई। दोषियों को अदालत ने 3.5 वर्ष से 14 वर्ष तक की सजा सुनाई। साथ ही, 50 लाख रुपये से लेकर दो करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया गया। फैसला सुनाते हुए अदालत ने सभी दोषी और ट्रायल के दौरान मृत अभियुक्तों की एक जनवरी 1990 के बाद की संपत्ति की जांच ईडी से कराने और जांच में सीबीआइ को सहयोग करने का आदेश दिया है। संपत्ति अवैध पाए जाने पर उसे जब्त करते हुए सरकारी खजाने में जमा करने का आदेश दिया है।

अदालत ने मंगलवार को सभी दोषियों के सजा पर सुनवाई पूरी करते हुए, सजा सुनाने की तिथि बुधवार निर्धारित की थी। जिन 37 दोषियों को सजा सुनाई गई है। उसमें पशुपालन विभाग के 16 अधिकारी व डॉक्टर और 21 आपूर्तिकर्ता शामिल हैं। अदालत दोषियों को अल्फावेटिकल रूप से नाम पुकारते हुए सजा सुनाई।
सीबीआइ की ओर से विशेष लोक अभियोजक शिव कुमार काका ने पक्ष रखा। उन्होंने मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में सीबीआइ की ओर से 197 लोगों की गवाही दर्ज कराई थी। बचाव की ओर से भी तीन लोगों की गवाही दर्ज की गई थी। यह मामला राजनीतिक नेताओं से जुड़ा हुआ नहीं था। इसमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सह राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी अभियुक्त नहीं थे। मामले में केवल पशुपालन विभाग के अधिकारी, डॉक्टर व आपूर्तिकर्ता ट्रायल फेस कर रहे थे, जिन्हें अदालत ने दोषी ठहराया था।

34.91 करोड़ की हुई थी अवैध निकासी:
दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में जिन 37 दोषियों को सजा सुनाई गई। यह मामला 34 करोड़ 91 लाख 54 हजार 844 रुपये की अवैध निकासी से संबंधित है। यह निकासी वर्ष 1991-92 और वर्ष 1995-96 के बीच हुई थी। मामले को लेकर सबसे पहले दुमका के तत्कालीन एक्सक्यूटिव मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात राजीव अरूण एक्का ने 22 फरवरी 1996 को दुमका टाउन थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। 15 अप्रैल 1996 को सीबीआइ ने कांड संख्या आरसी 45ए/96 के तहत 72 आरोपितों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की थी। मामले में 12 अक्टूबर 2001 को अदालत में चार्जशीट दायर किया गया। वहीं 24 जुलाई 2004 को 60 अभियुक्तों के खिलाफ अदालत में चार्जफ्रेम हुआ था। ट्रायल के दौरान 14 का निधन हो गया। दो ने अपराध स्वीकार किया और एक अभियुक्त फूल सिंह चार्जफ्रेम के बाद अबतक फरार हैं। वहीं एक आरोपित को हाई कोर्ट से मामले में राहत मिल चुकी है।

17 अप्रैल को दोषियों के सजा के बिंदु पर हुई थी सुनवाई पूरी :
दुमका कोषागार से संबंधित यह दूसरा और चारा घोटाले के 54 मामलों में 51वां मामला है, जिसमें दोषियों को सजा सुनाई गई है। अदालत ने 26 मार्च को मामले में सुनवाई पूरी की थी। 9 अप्रैल को 42 अभियुक्तों पर अदालत फैसला सुनाया था। इसमें पांच अभियुक्तों को बरी कर दिया गया था। जबकि 37 को दोषी ठहराया गया था। इसके बाद 10 अप्रैल से प्रत्येक दिन सात-सात दोषियों के सजा के बिंदु पर सुनवाई हुई। प्रत्येक दिन की सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई। 17 अप्रैल को 9 दोषियों के सजा पर सुनवाई के बाद अदालत ने सजा के लिए 18 अप्रैल की तिथि निर्धारित की थी।

ट्रायल के दौरान निधन हुए इन अभियुक्तों के संपत्ति की भी होगी जांच :
ट्रायल के दौरान 14 अभियुक्तों का निधन हो गया है। इन अभियुक्तों में डॉ. शेषमुनी राम, डॉ. बजरंग देव नारायण सिन्हा, डॉ. सत्यनारायण सिंह, डॉ. इंद्रासन सिंह, डॉ. मोहम्मद वसीमुद्दीन, डॉ. विनय कुमार, बालमुकुंद झा, कालिका प्रसाद सिन्हा, ओम प्रकाश शर्मा, चंद्रशेखर दुबे, ओम प्रकाश गुप्ता, महेंद्र प्रसाद, अजय कुमार सिन्हा और डॉ. अजित कुमार सिन्हा शामिल हैं। अदालत ने फैसला सुनाते हुए इनकी संपत्ति का भी जांच का आदेश दे दिया है।

इन्होंने किया था अपराध स्वीकार :
सुशील कुमार झा और प्रमोद कुमार जायसवाल।

ये बने थे सरकारी गवाह :
डॉ. मोहम्मद सईद, रामेश्वर चौधरी, शिव कुमार पटवारी, नरेश प्रसाद और शैलेश प्रसाद सिंह।

फरार इन अभियुक्तों के खिलाफ जारी है गिरफ्तारी वारंट :
ट्रायल के दौरान चार्जफ्रेम केपूर्व मामले के चार अभियुक्त फरार हुए थे। वहीं चार्जफ्रेम के बाद एक अभियुक्त फरार हो गया। फरार होने वालों में पांचों अभियुक्तों के खिलाफ अदालत ने नौ अप्रैल को ही गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया था। जिनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है, उसमें मुख्य रूप से मेसर्स आनंद कुमार के प्रोपराइटर आनंद कुमार, निहार इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर मनोरंजन प्रसाद, मेसर्स सिपलेक फरमास्वीटकल रांची के प्रोपराइटर सत्येंद्र कुमार, फूल सिंह व राजेंद्र प्रसाद शामिल हैं।

तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक ओम प्रकाश दिवाकर को सबसे अधिक 14 वर्ष की सजा

दुमका मामले में 16 पशुपालन विभाग के अधिकारी व डॉक्टर शामिल थे। इन्हें 3.5 वर्ष से 14 वर्ष की सजा सुनाई गई है। साथ ही, एक करोड़ से दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। अदालत ने इन सभी 16 को आइपीसी और पीसी एक्ट की धाराओं में दोषी पाकर सजा सुनाई है। दुमका के तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक ओम प्रकाश दिवाकर को सबसे अधिक सजा व जुर्माना लगाया गया है। उन्हें आइपीसी की धारा में सात वर्ष की सजा व एक करोड़ रुपये जुर्माना लगाया है।

वहीं, पीसी एक्ट की धारा में सात वर्ष की सजा और एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। दोनों सजाएं अलग-अलग चलेगी। एक सजा काटने के बाद दूसरी सजा शुरू होगी। ऐसे में उन्हें 14 वर्ष की सजा काटनी होगी। साथ ही, दो करोड़ रुपये जुर्माना देना होगा। जुर्माना नहीं देने की स्थिति में दोनों धाराओं में दो वर्ष की अतिरिक्त सजा काटनी होगी।

इसके अलावा सर्वेंदु कुमार दास को आइपीसी व पीसी एक्ट में 3.5-3.5 वर्ष की सजा और 50-50 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है। इनकी सजाएं साथ-साथ चलेगी या अलग-अलग इसका कोई स्पष्ट वर्णन नहीं है। लेकिन फैसला सुनाते समय जज शिवपाल सिंह ने कहा है कि उनकी सजाएं साथ-साथ चलेगी। ऐसे में उन्हें 3.5 वर्ष की सजा काटनी होगी। जबकि जुर्माना एक करोड़ रुपये देना होगा। जुर्माने की राशि नहीं देने पर 18 माह की अतिरिक्त सजा काटनी होगी। इसके अलावा पशुपालन विभाग के अन्य अधिकारी व डॉक्टरों की सजाएं अलग-अलग चलेंगी। वहीं 21 आपूर्तिकर्ताओं को केवल आईपीसी की धारा में साज सुनाई गई है।

जानें, किसे-कितनी सजा 

नाम सजा (वर्ष में) - जुर्माना - अतिरिक्त सजा

पशुपालन विभाग के अधिकारी व डॉक्टर 
1. ओम प्रकाश दिवाकर : 14 - दो करोड़ - दो वर्ष
2. रघुनंदन प्रसाद 7 - एक करोड -18 माह
3. पंकज मोहन भूई 7 एक करोड़ -18 माह
4. राधा मोहन मंडल 7 एक करोड़ - 18 माह
5. सर्वेन्दु कुमार दास 3.5 एक करोड़ -18 माह
6. हेमेंद्र नाथ वर्मा 7 एक करोड़ -18 माह
7. मनोरंजन प्रसाद 7 एक करोड़ -18 माह
8. फ्रेडी केरकेट्टा 7 एक करोड़ -18 माह
9. नंद किशोर प्रसाद 7 एक करोड़ -18 माह
10. दिनेश्वर प्रसाद शर्मा 7 एक करोड़ -18 माह
11. कृष्ण कुमार प्रसाद 7 एक करोड़ -18 माह
12. कृष्ण मुरारी साह 7 एक करोड़ -18 माह
13. मनोज कुमार श्रीवास्तव 7 एक करोड़ -18 माह
14. पितांबर झा 7 एक करोड़ -18 माह
15. विमल कांत दास 7 एक करोड़ -18 माह
16. शशि कुमार सिन्हा 7 एक करोड़ -18 माह

आपूर्तिकर्ता

17. दयानंद कश्यप 7 एक करोड़ -1 वर्ष
18. राजन मेहता 7 एक करोड़ -1 वर्ष
19. त्रिपुरारी मोहन प्रसाद 7 एक करोड़ -1 वर्ष
20. अजित कुमार सिन्हा 3.5 50 लाख -9 माह
21. अनिल कुमार सिन्हा 3.5 50 लाख -9 माह
22. अरूण कुमार सिंह 3.5 50 लाख -9 माह
23. अजित कुमार वर्मा 3.5 50 लाख -9 माह
24. विनोद कुमार झा 3.5 50 लाख -9 माह
25. दिनेश कुमार सिंह 3.5 50 लाख -9 माह
26. गोपी नाथ दास 3.5 50 लाख -9 माह
27. हरीश चंद्र अग्रवाल 3.5 50 लाख -9 माह
28. एमएस बेदी 3.5 50 लाख -9 माह
29. प्रकाश कुमार लाल 3.5 50 लाख -9 माह
30. राकेश कुमार अग्रवाल 3.5 50 लाख -9 माह
31. राम अवतार शर्मा 3.5 50 लाख -9 माह
32. रवि कुमार सिन्हा 3.5 50 लाख - 9 माह
33. राकेश गांधी उर्फ सुनील गांधी 3.5 50 लाख -9 माह
34. संजय शंकर 3.5 50 लाख -9 माह
35. संजय अग्रवाल 3.5 50 लाख -9 माह
36. सुनिल कुमार सिन्हा 3.5 50 लाख -9 माह
37. सुशील कुमार सिन्हा 3.5 50 लाख -9 माह

जुर्माने की राशि नहीं देने पर सजायाफ्ता को अतिरिक्त सजा काटनी होगी।


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