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Jharkhand Tribal Land: कब्‍जा की गई आदिवासी जमीनों की कराई जाएगी वापसी, जानें क्‍या है प्रविधान

Jharkhand Tribal Land Hindi News गैर आदिवासी के कब्जे वाली आदिवासी जमीन की वापसी करा दखल-दिहानी का प्रविधान है। एसएआर कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश पर प्रमंडलीय आयुक्तों को पूर्व में ही कार्रवाई का निर्देश जारी किया गया था।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 28 Sep 2021 09:15 PM (IST)Updated: Tue, 28 Sep 2021 09:19 PM (IST)
Jharkhand Tribal Land: कब्‍जा की गई आदिवासी जमीनों की कराई जाएगी वापसी, जानें क्‍या है प्रविधान
Jharkhand Tribal Land, Hindi News गैर आदिवासी के कब्जे वाली आदिवासी जमीन की वापसी करा दखल-दिहानी का प्रविधान है।

रांची, राज्य ब्यूरो। जनजातीय परामर्शदात्री समिति (टीएसी) की बैठक में यह फैसला लिया गया है कि आदिवासियों के कब्जे वाली जमीन की जांच होगी। झारखंड में बड़ी संख्या में आदिवासी जमीन पर गैर आदिवासियों के कब्जे की शिकायत है। सरकारी दस्तावेज में राज्य में 21 हजार से अधिक परिवारों की 21,173 एकड़ जमीन गैर आदिवासियों के नाम है, इसके अलावा अवैध कब्जा अलग है। नए सिरे से राज्य सरकार ने निर्देश जारी किया है कि गैर आदिवासियों द्वारा आदिवासियों की जमीन कब्जा से संबंधित प्रतिवेदन सभी जिला उपायुक्त दें।

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इसके बाद जमीन संबंधी कानून के तहत भूमि की वापसी की कार्रवाई की जाएगी। ऐसे में आने वाले समय में यह मामला तूल पकड़ेगा, यह तय है। ऐसे अवैध कब्जा को हटाने और उसकी दखल-दिहानी कराने का निर्देश पूर्व में ही जारी किया गया था। छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एक्ट) - 1908 और संताल परगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी एक्ट) - 1949 में भी इसका प्रविधान है।

सीएनटी एक्ट की धारा- 46 की उपधारा- एक और एसपीटी एक्ट की धारा-20 की उपधारा- एक के उल्लंघन पर यह कार्रवाई की जाती है। पूर्व में आदिवासी जमीन पर कब्जे से संबंधित मामलों पर निर्णय के लिए गठित अनुसूचित क्षेत्र विनियम न्यायालय (एसएआर कोर्ट) ने भी अपने निर्णय में प्रभावितों को जमीन की दखल-दिहानी कराने का निर्देश दिया था। एसएआर कोर्ट के आदेश के मुताबिक अंचल अधिकारी द्वारा जमीन की भौतिक दखल-दिहानी कराई जाती है।

हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका (758-2011) सालखन मुर्मू बनाम झारखंड राज्य में उच्च न्यायालय ने न्यायादेश पारित करते हुए कहा है कि यह स्पष्ट किया जाता है कि जो भी अधिकारी आदिवासी जमीन से संबंधित मामलों को देख रहे हैं, उन्हें जमीन से संबंधित कानून के मुताबिक कार्य करते हुए नागरिकों का अधिकार संरक्षित करना चाहिए। एक अन्य जनहित याचिका (3700-2013) सुनील उरांव बनाम झारखंड सरकार व अन्य में भी उच्च न्यायालय ने एसएआर कोर्ट से पारित न्यायादेश के अनुरूप प्रभावितों को दखल-दिहानी का आदेश दिया था। उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद विधि विभाग ने भी नियम बनाने का परामर्श दिया।

3879 एकड़ भूमि से संबंधित मामले लंबित

राज्य में सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन कर 21 हजार से अधिक परिवारों की 21,173 एकड़ जमीन गैर -आदिवासियों के नाम कर दी गई। विशेष विनिमय पदाधिकारी (एसएआर कोर्ट) के न्यायालय के स्तर से मुआवजा के जरिये ये मामले निष्पादित कर दिए गए। अभी एसएआर कोर्ट समाप्त हो चुका है। फिलहाल 4727 आदिवासी परिवारों की 3879 एकड़ भूमि से संबंधित मामले लंबित हैं। इनमें से सर्वाधिक 3541 मामले रांची में जमीन की हेराफेरी से जुड़े हैं, जबकि लातेहार में 657 और पाकुड़ में 110 मामले हैं।

टीएसी की उपसमिति, विधानसभा ने गठित की है विशेष कमेटी

आदिवासी जमीन के कब्जे पर जनजातीय परामर्शदात्री समिति ने एतराज जताते हुए कार्रवाई का निर्देश दिया है। इसकी जांच के लिए एक उपसमिति गठित की गई है। उधर विधानसभा ने भी एक विशेष कमेटी गठित की है। विधानसभा के मानसून सत्र में इस बाबत शिकायत किए जाने पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विशेष समिति से जांच कराने का सुझाव दिया था।


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