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बोन चाइना नहीं अब वेजिटेरियन कप में पीएं चाय

खास क्राकरी के बने हुए सफेद पतले तथा कुशल कलाकारी से बने बोन फ्री कप का क्रेज बढ़ा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Dec 2019 02:09 AM (IST)Updated: Mon, 02 Dec 2019 06:17 AM (IST)
बोन चाइना नहीं अब वेजिटेरियन कप में पीएं चाय
बोन चाइना नहीं अब वेजिटेरियन कप में पीएं चाय

जागरण संवाददाता : खास क्राकरी के बने हुए सफेद, पतले तथा कुशल कलाकारी से बने बोन फ्री कप का चलन शहर में तेजी से बढ़ रहा है। इस उत्पाद के खास होने की वजह इसका हड्डी रहित होना है। इसके शाकाहारी होने की वजह से लोगों को यह काफी पसंद आ रहा है। लोग बोन चाइना के उत्पाद छोड़ इसे अपना रहे हैं।

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प्लास्टिको व‌र्ल्ड के थोक विक्रेता राजकुमार जैन कहते हैं कि लोग आजकल जागरूक हो रहे हैं। इसलिए बोन फ्री क्रॉकरी का चलन बढ़ रहा है। वह कहते हैं कि बोन चाइना कप में हड्डी का प्रयोग होता है। इसमें पचास फीसद मात्रा हड्डी से बने पाउडर की होती है। बोन फ्री कप एक खास तरह की पोर्सलीन से बनता है, जिसमें हड्डियों का प्रयोग नहीं किया जाता है। कुछ समय से बाजार में बोन फ्री कप आ रहे हैं। बाजार में इसे शाकाहारी कप भी कहा जाता है।

आनंद स्टील के विक्रेता कहते हैं कि बोन चाइना कप को लोग आम तौर पर चीनी मिंट्टी के कप कहते हैं। लोगों को मालूम नहीं होता कि ऐसे कप जानवर की हड्डियों से बने हुए होते हैं। जिन्हें मालूम भी होता है वे इसकी खूबसूरती देख इन्हें खरीद लेते हैं। लेकिन अब बोन फ्री कप आ चुके हैं, जो बिल्कुल बोन चाइना की तरह ही दिखते हैं। चूंकि इसकी कीमत भी लगभग बराबर ही है, इसलिए लोग इसे खरीदना पसंद कर रहे हैं। वह कहते हैं कि आने वाले समय में इसकी बिक्री में और तेजी आने की उम्मीद है।

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क्या है बोन चाइना

बोन चाइना के उत्पाद बनाने के लिए हड्डियों को उबाल कर धूप में सुखाया जाता है, जिसके बाद उसे लगभग 1000 डिग्री तापमान पर गर्म कर उसका पाउडर बनाकर उसमें पानी तथा अन्य रासायनिक पदार्थ मिलाकर कप, प्लेट तथा अन्य क्रॉकरी बनाए जाते हैं। इसमें हड्डी पाउडर पचास फीसद, चीनी मिंट्टी 25 फीसद तथा बाकी के 25 फीसद में चाइना स्टोन तथा रासायनिक पदार्थ होता है।

बोन चाइना की शुरुआत इंग्लैंड से हुई है। दरअसल, इंग्लैंड में चीन से आयात हुए चीनी मिट्टी के बर्तन बनाकर बेचे जाते थे। लेकिन चीन से मिट्टी को इंग्लैड ले जाने में बहुत अधिक खर्च करना पड़ता था। इसका विकल्प तलाशते हुए इंग्लैंड के थॉमस फ्रे ने 1748 में हड्डियों को राख बनाकर उससे बर्तन बनाए जो चीनी मिट्टी जैसे मुलायम भी थे और सुंदर भी। इसके बाद इंग्लैंड में खूब सारी कंपनियों ने कत्लखानों से हड्डिया लाकर उनसे प्लेट बनानी शुरू कर दीं। कई सालों तक यह तकनीक सिर्फ इंग्लैंड के पास थी लेकिन उसके बाद यह जापान, चीन और पूरी दुनिया में फैल गया। भारत में राजस्थान बोन चाइना के बर्तनों का गढ़ बन चुका है। जहां सालाना लगभग 6000 टन हड्डियों से बनाए बर्तन बनते हैं। कीमत

छह कप का सेट- 115-400 रुपये

कप-सौसर सेट- 300-600 रुपये

मिल्क मग- 50-100 रुपये

डिनर सेट - 1500- 2500 रुपये


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