राज्यसभा चुनाव के बहाने सरयू राय पर डोरे डाल रही भाजपा, वापसी का दबाव
Jharkhand. चुनाव में समर्थन पाने की नीयत से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश संग उनकी मुलाकात का यही संकेत हैं। लेकिन फिलहाल नेताओं को सकारात्मक संदेश नहीं मिल रहा है।
रांची, राज्य ब्यूरो। राजनीति में स्थायी दोस्ती-दुश्मनी नहीं होती, तभी तो हालिया विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ ताल ठोकने पर सरयू राय को बाहर का रास्ता दिखाने वाली भाजपा फिर से उनपर डोरे डाल रही है। इसके लिए बहाना राज्यसभा का चुनाव बना है। चुनाव में समर्थन पाने की नीयत से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश संग उनकी मुलाकात का यही संकेत हैैं। दीपक प्रकाश राज्यसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी भी हैैं।
दरअसल, विधानसभा चुनाव में सत्ता खो चुकी भाजपा राज्य में एक बार फिर मजबूती से उठ खड़ा होने की कोशिश में है। सरयू राय का बड़ा राजनीतिक फलक इसमें मददगार साबित हो सकता है। उनका आरएसएस, विद्यार्थी परिषद और भाजपा से लंबा जुड़ाव रहा है। भाजपा की ओर से यह संदेश भी दिया गया है कि जिस वजह से उन्हें दल से निकलना पड़ा, वह समाप्त हो चुका है।
यानी रघुवर दास चुनाव हारकर राजनीतिक नेपथ्य में चले गए हैैं। 14 साल बाद बाबूलाल मरांडी ने फिर से भाजपा में शानदार वापसी की है। ऐसे में वे सरयू राय का साथ आना मनोबल बढ़ाने में मददगार साबित होगा। विधानसभा में बाबूलाल मरांडी और सरयू राय की सीट भी आसपास है। दोनों नेता गर्मजोशी से मिलते हैैं। भाजपा के एक वरीय विधायक के मुताबिक देर से ही सही, सरयू राय वापस आने को तैयार हो सकते हैैं।
भाजपा में वापसी की इच्छा नहीं : सरयू राय
सरयू राय का स्पष्ट कहना है कि भाजपा में वापसी की उनकी कतई इच्छा नहीं है। वे निर्दलीय विधायक हैं और तकनीकी तौर पर किसी दल से संबद्ध नहीं हो सकते। उन्हें अभी बहुत काम करना है। यह पूछे जाने पर कि क्या काम करेंगे, उन्होंने हंसकर टाल दिया। कहा कि किसी दल से जुड़े रहने की बाध्यता के कारण स्वतंत्र तरीके से कामकाज में काफी मुश्किलें आती हैं।
राज्यसभा चुनाव में भाजपा द्वारा संपर्क करने को लेकर उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि मेरे वोट के बगैर भाजपा के प्रत्याशी विजयी नहीं होंगे। हमारे वोट से किसी को नफा-नुकसान नहीं होने वाला है। बकौल सरयू, उन्होंने कह दिया है कि किसी का आंकड़ा बढ़ाने के लिए वे राज्यसभा चुनाव में वोट नहीं करेंगे। यह भी जोड़ा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा या कांग्रेस की ओर से किसी ने अभी तक संपर्क नहीं किया है। ऐसा लगता है कि दोनों दल चुनाव को लेकर गंभीर नहीं हैं।
पूर्व प्रवक्ता अमरप्रीत काले समेत अन्य नेता भी कतार में
दल से निकाले गए पुराने नेताओं की वापसी की मुहिम में भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता अमरप्रीत सिंह काले समेत अन्य नेता भी कतार में हैं। विधानसभा चुनाव के वक्त इन्हें अनुशासनहीनता के आरोप में दल से बाहर कर दिया गया था। आरोप लगाया गया था कि इन्होंने सरयू राय के पक्ष में चुनाव के दौरान कार्य किया। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास भी इन नेताओं को पसंद नहीं करते थे।
जमशेदपुर में विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े अमरप्रीत सिंह काले ने चुनाव के दौरान अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया। सरयू राय की जीत की पृष्ठभूमि में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। चुनाव के दौरान अमरप्रीत काले के अलावा भाजपा ने जमशेदपुर में मुकुल मिश्रा, सुबोध श्रीवास्तव, रामनारायण शर्मा, सतीश सिंह समेत अन्य नेताओं को दल से निकाल दिया था।