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पेंशन अधिकारी बनकर सेवानिवृत्त पुलिसकर्मियों को ठगने वाले 5 गिरफ्तार, बिहार-झारखंड से जुड़े तार

Jharkhand News. पांचों आरोपित बिहार के बांका के निवासी हैं। सरगना फरार है। झारखंड के दुमका और गिरिडीह में पैसे का बंटवारा होता था।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 10:32 AM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 10:35 AM (IST)
पेंशन अधिकारी बनकर सेवानिवृत्त पुलिसकर्मियों को ठगने वाले 5 गिरफ्तार, बिहार-झारखंड से जुड़े तार
पेंशन अधिकारी बनकर सेवानिवृत्त पुलिसकर्मियों को ठगने वाले 5 गिरफ्तार, बिहार-झारखंड से जुड़े तार

रांची, जेएनएन। मध्य प्रदेश के दर्जनभर जिलों में ऑनलाइन ठगी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के पांच आरोपितों को मध्य प्रदेश के राजनांदगांव पुलिस ने गिरफ्तार किया है। सभी आरोपित बिहार के बांका जिले के निवासी हैं, जबकि बैंक से पैसे निकलने और बंटवारे का काम झारखंड के दुमका और गिरिडीह में होता था। गिरोह का सरगना फिलहाल फरार है।

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रविवार को ऑनलाइन ठगी के मामले का राजफाश करते हुए राजनांदगांव के एसपी जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि पेंशन अफसर बनकर ऑनलाइन ठगी की जा रही थी। ठगों ने हाल ही में अंबागढ़ चौकी के सेवानिवृत्त एएसआइ भगवान सिंह सलामे से करीब 18 लाख रुपये की ऑनलाइन ठगी की थी। शिकायत के बाद पड़ताल शुरू की गई, जिसमें राजनांदगांव ही नहीं, बल्कि महासमुंद और दंतेवाड़ा समेत कई जिलों में ऑनलाइन ठगी के मामले सामने आए।

इसके बाद पुलिस ने संयुक्त टीम बनाकर प्रार्थी एएसआइ भगवान सिंह और आरोपित के मोबाइल नंबर व खाता नंबर को ट्रेस कर बिहार-झारखंड के सरहदी क्षेत्र में दबिश दी और पांच आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपित बाबुर अली हेंब्राम, जितेंद्र चौधरी और मनोज कुमार राय बिहार के बांका जिला स्थित लीलावरण थाने के बंधुआकुरावा गांव के निवासी हैं।

दो अन्य आरोपित झालर गांव के रोहित कुमार यादव और थाना बौंसी के अंतर्गत बगीचा के पिंटू कुमार मंडल हैं। एसपी ने बताया कि आरोपितों के पास से करीब पौने चार लाख रुपये बरामद किए गए हैं। अंतरराज्यीय गिरोह के ये आरोपित जंगलों में डेरा लगाकर ठगी को अंजाम देते थे और रकम मिलने के बाद अलग-अलग क्षेत्र में चले जाते थे। आरोपितों के पास से पश्चिम बंगाल की कई महिलाओं के नाम पर जारी फर्जी मोबाइल सिम मिले हैं। आरोपितों को रिमांड में लेकर पूछताछ की जा रही है।

ऐसे करते थे ठगी

एसपी शुक्ला के मुतबिक आरोपित छत्तीसगढ़ सरकार की वेबसाइट से पुलिस अधिकारियों की जानकारी जुटाते थे। रिटायर होते ही पुलिस अफसर को पेंशन अधिकारी बनकर मोबाइल कॉल करके पहले तो उन्हें नौकरी की पूरी जानकारी देते थे। फिर अतिशीघ्र पेंशन शुरू कराने का झांसा देकर उनसे बैंक खाते की डिटेल लेकर उनके खाते को अपने खाते से लिंक करते। इसके बाद रकम ट्रांसफर करने के नाम पर उनका ओटीपी हासिल करते थे और पूरी राशि अपने खाते में शिफ्ट कर लेते थे। ठगी में झारखंड के दुमका और गिरीडीह के ग्रामीण कमीशन के लिए उनका साथ देते थे।

झारखंड में पैसे का बंटवारा

लिंक की वजह से जैसे ही किसी पुलिस अफसर के पांच लाख रुपये ठग के खाते में आते थे, वह तत्काल उसे अपने पांच साथियों के खाते में एक-एक लाख रुपये ट्रांसफर कर देता। उसके साथी यही प्रक्रिया अपनाते हुए गांव के पांच-पांच ग्रामीणों के खातों में 20-20 हजार रुपये ट्रांसफर कर देते। ग्रामीण अपने खाते में आए 20 हजार रुपये तत्काल एटीएम से निकालकर ठगों को देते थे। इस काम में ग्रामीणों को 10 फीसद कमीशन तत्काल मिल जाता था।


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