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मां की हत्या के लिए सुपारी लेने वालों से हुई मारपीट, जेल गया और बन गया नक्सली

Ranchi News आत्मसमर्पण के मौके पर महाराज प्रमाणिक ने कहा कि उसकी बहुत इच्छा थी कि वह पुलिस की नौकरी में जाए लेकिन घर में परिस्थितियां यह बन गई कि उसकी ही मां की हत्या के लिए कुछ लोगों ने सुपारी ले ली। विवाद हुआ और उससे मारपीट हो गई।

By Madhukar KumarEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 05:51 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 05:51 PM (IST)
मां की हत्या के लिए सुपारी लेने वालों से हुई मारपीट, जेल गया और बन गया नक्सली
मां की हत्या के लिए सुपारी लेने वालों से हुई मारपीट, जेल गया और बन गया नक्सली

रांची, राज्य ब्यूरो। सरायकेला-खरसांवा के चांडिल स्थित एसबी कॉलेज से बीएससी गणित प्रतिष्ठा के द्वितीय वर्ष का छात्र रहा व एनसीसी में बी प्रमाण पत्र धारी माओवादियों का जोनल कमांडर दस लाख के इनामी महाराज प्रमाणिक उर्फ राज उर्फ बबलू उर्फ अशोक ने शुक्रवार को रांची प्रक्षेत्र के आइजी पंकज कंबोज के कार्यालय में आत्मसमर्पण कर दिया। उसने अपने एके-47 राइफल, दो मैगजीन, 150 कारतूस व दो वायरलेस सेट के साथ आइजी अभियान अमोल वी. होमकर व आइजी सीआरपीएफ राजीव सिंह सामने हथियार डाल दिया। महाराज प्रमाणिक के खिलाफ सरायकेला, पश्चिमी सिंहभूम, रांची, खूंटी के थानों में नक्सल से संबंधित कुल 119 कांड दर्ज हैं। उसने आत्मसमर्पण के मौके पर अन्य नक्सलियों से अपील की है कि वे भी हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्य धारा से जुड़े और इज्जत की जिंदगी जीएं।

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पुलिस की नौकरी के लिए कर रहा था तैयारी

आत्मसमर्पण के मौके पर महाराज प्रमाणिक ने कहा कि उसकी बहुत इच्छा थी कि वह पुलिस की नौकरी में जाए, लेकिन घर में परिस्थितियां यह बन गई कि उसकी ही मां की हत्या के लिए कुछ लोगों ने सुपारी ले ली। विवाद हुआ और उससे मारपीट हो गई। वह जेल गया और जेल से बाहर निकलने के बाद माओवादी संगठन के संपर्क में आया तथा माओवादी बन गया। माओवादियों की विचाराधार के अनुसार पुलिस उनकी सबसे बड़ी दुश्मन है, चाहे वह पुलिसकर्मी-अधिकारी अपनी बिरादरी का ही क्यों न हो। यही वजह है कि एक आंख से आंसू पोंछकर दूसरे हाथ से पुलिस पर गोलियां चलानी पड़ती थी।

मां को बचाने के लिए संगठन से जुड़ा

माओवादियों को पहले जनता का खूब समर्थन मिलता था, जिससे माओवादी क्षेत्र में मजबूत स्थिति में रहते थे, लेकिन माओवादी संगठन की विचारधारा ही बदल गई, जिससे जनता ने भी उनका साथ छोड़ दिया। यही वजह है कि क्षेत्र में माओवादियों की पकड़ कमजोर हुई है। बड़े-बड़े नक्सली नेता अपने बच्चों को देश-विदेश के नामी-गिरामी संस्थानों में पढ़ाते हैं। संगठन में महिलाओं की इज्जत से खिलवाड़ करते हैं। इन्हीं सभी कारणों से महाराज प्रमाणिक का संगठन से मोहभंग हो गया था। उसने बताया कि पुलिस के लगातार अभियान, बढ़ती दबिश व संगठन के आंतरिक शोषण से क्षुब्ध होकर ही उसने राज्य सरकार के आत्मसमर्पण व पुनर्वास नीति का लाभ उठाया और आत्मसमर्पण किया।

आत्मसमर्पण के मौके पर कई अधिकारी रहे मौजूद

आत्मसमर्पण के मौके पर आइजी अभियान अमोल वी. होमकर व सीआरपीएफ के आइजी राजीव सिंह ने इसे सीआरपीएफ, झारखंड पुलिस, एसएसबी व आइबी के अधिकारियों-जवानों की सफलता बताई। यह भी कहा कि हाल के दिनों में नक्सलियों के खिलाफ पुलिस को कई बड़ी सफलताएं हाथ लगी हैं। उन्होंने बताया कि आम जनता को सरकार की आत्मसमर्पण व पुनर्वास नीति के बारे में बताया जा रहा है। इसमें हाल में हुए नए संशोधन के बारे में भी बताया जा रहा है, जिसमें आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को हजारीबाग के खुला जेल में भेजने का निर्णय लिया गया है। महाराज प्रमाणिक को सरकार इस नीति के तहत मिलने वाली वह सभी सुविधाएं मिलेंगी। आत्मसमर्पण के मौके पर रांची प्रक्षेत्र के आइजी पंकज कंबोज, डीआइजी विशेष शाखा अनूप बिरथरे, सरायकेला के एसपी आनंद प्रकाश, एएसपी पुरुषोत्तम कुमार आदि मौजूद थे।

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