बिहार का यह गांव जनसुविधाओं के लिए झारखंड पर है आश्रित, जानें Koderma News
Jharkhand Koderma News कोरोना महामारी में इलाज की सुविधा झारखंड में मिली। अब वैक्सीनेशन को लेकर चिंता है। इस गांव में पहुंचने के लिए बनी एकमात्र पक्की सड़क भी गांव की सीमा में दाखिल होने से पहले ही लोगों का साथ छोड़ देती है।
कोडरमा, [गजेंद्र बिहारी]। बिहार से झारखंड को अलग हुए 21 साल हो गए। दोनों राज्याें के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे के साथ-साथ सीमाओं का निर्धारण भी हो गया। लेकिन इसके बाद भी बिहार का एक गांव ऐसा है, जो आज भी जनसुविधाओं के लिए झारखंड पर निर्भर है। इसकी मुख्य वजह यहां की भौगोलिक स्थिति है। कोडरमा जिले के डोमचांच प्रखंड के सपही से सटे बिहार के नवादा जिले के रजौली अनुमंडल के सेवयाटांड़ पंचायत के बसरौन गांव की हालत कुछ ऐसी ही है।
गांव के तकरीबन 100-130 मतदाता लोकतंत्र के हर महापर्व में बिहार की तरक्की और विकास के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। लेकिन, अपनी तरक्की और विकास के लिए लोग झारखंड पर आश्रित हैं। आलम यह है कि इस गांव में पहुचंने के लिए बनी एकमात्र पक्की सड़क भी गांव की सीमा में दाखिल होने से पहले ही लोगों का साथ छोड़ देती है। जहां सड़क खत्म होती है, वहीं से बिहार की सीमा भी शुरू हो जाती है। गांव में दाखिल होने के बाद सड़क की बायीं ओर का हिस्सा झारखंड का है, तो दाहिने तरफ बिहार।
यहां के लोग बाजार और कारोबार के लिए पूरी तरह से डोमचांच और कोडरमा पर निर्भर हैं। दरअसल इस इलाके से महज 14-15 किलोमीटर की दूरी पर डोमचांच स्थित है। वहीं सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का लाभ लेने के लिए इन्हें इसी रास्ते से होकर रजौली अनुमंडल पहुंचने में तकरीबन 70 से 80 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। लोग बताते हैं कि यहां नेता और अधिकारी भी चुनाव के वक्त आते हैं। अधिकारी वोट कराने के लिए और नेता वोट मांगने के लिए।
कोरोना काल में भी गांव के लोगों ने खुद को संभाला
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में बसरौन गांव के अधिकतर लोग संक्रमित हो गए। गांव के महेंद्र सिंह बताते हैं कि तकरीबन 80 फीसदी लोग संक्रमित हुए, लेकिन किसी की मदद नहीं मिली। गांव से सटे सपही में जाकर लोगों ने अपनी जांच करवाई और उसके बाद डोमचांच और कोडरमा के चिकित्सकों की मदद से गांव में ही रहकर खुद का इलाज किया। हालांकि राहत भरी बात यह रही कि गांव के किसी भी व्यक्ति को अस्पताल जाने की नौबत नहीं आई। वहीं अब वैक्सीनेशन की बारी है तो इन्हें यह सुविधा हर हाल में बिहार में ही लेनी होगी, क्योंकि झारखंड में दूसरे राज्यों के लिए यह सुविधा नहीं है।
संकट की घड़ी में झारखंड का मिला साथ
कोरोना काल में जब सारी चीजें प्रभावित हो गई थी, तो लोगों को खाद्य सामग्री से लेकर दवाओं की मदद भी कोडरमा जिला प्रशासन के द्वारा मिली। सपही में लगे राहत शिविरों में जाकर यहां के लोगों ने फूड पैकेट ग्रहण किए। इसके अलावा कोडरमा जिले के सामाजिक और स्वयंसेवी संस्थाओं के द्वारा इस गांव के लोगों तक मदद पहुंचाई गई।
पोल और तार बिहार का, बिजली झारखंड की
गांव में विद्युतीकरण के लिए बिहार सरकार की ओर से पोल और तार तो लगा दिए गए, लेकिन उसमें करंट नहीं दौड़ाया गया। नाउम्मीदी में कई साल गुजारने के बाद यहां के ग्रामीणों ने आपस में चंदा कर दो ट्रांसफार्मर लगवाए और डोमचांच में हुए विद्युतीकरण से जोड़कर गांव को रौशन किया। आलम यह है कि बिहार सरकार के पोल और तार में झारखंड की बिजली दौड़ रही है।