विकास की गति को लग सकता है झटका, कर्ज देने से कतरा रहे बड़े-बड़े बैंक; जानें इसकी बड़ी वजह
Banking Credit Deposit Ratio Jharkhand News प्राथमिक क्षेत्र में ऋण प्रवाह की तेजी की उम्मीदों को झटका लग सकता है। सीडी रेशियो में गिरावट बता रही है कि बैंक ऋण देने में सतर्क रवैया अपना रहे हैं। झारखंड में बैंकों का एनपीए रिकार्ड स्तर नौ प्रतिशत तक पहुंच गया है।
रांची, [आनंद मिश्र]। झारखंड में ऋण प्रवाह तेज कर प्राथमिक क्षेत्र के विकास को गति देने की सरकार की कोशिशें को झटका लग सकता है। वजह बैंकों का बढ़ता एनपीए बन रहा है। राज्य में बैंकों का एनपीए रिकार्ड स्तर नौ प्रतिशत से ऊपर पहुंच गया है। स्वाभाविक है, बैंक कर्ज फंसने की आशंका को देखते हुए ऋण मुहैया कराने को लेकर सतर्क रवैया अपनाएंगे। 2021-22 की पहली तिमाही के सीडी रेशियो के आंकड़े में आई गिरावट इस आशंका को और पुख्ता कर रही है।
राज्य में बैंकों का सीडी रेशियो घटकर 37 प्रतिशत तक पहुंच गया है। जाहिर है, कर्ज देने को लेकर बैंकों का भरोसा डिग रहा है। झारखंड राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की हाल ही में हुई बैठक में साझा की गई रिपोर्ट सीडी रेशियो में गत वित्तीय वर्ष के सापेक्ष 17 प्रतिशत से अधिक की गिरावट को दर्शा रही है। प्राथमिक क्षेत्र का ऋण प्रवाह कुल सीडी रेशियो के सापेक्ष कुछ ज्यादा ही कम है। कृषि क्षेत्र का बेंच मार्क 18 फीसद तय किया गया है। इसके सापेक्ष अग्रिम 13.46 प्रतिशत रहा।
यहां यह भी बता दें कि राज्य सरकार ने राज्य के सभी किसानों को केसीसी मुहैया कराने को लेकर अभियान चला रखा है, लेकिन बैंक में जाने वाले आवेदनों के निष्पादन में खासी कमियां निकाली जा रही हैं। फार्म बड़े पैमाने पर रिजेक्ट भी हो रहे हैं। एसएलबीसी की बैठक में कृषि सचिव अबु बकर सिद्दीख ने इस पर आपत्ति भी जताई है। बैंकों में प्रत्यक्ष में स्थिति में सुधार का भरोसा तो दिला रहे हैं, लेकिन बढ़ता एनपीए बता रहा है कि यह स्थिति आगे भी बनी रह सकती है। बैंक कर्ज तभी देंगे, जब उन्हें कर्ज वापसी का पूरा भरोसा होगा।
फंसा कर्ज बना बढ़ी वजह
झारखंड में बैंकों का 8093 करोड़ रुपये का कर्ज फंस गया है। बैंकों की गैर निष्पादनीय अस्तियां, जिन्हें एनपीए कहा जाता है, 9.82 प्रतिशत के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है। झारखंड गठन के बाद से यह अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है। एनपीए और सीडी रेशियो का उल्टा रिश्ता है। जब एक बढ़ता है, तो दूसरा घटता है। ऐसी स्थिति में कर्ज को लेकर बैंकों का रवैया लचीला होगा, ऐसा संभव नहीं दिखाई देता।
सेंट्रल बैंक, इंडियन बैंक और पंजाब नेशनल बैंक का एनपीए तो क्रमश: 23, 27 और 31 फीसद तक पहुंच गया है। एनपीए बढ़ा, तो इन बैंकों ने कर्ज देने से दूरी बनाना शुरू कर दिया। इसी का नतीजा है कि पंजाब नेशनल बैंक ने कृषि क्षेत्र में तय लक्ष्य 18 प्रतिशत के सापेक्ष पहली तिमाही में महज 1.83 प्रतिशत ही ऋण मुहैया कराया है।