Banks: एक तरफ विकास की उम्मीदों का बोझ, दूसरी ओर फंसे कर्ज का दर्द; पढ़ें कराहते बैंकों की पीड़ा
Business and Finance News Bank News Jharkhand News पीएम किसान की राशि 31 लाख किसानों के खाते में पहुंच जाती है लेकिन इनमें से आधे किसानों का केसीसी बनाने में पसीने छूट रहे हैं। डेयरी व मत्स्य किसानों के केसीसी आवेदन रिजेक्ट हो रहे। पीएमईजीपी की स्थिति भी दयनीय है।
रांची, [आनंद मिश्र]। गरीब-वंचित, किसान व महिलाओं को ऋण प्रवाह के जरिये विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिशों का बड़ा बोझ बैंकों पर है। केंद्र व राज्य सरकार की अपेक्षाओं के बोझ तले दबे बैंक कोशिशें भी कर रहे हैं, लेकिन बैंकों के फंसे कर्ज की भी अपनी जिरह है। एनपीए 9.82 प्रतिशत (8093 करोड़) तक पहुंच जाए तो यह स्वाभाविक भी है। जाहिर है कि बैंक ऋण प्रवाह को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरत रहे हैं। बैंकों की यह सावधानी झारखंड की अर्थव्यवस्था संभालने व स्वरोजगार से लोगों को खुशहाल बनाने की कोशिशों को झटका दे रही है।
कृषि क्षेत्र के ऋण प्रवाह की बात हो या प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना की। प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना की पड़ताल करें या फिर महिलाओं, वंचितों व अल्पसंख्यकों को दिए जाने वाले ऋण प्रवाह की। इन तमाम क्षेत्रों के ऋण प्रवाह में इन दिनों सुस्ती ही दिख रही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत झारखंड में करीब 31 लाख किसानों को लाभ मिल रहा है, लेकिन केसीसी महज 14 लाख किसानों के पास ही है। राज्य सरकार केसीसी को लेकर स्पेशल ड्राइव चला रही है।
पिछले दिनों बड़ा कार्यक्रम कर डेढ़ लाख से अधिक केसीसी जारी भी किए गए, लेकिन पीएम किसान और केसीसी जारी करने के बीच अभी भी बड़ा फासला है। पीएम किसान के लिए आधार समेत जितने कागजात की जरूरत पड़ती है, उतनी ही केसीसी के लिए भी। अंतर सिर्फ इतना है कि पीएम किसान में सरकार किसानों के खाते में दो हजार रुपये प्रत्येक चार माह में मदद के तौर पर भेजती है, जबकि केसीसी के तहत बैंकों को ऋण देना पड़ता है। ऋण देने से पहले बैंक अपने एनपीए पर नजर डालते हैं, नतीजा बड़े पैमाने में आवेदन रिजेक्ट होने के रूप में सामने आता है। बहाने कई बनते हैं, आंकड़ों में भी खासा अंतर देख सकते हैं।
86 प्रतिशत आवेदन रिजेक्ट
राज्य स्तरीय बैंकर समिति यानि एसएलबीसी की पिछली बैठक में झारखंड के डेयरी विभाग ने यह दावा किया कि उन्होंने बैंकों को 33 हजार से अधिक आवेदन भेजे, लेकिन बैंकों ने महज 14 प्रतिशत ही स्वीकृत किए। 86 प्रतिशत आवेदन या तो रिजेक्ट कर दिए गए या लंबित रखे गए। झारखंड मिल्क फेडरेशन के एमडी सुधीर सिंह ने इसे लेकर आपत्ति भी दर्ज कराई थी। डेयरी व मत्स्य के आवेदन बड़े पैमाने पर रिजेक्ट हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) की स्थिति भी जुदा नहीं है। पीएमईजीपी के तहत बैंकों के पास ऋण के लिए इस वित्तीय वर्ष में 827 आवेदन पहुंचे। इनमें महज 58 स्वीकृत किए गए और 130 रिजेक्ट। लंबित आवेदनों की संख्या 646 है। यह उदाहरण तो बानगी मात्र हैं। पड़ताल की गहराई में जाएंगे तो और भी हकीकत सामने आएगी।
आंकड़े दे रहे कर्ज देने में बैंकों के ढीले रुख की गवाही
-प्राथमिक क्षेत्र में वर्ष दर वर्ष 30.83 प्रतिशत (17,818.65 करोड़) की गिरावट दर्ज की गई। पिछली तिमाही के मुकाबले इस क्षेत्र में 5230 करोड़ की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि संतोष इस बात का है कि फिलहाल स्थिति राष्ट्रीय बेंचमार्क से बेहतर है।
-प्राइवेट बैंकों का प्रदर्शन और भी निराशाजनक है।
-जून 2020 की तुलना में कृषि ऋण में जून 2021 तिमाही में 4828.88 करोड़ की गिरावट दर्ज की गई। अग्रिम के विरुद्ध कृषि ऋण 13.46 प्रतिशत रहा।
-गरीब व वंचितों को दिए जाने वाले डीआरआई के ऋण प्रवाह की स्थिति चिंताजनक जून-20 में ग्रास क्रेडिट का करीब 0.04 प्रतिशत ऋण इस मद में दिया गया था। जून-21 में यह आंकड़ा शून्य प्रतिशत के करीब है। डीआरआई ऋण में पिछले वर्ष के मुकाबले 29.68 करोड़ की गिरावट दर्ज की गई।
-एससी-एसटी को दिए जाने वाले ऋण प्रवाह में भी कमी। जून-20 में ऋण की उपलब्धि 12.79 प्रतिशत थी। जून-21 में यह घटकर 9.09 प्रतिशत पर आ गई है। एससी-एसटी ऋण में पिछले वर्ष के मुकाबले 4873.47 करोड़ की गिरावट दर्ज की गई।
-महिलाओं के लिए ऋण प्रवाह की स्थिति भी चिंताजनक। जून-20 में ग्रास क्रेडिट के सापेक्ष ऋण की स्थिति 14.25 प्रतिशत थी। जून-21 में यह घटकर 13.37 करोड़ पर आ गई है। पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में इसमें 2614.78 करोड़ की गिरावट दर्ज की गई।
-अल्पसंख्यकों को दिए जाने वाले ऋण में भी पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 1596.67 करोड़ की गिरावट दर्ज की गई।
-आवास ऋण में पिछले वर्ष की तुलना में 13.15 प्रतिशत की कमी आई। वर्ष दर वर्ष 1411.73 करोड़ की गिरावट।
-एमएसएमई के माइक्रो सेक्टर के ऋण प्रवाह में भी आंशिक गिरावट। जून-20 के 25.93 प्रतिशत के सापेक्ष, जून-21 में यह 24.90 प्रतिशत रही। एमएसएमई सेक्टर में कुल 4227.71 करोड़ की गिरावट।
फ्लैगशिप योजनाओं में फंसे ऋण की स्थिति
स्कीम खातों की संख्या एनपीए
पीएमईजीपी 5612 108.14 करोड़
पीएमएमवाई 122411 1055.53 करोड़
एसयूपीआइ 383 45.56 करोड़
एसएचजी 40077 279.15